जन संदेश

पढ़े हिन्दी, बढ़े हिन्दी, बोले हिन्दी .......राष्ट्रभाषा हिन्दी को बढ़ावा दें। मीडिया व्यूह पर एक सामूहिक प्रयास हिन्दी उत्थान के लिए। मीडिया व्यूह पर आपका स्वागत है । आपको यहां हिन्दी साहित्य कैसा लगा ? आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये,,,,,, ? हमें जरूर बतायें- संचालक .. हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com

Tuesday, September 9, 2008

उन दिनों....


उन दिनों...
हम-तुम कितने खुश थे,
छोटी-छोटी बातों पर हंसते ,
बिन बातों के ही रूठते,
तुम हंसके के मुझे मनाती
और
मैं हंसके तुम्हें जलाता था,
उन दिनों...
दिल धड़कता था एक साथ ,
नहीं होती थी जब तुमसे मुलाकात,
तब लगता कि,
अब आ भी जाओ
एक पल को मेरे पास,
उन दिनों....
मौसम बदल गया,
हालात बदल गया,
अब आती है जब याद,
खो जाता हूँ लम्हों के साथ,
उन दिनों......हम-तुम कितने खुश थे।

10 comments:

श्रद्धा जैन said...

khushiyan aisi hi hoti hai dost
jab pass hoti hai kadar nahi hoti
jab chali jaati hai tab pata hota hai ki kya kho diya hai

कामोद Kaamod said...

उन दिनों...
हम-तुम कितने खुश थे,
छोटी-छोटी बातों पर हंसते ,
बिन बातों के ही रूठते,
तुम हंसके के मुझे मनाती

बहुत सुन्दर ...

MANVINDER BHIMBER said...

आपने बहुत अच्छा लिखा है....इसमे सच्चाई भी है...

महेन्द्र मिश्र said...

bahut badhiya abhivyakti .

रंजन (Ranjan) said...

उन दिनों...

क्या बात है... यादों में खो जाते है..

रंजन
aadityaranjan.blogspot.com

pallavi trivedi said...

bahut khoob..

संगीता पुरी said...

बहुत ही अच्छा लिखा है।

वीनस केसरी said...
This comment has been removed by the author.
वीनस केसरी said...

(अब आती है जब याद,
खो जाता हूँ लम्हों के साथ,
उन दिनों......हम-तुम कितने खुश थे।)

पढ़ कर अच्छा लगा
अच्छी कविता है
कवि ने जो कहना चाहा वो स्पष्ट है


-----------------------------------
यदि कोई भी ग़ज़ल लेखन विधि को सीखना चाहता है तो यहाँ जाए
www.subeerin.blogspot.com

वीनस केसरी

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुन्दर, धन्यावाद