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Tuesday, September 21, 2010

मेरी माँ ....मेरा बचपन


चूल्हे ‍की आग से निकलते धुएँ से
माँ की आँखों से आँसू बहता हुआ
गाल से गले तक फिसलता चला जाता है
मैं बार बार
चिल्लाता हूँ
माँ खाना कहाँ हैं ...
माँ आँचल से मुंह पोंछते हुए
दुलार से कहती है
ला रही हूँ बेटा
खाने में कुछ पल देर होते ही
मैं रूठ जाता हूँ
माँ चुचकार कर
दुलारकर अपने हाथों से
रोटी खिलाती है
फिर भी मैं मुंह दूसरी तरफ़
किए हुए रोटी खा लेता हूँ ,
माँ प्यार से देर यूँ ही
खाना खिलाती है और मुझे मानती है
मैं माँ को देखकर खुश होता हूँ
और भाग जाता हूँ
घर में छिपने के लिए ....
माँ कुछ देर मुझे इधर उधर
खोजती है
और बक्से के पीछे से ढूंढ लेती है
मैं खुद को हारा महसूस करता हूँ
फिर माँ भी छिपती है
जिसे ढूंढकर खुश होता हूँ
..यूँ ही माँ के साथ बीता बचपन

Tuesday, August 10, 2010

मैं तो बस ....(कविता)........neeshoo tiwari

न कोई मजहब है मेरा 
न कोई भगवान है
मैं तो बस इन्सान हूँ 
इंसानियत मेरी पहचान है..
न कभी मंदिर गया मैं
न कभी गुरूद्वारे में 
मैं तो बस देखता हूँ 
सबमें ही भगवान है .
न किसी से इर्ष्या हो 
न किसी से बैर हो 
मैं तो बस ये चाहता हूँ 
सबमें ख़ुशी और प्रेम हो 
पढता हूँ मैं खबर 
शहर कत्लेआम की 
हो दुखी नम आँखों से
क्या खुदा , क्या राम है..
आज मैं मैं कर रहा 
कल खाक में मिल जाऊंगा 
सांसे टूट जाएगी एक दिन
क्या साथ मेरे जायेगा ...
आओ हम ये दूरी मिटा दें 
न कोई हो दुर्भावना 
राम पूजे मुसलमान 
हिन्दू खुदा के साथ हो 
मैं किसी को न कहूँगा 
तुम कभी न छोडो धरम 
राम , रहमत के नाम पर 
तुम मिटा दो फासला ..

Sunday, August 8, 2010

मैं तो हिन्दू हूँ .....तुम क्या हो ?


मैं तो हिन्दू हूँ .....तुम क्या हो ? पूछना अच्छा लगता है क्या ? जवाब है पर देना नहीं चाहता ...सोचिये आपने कभी इस तरह के सवाल का जवाब दिया है या फिर किसी से पुछा क्या ? कैसा लगा ? वैसे खबर है की 
ॉलीवुड की सुपरस्टार जूलिया रॉबर्ट्स ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है अगर हम  डेली टेलिग्राफ की रिपोर्ट को माने तो ....वैसे जूलिया पिछले साल सितंबर में भारत में विवादों में आ गईं थीं. नई दिल्ली के एक मंदिर में उनकी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान स्थानीय लोगों को नवरात्रि के मौके पर मंदिर जाने से रोक दिया गया था......लेकिन अब कौन रोकेगा .....
हिंदी गीत की कुछ पंक्तियाँ 
न हिन्दू बनेगा 
न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है
इंसान बनेगा 
 वर्तमान में ये पंक्तियाँ 
हाँ हिन्दू ही  बनेगा 
हाँ मुसलमान ही बनेगा 
इंसान की औलाद 
हाँ कत्ले आम करेगा ....
तो क्या बनोगे आप ....हिन्दू या मुसलमान .........दोनों में जो फायदा देता हो सोच लो ...

Tuesday, August 3, 2010

छिनाल शब्द और ब्लॉग जगत की महिलाएं..... क्या कहती हैं .....? क्या सही क्या गलत ....? आपकी सोच (पुरुषवादी )...बहस होना चाहिए ?

"छिनाल" शब्द का निकलना ही राय साहब को हिंदी साहित्य से जुडी महिलाओं और लेखिकाओं की नजरों में विलेन बना दिया ...लेकिन आज जयादातर  लोग जो भी विभूति नारायण जी को गाली और गोली मारना या देना चाह रहें होगें उनको चाहे पूरे मामले के बारे में पूरी जानकारी ही न हो ...खुद को प्रगतिशील समझने वाले बिना बोले रहेगें कैसे ? वरना प्रगतिशीलता पर प्रशन खडा हो जायेगा ? 
सभी को अपनी बात कहने का आधिकार है......वो कोई भी हो सकता है ...बिस्तर की बातों को पन्नों पर सजाना ही साहित्य और प्रगतिशीलता की निशानी होता जा रहा हऔर इसी का विरोध राय साहब ने किया ....अब इसको किस तरह से पेश किया जाता यह देखने वाली बात होगी ...
वी यन राय का साछात्कार नया ज्ञानोदय में आया ... जिस पर  केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का बयान आ गया . उन्होंने कहा है कि अगर टिप्पणी की गई है तो यह संपूर्ण नारी समाज का अपमान है. महिलाओं के खिलाफ ऐसी टिप्पणी उनके सम्मान को आहत करने वाली और मर्यादा के प्रतिकूल है. इस संबंध में आई खबरों का पता लगा रहा हूं. अगर यह सही हुआ तो कार्रवाई होगी....अब क्या करवाई होगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा ...?
हिंदी साहित्य जगत में सबसे जायद परेशान हुआ तो वो हैं मैत्रयी पुष्पा ज जिनका कहना है की  'छिनाल', 'वेश्या' जैसे शब्द मर्दों के बनाये हुए हैं, हम इनकों ठेंगे पर रखते हैं....
फिलहाल ब्लॉगजगत की प्रगतिशील महिलाएं ...इस प्रकरण पर कई ब्लॉग पर अपनी बात लिखी है,,देखते हैं वो क्या सोचती हैं और समझती हैं ?....
mukti said: 

सही है ये पुरुषों की उस मानसिकता का साक्षात उदाहरण है, जिसमें औरतों को एक शरीर से अधिक कुछ नहीं समझा जाता है. अधिकतर पुरुषों के लिए ये बेहद आम बात है कि तेजी से आगे बढती औरत को नीचा दिखाना हो तो या तो उसकी सुंदरता में कमी निकाल दो, या उसके बारे में ऐसी अश्लील बातें फैला दो कि लोग उसे बस सर्वसुलभ समझ लें. और इन सब से भी कुछ न बने तो उसके व्यक्तिगत जीवन को सरेराह खींच लाओ... और सबको बता दो कि ये औरत या फिर बहुतों के साथ सम्बन्ध बना चुकी है या इस काबिल ही नहीं कि कोई इसके साथ सम्बन्ध बनाए.
ये सोचने की बात है कि यह सब औरतों के लिए ही क्यों? रचनाजी ने सही कहा कि यह सब ब्लॉगजगत में भी हो सकता है. क्योंकि यहाँ भी तो वही मानसिकता है. 
ये हमारे समाज का दोगलापन नहीं तो और क्या है? जहाँ गिल जैसे लोगों पर एक महिला आई.ए.एस.अधिकारी द्वारा छेडछाड का आरोप लगाने के बाद भी उसका कुछ नहीं बिगड़ता, चौदह साल की बच्ची के साथ यौन दुर्व्यवहार करने वाला पुलिस अधिकारी हँसते-हँसते कोर्ट से बाहर निकलता है. वहीं यदि एक महिला अपने जीवन के कुछ अनुभव साहित्य में लिख रही है, तो उसके लिए ऐसा शब्द इस्तेमाल किया जा रहा है.
पंकज की बात से सहमत हूँ इस समाज को तहस-नहस किये जाने की ही ज़रूरत है. भले इसके लिए एक पीढ़ी बर्बाद हो जाए, आने वाली पीढियाँ तो इस सड़ान्ध से दूर रहेंगी.
August 02, 2010 3:57 PM
वाणी गीत said: 

आदमी की सोच का दायरा अभी भी जिस्म ही है...दुखद सच्चाई है 
रचना जी की चिंता भी कुछ हद तक सही है ...यह आंच उड़ते उड़ते ब्लॉग तक भी आएगी ही ...!
संगीता स्वरुप ( गीत ) said: 

किसी की सोच का दायरा जितना है उससे आगे कैसे सोच सकता है ....शर्म आती है ऐसी पुरुष मानसिकता पर .....
रचना said: 

अब आप ने पूछा हैं क्या सोचते हैं हम श्री विभूति नारायण के "छिनालपने" पर { कल बहस के दौरान उन्होने यही कहा हैं कि छिनाल परवर्ती हैं जो पुरुषो मे ख़ास कर पूरब के पाई जाती हैं ।

जल्दी ही ब्लॉग लिखती महिला पर वक्तव्य आ जायेगा क्युकी अगली ब्लॉग प्रयोग शाला इनके सौजन्य से ही करवायी जायेगी । ब्लॉग लिखती कोई ना कोई महिला तो उस दयास पर खड़ी होगी ही जहाँ ये प्रयोग शाला होगी अब वो वहाँ तक कैसे पहुची ये शायद वो नहीं बता पायेगी हां कोई ना कोई आयोजक जरुर बता सकेगा ।
अल्पना वर्मा said: 

वी एन राय उस दोगले और कुंठित समाज के प्रतिनिधि हैं जिनके सोचने का दायरा संकुचित ही रहेगा,जिस्म से आगे ये अपने किसी विचार को बढ़ने ही नहीं देते .एक महिला अगर समाज का घिनौना सच सामने लाती है तो उसे छिनाल कहा जाता है.जो उसे ऐसा करने पर बाध्य करते हैं /जबरदस्ती करते हैं ,उन पुरुषों को क्या नाम देंगे?
थोडा भी बोल्ड लिखने वाली महिला या खुद पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली महिला पर इसी समाज की उँगलियाँ भी बहुत जल्दी उठने लगती हैं.
इनकी सोच में बदलाव न जाने कब आएगा.
संगीता स्वरुप ( गीत ) said... 

बहुत संयमित हो कर आपने इस विषय पर लिखा है....
अब छिनाल शब्द का अर्थ अपनी दृष्टि से कुछ भी लगाएं पर शब्दकोष में तो इसका अर्थ वैश्या या व्यभिचारिणी ही है...और ऐसे शब्दों के प्रयोग पर आपत्ति उठना स्वाभाविक है .. 
3 August 2010 11:41
वाणी गीत said... 

कई बार पढ़ा आपके इस लेख को ...

औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं...देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"...

पुरुषों की गलती को मानते हुए स्त्रियों से इसे नहीं अपनाने की अपील ही लगी इसमें ...

लेकिन छिनाल शब्द का अर्थ जो भी हो , किसी भी स्त्री के लिए इसका प्रयोग तो अनुचित ही माना जाएगा ...
आपने पूरे वाकये को संतुलित और निरपेक्ष होकर समझाने की कोशिश की है मगर ...
लेख के शीर्षक पर मुझे आपत्ति है...शीर्षक के लिए सभ्य भाषा का प्रयोग किया जाता तो इसकी उपयोगिता बढती ...! 
3 August 2010 13:14
Akanksha~आकांक्षा said... 

छिनाल शब्द का प्रयोग...कहीं से उचित नहीं. दुर्भाग्य से जब तथाकथित साहित्यकारों की दुकान उठने लगती है तो वे ऐसे ही शब्दों का प्रयोग कर चर्चा में आना चाहते हैं... 
3 August 2010 14:07
रंजना said... 

किसी व्यक्ति/हस्ती ने ऐसा कुछ कहा ,जो कि कहीं से भी कुछ सकारात्मक प्रभाव छोड़ने लायक न हो...तो मेरे समझ से उस प्रसंग को ही छोड़ देना चाहिए...मटिया देना चाहिए...नहीं तो नीचे उतरने की कोई हद नहीं है....
ऐसी बातों को टूल दे हम बस वहीँ करेंगे जो आज के न्यूज चैनल कर रहे हैं...अश्लीलता का बाजार ज्यादा बड़ा और व्यापक हुआ करता है सदा ही...अच्छा कुछ करने में बड़ी मेहनत जो लगती है,सो कोई इसमें जुटना नहीं चाहता..... 
3 August 2010 19:07
mukti said... 

आपने जहाँ तक हो सकता है, तठस्थ रहकर यह लेख लिखा है....वी.एन. राय को मैंने इलाहाबाद में सुना है और मुझे उनके विचार उस समय अच्छे लगे थे. वे वामपंथी हैं या नहीं, नहीं जानती.जहाँ तक बात इस स्टेटमेंट की है " दरअसल इससे स्त्री मुक्ति के बड़े मुद्दे पीछे चले गए हैं .........औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं। देह का विमर्श करने वाली स्त्रियाँ भी आस्था, प्रेम और आकर्षण के खूबसूरत सम्बन्ध को शरीर तक केन्द्रित कर रचनात्मकता की उस सम्भावना को बाधित कर रही हैं जिसके त...हत देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"
मैं सहमत हूँ, पर फिर भी औरतों के लिए ऐसी भाषा के सख्त खिलाफ हूँ, चाहे वह दक्षिणपंथी हो या वामपंथी.इस तरह की भाषा ही औरतों को सिर्फ एक आब्जेक्ट के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसके बारे में कोई भी अपने विचार प्रस्तुत कर सकता है, उसके लिए आदर्श की स्थापना कर सकता है और ये अपेक्षा करता है कि औरतें उसी पर चलें. मैं ये कहती हूँ कि अगर औरतें ऐसी बातें लिख भी रही हैं, तो समय उन्हें देखेगा. आप कौन होते हैं कहने वाले?
और ये जो आपने प्रगतिशील और नारीवादी आंदोलन के अंतर्विरोधों की बात कर रहे हैं, ये मुद्दा खुद नारीवाद के समक्ष एक बहुत बड़े विमर्श का मुद्दा रहा है. नारीवादियों ने वामपंथी दलों में ही औरतों को उचित प्रतिनिधित्व ना प्रदान करने के लिए समय-समय पर प्रश्न उठाया है.
इन सारी बातों में मुझे दुःख इस बात का होता है कि नारीवाद की सबसे अधिक आलोचना वे करते हैं, जिन्हें उसकी बारहखड़ी तक नहीं आती. 
3 August 2010 02:19

Sunday, August 1, 2010

क्या स्त्रीमुक्ति मात्र देह मुक्ति है? ................हिन्दी लेखिकाओं को 'छिनाल' कहने पर विवाद .....आपकी राय क्या है? neeshoo tiwari

"शहर में कर्फ्यू " पुस्तक से हुए विख्यात विभूति नारायण राय के द्वारा दो अखबारों में हिन्दी लेखिकाओं को 'छिनाल' कहने पर विवाद को नया रंग मिल गया है........'छिनाल' शब्द का अर्थ  चरित्रहीन होता है.......विभूति राय ने अपनी बात को और आगे बढाया की देह मुक्ति ही स्त्री मुक्ति जो भी मान रही हैं वह भ्रम में जी रहीं हैं .......जिस पर मैत्रेयी पुष्पा ने विरोध दर्ज कराया है.....उनका कहना है ......महिला लेखन में देह के विमर्श के खुलकर सामने आने को स्त्री मुक्ति की संकीर्ण परिभाषा नहीं मानती हैं.  "इसमें क्या संकीर्ण है कि अगर वो (महिलाएं )अपनी ज़िन्दगी अपने मुताबिक जीना चाहती हैं, घर से बाहर निकलना चाहती हैं. आपसे बर्दाश्त नहीं होता तो हम क्या करें, पर आप क्या गाली देंगे?"
इसके उलट राय साहब कहते हैं की " महिला विमर्श में बृहत्तर संदर्भ जुड़े हुए हैं तो सिर्फ शरीर की बात करना उन्हें सही नहीं लगता...........बल्कि और भी मुद्दों पर बात होनी चाहिए ....
इस पर आपकी क्या राय है? क्या स्त्रीमुक्ति मात्र देह मुक्ति है? 
जहाँ तक महिलाओं की बात है तो चोखेरबाली ब्लॉग पर सुजाता जी का लिखा पोस्ट "धर्म से टकराए बिना स्त्री मुक्ति सम्भव नही" आज की विचारधारा " स्त्रीमुक्ति" को देखा जा सकता है.....वास्तव में 'महिला मुक्ति " शब्द है क्या ? आधुनिक नारीवादी " फेमेनिस्ट " महिलाएं आखिर कैसी मुक्ति का राग अलाप्ती हैं ? कोई तो धर्म , कोई तो देह और कोई कर्म की बात करता है........आखिर आधुनिक जीवन शैली में किसे मुक्ति माना जाना चाहिए ? ये तो आधिनुकतावादी   महिलाएं ही दे सकती हैं ..........पर इस सब पर विचारों की मुक्ति ज्यादा महत्व रखती है.......देह दिखाना न दिखाना ये महिलायों पर है( उनकी मर्जी ) लेकिन कम कपडे या पार्टी और मस्ती( खुलेपन )  को कभी भी महिला मुक्ति नहीं माना जा सकता .......
आपकी राय क्या है???????? 

Saturday, July 31, 2010

तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे.........(मो. रफी)...........इस महान गायक को श्रद्धांजलि


वो जब याद आये बहुत याद आये .....और तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे जैसे स्वर्णिम गीत को अपनी आवाज देने वाले मो. रफी की आज ३०वीं पुण्यतिथि है....रफी जी ने पिछले चार दशक में करीब २८ हजार गानों को अपनी आवाज दी ....गीत 'चाहूँगा मैं तुझे सांझ सबेरे' के लिए रफी साहब को पहला फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड मिला ....जिससे प्यारे लाल की धुनें आज भी हम सब के कानों में रस घोलती है..........रफी जी का जानी वाकर के लिए गाना ""सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए" पूरी तरह से उन्हीं के रंग में रंगा है....और शास्त्रीय संगीत में तो रफी का जवाब ही नहीं ...........शायद ही अब इस जहाँ में कोई दूसरा रफी हो ........इस महान गायक को श्रद्धांजलि..........वाकई रफी साहब को हम नहीं भुला सकते ............

Friday, July 30, 2010

कबाड़ी बाजार की वेश्याएं ............दुखद सच देख शून्यता को महसूस करता हूँ .........neeshoo tiwari


 मेरठ रहते हुए कुछ ही महीने बीते हैं .........कभी कभी जब ऑफिस से छुट्टी मिलती हैं ( साप्ताहिक ) तो शहर( मेरा ऑफिस शहर से कुछ दूरी पर है)  जाना होता है......शहर में घूमते खरीदते ....एक शाम रेड लाइट एरिया ( कबाड़ी बाजार ) पहुच गया ...........जो कुछ आजतक वेश्यवों के बारे में देखते ( फिल्मों में ) आया था उसको हकीकत में देखना वाकई आसान नहीं था ( खुद तो आत्मग्लानी हो रही थी )........ज्यादा देर तक रुक न सका वहां ........मकान पुराने जमाने के ......भार्जे  ऐसे की कभी भी गिर सकते हैं .........और भार्जे से झांकते कुछ चेहरे .....जिस पर कास्मेटिक पुता हुआ ........देखने में आकर्षित करते हुए ........पर ज्यादा देर वहां पर रूकना संभव नहीं .........ह्रदय में हल चल (कुक्ड को हल्का महसूस कर रहा था ) शायद जैसे सब कुछ संत हो गया हो .......
लेकिन यह हमारे  
समाज का घिनौना सच हैं ...........सेक्स वर्कर ....वैसे तो आधुनिक समय की शैली में सेक्स वर्कर शब्द आया ......वरना भारतीय समाज में " रंडी " जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जाता था ..........हममे से कई जिस शब्द को बोलने से कतराते हैं ........सोचिये उनकी जिंदगी कैसी होगी ? वैसे तो भारत सरकार ने अब तक सेक्स वर्करों की संख्या लगभग ७ लाख के करीब आंकी है...पर स्वास्थय मंत्रालय के अनुसार करीब २२.७ लाख सेक्स वर्कर हैं ......दिल्ली के जी बी रोड पर अनुमानित सेक्स वर्करों की संख्या ४०००० के करीब है...भारत में प्रदेश vaar  सेक्स वोर्करों की को देखा जाय तो आन्ध्र प्रदेश में १ लाख सेक्स वर्कर हैं ...जबकी दुसरे स्थान पर कर्नाटका हैं जहाँ पर करीब ८०००० सेक्स वर्कर हैं ..... जबकि नाको के अनुसार भारत में करीब १२.६३ लाख सेक्स वर्कर हैं .... ये तो रही आकड़ो की बात .........
लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी जो की अँधेरे में अपना जीवन गुमनामी में  के साथ गुजार रही है क्या उसको संवैधानिक अधिकार नहीं मिलने चाहिए ? सभी को सेक्स वर्कर से ज्यादा हमदर्दी हो या न हो पर क्या इनके लिए काम नहीं किया जाना कहिये ? समाज की मुख्या धारा   में शामिल करने के लिए आगे आकर प्रयास करना होगा ....माननीय उच्च नयायालय ने दो पुरूष या महिला के बिच के सम्नंध को जब सही ठहराया तो क्या सेक्स वर्करों के लिए कानून नहीं बनना चाहिए .........बिलकुल बनना चाहिए ..जिससे सेक्स वर्करों को भी एक सामाजिक स्टार मिल सके .....और हाँ इससे जुड़े बिचुलिये को भी क़ानून के दायरे में लाया जा सके ............साथ ही हम जिस भी चीज को नहीं देखते या छिपाते हैं क्या वो नहीं हो रही होती ? होती है पर बहुत ही भयानक रूप में .................आमतौर पर माना जाता है की सेक्स वर्कर किसी न किसी परेशानी के कारन इस पेशे से आई होती हैं .....तो ऐसे लोगो को पुनर्वास कराया जाना चाहिए ........जिससे समाज के सच में झूटी शान के सफेद पोश चेहरे हो सामने लाया जा सके ............ 

Sunday, July 25, 2010

ठीक है वह...............संस्मरण..........neeshoo tiwari

बहुत दिन नहीं हुआ जॉब करते हुए .....पर अच्छा लगता है खुद को व्यस्त रखना........शाम की कालिमा अब सूरज की लालिमा को कम कर रही थी ......मैं चुप चाप तकिये में मुह धसाए बहार उड़ रही धुल में अपनी मन चाही आकृति बना कर ( कल्पनाओं में ) खुश हो रहा था .........कभी प्रिया का हंसता चेहरा नजर आता .........तो दुसरे पल बदलते हवा के झोंकों के साथ आँखें नयी तस्वीर उतार लेती .......... बिलकुल वैसी ही .....जैसे वो मिलने पर( शर्माती थी ) करती थी.............अचानक आज इन यादों ने मेरी साँसों की रफ्तार को तेज़ कर दिया .........करवट बदलते हुए आखिरी मुलाकात के करीब न जाने क्यूँ चला गया ...........
मैं पागल हूँ और आलसी भी वो हमेशा कहा करती थी ....जिसे मै हंस कर मान लेता था .....(सच कहूँ तो आलसी हूँ भी )........ .....दिल्ली में दो साल कैसे बीते ....पता ही न चला ..... हम साथ ही पत्रकारिता में दाखिल हुए थे ........और साथ ही पढाई पूरी की ..........पहली बार हम दोनों कालेज के साछात्कार से पहले मिले थे .......वह बहुत घबराई सी लग रही थी .......मैंने ही बात के सिलसिले को आगे बढाया था .........बातो से पता चला की वह भी अल्लाहाबाद से पढ़ कर आई है ...तब से ही अपनापन नजर आया था उसको देखकर ........साछात्कार का परिणाम आने अपर हम दोनों का चयन हुआ था .........ये मेरे लिए सब से बड़ी ख़ुशी की बात थी ...क्यूंकि मैंने जो तैयारी की थी उससे मैंने खुस न था ...........पर मेरा भी चयन हो ही गया था .........कुछ दिनों के बाद क्लास शुरू हो गयी ......नए नए दोस्त बने .....समय अच्छे से गुजरता ........पर जब तक प्रिय से कुछ देर न बात करता .......तो कुछ भी अच्छा न लगता .....सुबह से शाम तक मैं प्रिया के पास और प्रिया मेरे पास ही होती ......यानि आसपास ही क्लास में बैठते ....दोपहर का नाश्ता और शाम की चाय साथ पीने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम के लिए निकलते ......रूम पर पहुच कर फिर फ़ोन से बहुत साडी बातें होती ............इसी बातों से न जाने कब प्यार हो गया पता ही न चला ..........वैसे प्रिया तो शायद ही कभी बोलती .........पर हाँ मैंने ही उसको प्रपोज किया था .......कोई उत्तर नहीं दिया था उसने ..........मैं तो डर गया था की शायद अब वह बात न करे......लेकिन नहीं उसका स्वभाव वैसे ही सीधा साधा रहा ..जैसा की वह रहती थी ..... मेरे लिए ख़ुशी की बात थी .......मैंने खुद से ही हाँ मान लिया था .....क्यूंकि वह चुप जो थी .......कभी लड़ते लाभी झगड़ते .......रूठते मानते .....अब उस दौर में हम दोनों आ गए थे की अब आगे की जिंदगी को चुनना था ........संघर्ष और सफलता के बीच प्यार को लेकर चलना था ..........प्रिया ने आखरी सेमेस्टर का एग्जाम देने के बाद यूँ ही कहा था ..........मिस्टर आलसी .......अब आपको सारा काम खुद से करना होगा ......हो सकता है रोज फ़ोन पर बात भी न हो पाए ......और हाँ मैं घर जा रही हूँ ......शायद पापा अब न आने दें .........वहीँ कोई जॉब देखूंगी ........ मैं चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था .......वो मेरी तरफ नहीं देख रही थी पर बात मुझसे ही कह रही थी .......आज पहली बार दो साल में उसकी आँखों में आन्शूं देखा था ............फिर जल्दी से आंसू पोछते हुए कहा था ....मिस्टर उल्लू .....नहाते भी रहना ...वरना मुझे आना होगा .........मैंने सर हिलाकर सहमती दे दी थी ..........वो कल सुबह जाएगी ........अब कैसे रहूँगा ........कुछ समझ न आया था ......रात भर नींद न आयी ..और प्रिया को भी परेसान न करना चाहता था .........क्यूंकि अगले दिन उसकी ट्रेन थी .........सुबह मिलने की बात हुई थी .......मैं अपना वादा निभाते हुए रेलवे स्तेसन तक छोड़ने गया था ...........ट्रेन जाने तक उसको देखता ही रहा था ............हाँ कुछ महीने बाद उसका फ़ोन आया था ..........ठीक है वह ..........

Saturday, July 24, 2010

लड़की पटाओ या महिला या वेश्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं .......ये प्रगतिशीलता की निशानी ...कुछ सीखो


ओछी ब्लॉगिंग की शानदार राजनीति के प्रथम में महूफूज और महिला ब्लोगर सम्बन्ध में आपका स्वागत है..........आपको यहाँ किसी महिला को कैसे पटाया जायेगा का पाठ जायेगा .... 
आने में कुछ देर हो गयी है पर अपनी बात तो कह कर ही जाऊंगा .........कोई कमेन्ट के लिए मैसेज करे और फिर उस कमेन्ट मिले ...लेकिन बात तब ख़राब होती है..जब मनमाफिक और चाटुकारिता भरी राय न हो ........ऐसे ही उसको डिलीट कर दिया जाता है.....कोई एक ऐसे महफूज नहीं बहुत सारे हैं .....जो धीरे धीरे सामने आते जायेगे ..........कोई ब्लोगर भाई हमेश सार्थकता की बात करते हैं ..करना भी जायज है.......पर सच्चे दिल से कहूँ तो कोई भी ऐसा नहीं करता ......कोई माने या न माने ..........और हाँ जो अपने को आधुनिक नारी या कहें प्रगतिशील समझती हैं वह उनका भ्रम मात्र है.........मैं किसी महिला से बदतमीजी करूँ और कोई अन्य महिला ही आकर कहें बहुत खूब ........बहुत अच्छा किया तो ये किस तरह से जायज होगा ........लेकिन होता यही है.......हाँ में हाँ मिलाने वाली महिला ब्लोगर भी कमेन्ट के चक्कर में जो रहती हैं .....वास्तविकता को देखकर दुःख होता हैं.....सभी एक दुसरे की पैंट उतरने में लगे हैं ............लेकिन ये नही पता है की दोनों को नंगा होना पद सकता है........और कोई भी अपनी जरा सी आलोचना सुनने को क्यूँ नहीं तैयार होता है.?....... आप लोगों का लार टपकाना कब बंद होगा .........और लड़की पटाओ या महिला या वेश्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं लेकिन .........वाह वाह ...के चक्कर में किसी की भावना की ऐसी की तैसी क्यूँ करते हैं या करती हैं ........
और हाँ हो सकता है की मेरी बात किसी को बुरी लगे पर जो कुछ सोचता हूँ .................लिख देता हूँ ..........

Saturday, July 17, 2010

मेरे सपने ने आज तोडा था मुझको ...neeshoo tiwari

सपनों के टूटने की खनक से
नींद भर सो न सका 
रात के अंधेरे में कोशिश की 
उनको बटोरने की 
कुछ इधर उधर गिरकर बिखर गए थे
हाँ 
टूट गए थे
एक अहसास चुभा सीने में
जिसके दर्द से आँखें भर आई थी 
मैंने तो 
रोका था उस बूंद को 
कसमों की बंदिशों से 
शायद 
अब मोल न था इन कसमों का
फिर 
उंघते हुए 
आगे  हाथ बढ़ाया था
वादों को पकड़ने के लिए 
लेकिन वो दूर था पहुँच से मेरी 
क्यूंकि 
धोखे से उसके छलावे को 
मैंने सच समझा था 
कुछ 
देर तक 
सुस्ताने की कोशिश की 
तो सामने नजर आया था 
उसके चेहरे  का बिखरा टुकड़ा  
हाथ बढ़ाकर पकड़ना चाहा था 
लेकिन  
कुछ ही पल में 
चकनाचूर हो गया 
वो चेहरा 
मैं हारकर 
चौंक गया था ....
.........
..................
चेहरा पसीने तर ब तर  था
मेरे सपने ने 
आज तोडा था मुझको 

Wednesday, July 14, 2010

न रे न मुझे भूख नहीं ........तू खा ले .............नीशू तिवार

सरकार द्वारा गरीबों के लए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पत्रों तक नहीं पहुच पाता ........जिसका प्रमुख कारण है भ्रस्ट लालफीताशाही ...........राहुल  गाँधी ने माना की केंद्र सरकार का भेजा १ रुपया निचले स्तर तक मात्र ५ पैसे ही पहुच पाता है.........वर्तमान में गरीबों की संख्या में १.५ करोड़ का इजाफा हुआ है.........खाद्य सामग्री के सरकारी हिसाब अनुसार हर परिवार को ३५ किलो राशन मिलता है ........खाद्य मंत्रालय को अभी ५.३० करोड़ टन राशन की खरीद की आवश्यकता है..............जबकि ये पी यल कार्ड धारक को १५ किलो राशन और बी पी यल को ३० किलो राशन दिया जा रहा है.....लेकिन फिर भी गरीबो की संख्या में इजाफा हो रहा है.............
आज देश दुनिया में अपनी प्रतिभा और प्रद्योगिकी के लिए जाना जाता है लेकिन इसके उलट दुख इस बात का है की हमको अभी भी रोटी कपडा मकान के लिए तरसना हो  रहा है.......पूर्व राष्ट्रपति कालम ने कहा था की देश २०२० तक विकसित हो जायेगा .........हो भी सकता है पर यह पन्नों तक सिमित रह कर.......ऐसे में गरीब तो गरीब ही रहेगा ...........कुछ लोग जरूर अमीर हो जायेगें .....लेकिन देश की दशा वैसे ही रहेगी ............क्या हम सभी को इन लोगों को साथ लेकर नहीं चलना चाहिए ? जिससे पुरे देश का विकास हो सके .......महामारी , भुखमरी और कुपोषण से जान न जाये ............        

Saturday, July 10, 2010

भाजपा के खेवनहारा नितनी गडकरी की नैया बीच भवंर में फँसी ...........कैसे होगा २०१४ तक बेडा पार .........तुच्छ बयानबाजी से बाज आयें ......neeshoo tiwari



भाजपा के ९वे अध्यक्ष नितिन गडकरी का हालिया बयान " अफजल गुरू ' पर दिया गया......कांग्रेस का दमाद शब्द का इस््तेमाल किया गया ......भाषा और पद की गरिमा दोनों ही नितिन गडकरी को पीछे धकेंलते हैं .....ऐसी प्रतिकिर्या को किसी तरह से सराहा नहीं जा सकता है.........वैसे भाजपा के पिछले कुछ नेतावों की बात की जाये जिस तरह की बातें की गयी उससे भाजपा को नुकसान हुआ है  यह देखा जा सकता है की इस तरह के वाकयुद्ध से घटिया राज्नित को बल मिलता है............सबसे पहले आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा......लालकृषण अडवाणी की बात की जाये तो 2005 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को धर्म निरपेक्ष बताए जाने पर संघ के दबाव में आडवाणी को भाजपा अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा.......... और पार्टी को अगले लोक सभा चुनाव में हार का मुह देखना पड़ा ....
उमा भारती को भी पार्टी विरोधी गतिविधि के चलते बाहर का रास्ता दिखाया गया ...और
फिर पार्टी के वरिष्ट नेता जशवंत सिंह की २००९ में जिन्ना पर लिखी किताब ने उनके द्वारा पार्टी की मजबूती के लिए किये गये कार्य भूलकर " दूध से जैसे मख्खी " की तरह बाहर कर दिया गया .......
हाल ही में जसवंत सिंह की पार्टी में वापसी हुई है .......दुबारा से बयान आया की इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी ......फिर निकला ही क्यूँ ? 
या 
इसको राजनाथ , अडवाणी  और अरुण जेटली के फैसले की पुर्समिछा कहें .........यानि गलती को सुधारना ..............पर जसवंत को बाहर  करने के लिए संघ ने भी भागीदारी निभाई थी ........यानी सुदर्शन जी का फैसला भी जल्दबाजी और आवेश में लिया गया था ........ 
 और 
अभी नितनी गडकरी का बयान .......भाजपा इस समय वैसे ही सबसे बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में पार्टी को सोच समझ कर बात बोलनी चाहिए ...क्यूंकि भाजपा का चेहरा बदल गया है .........अब हिन्दू वादी भाजपा नहीं रही ........क्यूंकि भाजपा का गठन निम्न बैटन को लेकर हुआ था .......
भाजपा  का निर्माण इतिहास 
राष्ट्रों के उत्थान और पतन का दर्शन इतिहास का निर्माण करता है। भारतीय इतिहास के पन्ने संघ परिवार की स्पष्ट और विस्तृत संकल्पना का दिग्दर्शन करते हैं जिसके लंबे संघर्ष की कहानी सभी के लिए प्ररेणा का स्त्रोत है। भारत भारती की महान सभ्यता के गीत श्रीलंका से जावा व जापान तथा तिब्बत व मंगोलिया से चीन और साइबेरिया में गाए जाते रहे हैं। इसकी सभ्यता का आकलन कर हम पाते हैं कि हूण और शकों द्वारा इसकी सभ्यता रक्तरंजित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई लेकिन इसने टूट कर बिखरना नहीं सीखा। इसे जीवंत बनाए रखने मे विजय नगर साम्राज्य, शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा गुरू गोबिन्द सिंह के अलावा अनगिनत राष्ट्रनायकों के बलिदान एवम् महानायकों की अक्षुण्ण भूमिका रही है।

हाल के वर्षों में इस महान प्रेरणा की मशाल को लेकर स्वामी दयानन्द, महर्षि अरविंद, लोकमान्य तिलक,तथा स्वामी विवेकानन्द ने ज्ञान का ज्योतिर्मय प्रकाश फैलाया जिसे बाद में महात्मा गांधी तथा अन्य लोकनायकों ने जन-जन तक इसे प्रकाशित किया। इस विरासत को आगे बढ़ाने में डॉ. हेडगेवार की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिन्होने 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। 1940 में में  गुरूजी द्वारा इस महान विरासत को आगे पहुंचाया गया। उनके दर्शन में भारतीय मुसलमानों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी लेकिन वे जानते थे कि इससे पूर्व के शासकों का रवैया दुर्भावनापूर्ण रहा और उन्होने हिंदुओं को मुसलमान बनने के लिए बाध्य किया। उनकी स्पष्ट धारणा थी कि सभी को न्याय मिले लेकिन किसी एक पक्ष को अनुचित तरीके से खुश करने के लिए दूसरे पक्ष को कुचला न जाए। इसके साथ ही उनका मानना था कि हम हिंदू राष्ट्र थे और हिंदू राष्ट्र हैं और महज़ मज़हबी विश्वास में परिवर्तन का अभिप्राय राष्ट्रीयता में परिवर्तन से नहीं लगाया जाना चाहिए।

पार्टी की विचारधारा में बदलाव किसी भी तरह से फायदे मंद नहीं रहा है...इस बात को गडकरी समझे तो बेहतर होगा ...........और भाजपा को २०१४ के लोक सभा में अच्छे परिणाम दे सकते हैं वरना जस का तस ......

Friday, July 9, 2010

राजधानी दिल्ली की महिलाओ के साथ सबसे ज्यादा यौन दुर्व्यवहार ......................क्या करें हम ? neeshoo tiwari


राजधानी दिल्ली की महिलाओं को देख हम विश्व के तमाम शहरों की महिलाओं को पीछे छोड़ते हैं ....पहनावा ....बोलचाल और रहन सहन देखकर महिला सशक्तिकर्ण का जुमला यथार्थवादी सिध्ह होता दीखता है......ताजा सर्वे को देखें तो करीब ७० फीसदी महिलाएं यौन दुर्व्यवहार की शिकार हैं .....आंकड़े बताते हैं की  यौन दुर्व्यवहार की शिकार १५ से १९ वर्ष के बीच की लड़कियां हैं .........‘सेफ़ सिटीज़ बेसलाइन सर्वे – दिल्ली 2010’ के तहत ५,०१० लोगों से  जिनमें ३,८१६ महिलाएँ, ९४४ पुरुष और २५० यौन प्रताड़ना के मिले-जुले प्रत्यक्षदर्शी थे....यानि हम अपने आस पास हो रहे दुर्व्यवहार को देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं ........
सर्वेक्षण के नतीजे
1 ....स्कूल और कॉलेज की छात्राएँ और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएँ सबसे ज़्यादा प्रभावित
2........जन-यातायात के साधनों में सर्वाधिक घटनाएँ
3.......पाँच में से तीन महिलाएँ रात के अलावा दिन में भी यौन प्रताड़ना का शिकार हुईं
4.......कमज़ोर बुनियादी ढांचा सबसे बड़ा कारण
5.......आमतौर पर महिलाओं को अपनी सुरक्षा ख़ुद ही करनी पड़ती है
6........समस्या से लड़ने के लिए जन अभियान की ज़रुरत
स्रोत: दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग, जागोरी, यूनीफ़ैम और यूएनएच का सर्वे

समाज में शिक्छा का आभाव है.......जागरूकता की कमी है यह बात मानी जा सकती है.........लेकिन राजधानी दिल्ली जैसे शहर में तो लोग जागरूक और पढ़े लिखे हैं .......फिर भी ऐसे आकडे  दुखद  स्थिति की ओर इशारा करते हैं ...........यानी देश की राजधानी की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं ........वैसे भी आये दिन टी वी और समाचार पत्र में हम दुराचार , हत्या , लूटपाट की खबरे पढ़ते हैं लेकिन अगले ही पल सब भूल जाते हैं क्यूंकि ये खुद अपने साथ नहीं हुआ होता ..........पर दिल्ली वालों अब आपकी बारी हो सकती हैं .इस लिए अपनी रक्छा खुद करें ........सरकार के भरोसे न रहें .........अपने बच्चो और घर की महिलाओं को आत्म रक्छा के लिए तैयार करें .......  

Friday, July 2, 2010

ब्लोग्वानी फिर से तरोताजा होकर नए और सशक्त रूप में आ रहा है........अस्थाई विराम .मेरे विचार में यह सही कदम..........neeshoo tiwari

ब्लॉग की जब भी बात होती है तब हमको जरुरत पड़ती है एक ऐसे माध्यम की जहाँ पर सारे ब्लॉग को एक साथ पढ़ा जा सके .....यानि एग्रीगेटर .......और बहुत सारे एग्रीगेटर के आने के बाद भी ब्लोग्वानी का अपना अलग और विशेष स्थान है......कुछ दिनों से ब्लोग्वानी पर अस्थाई विराम लगा हुआ है...........मेरे विचार में यह सही कदम है.........क्यूंकि जब हम लगातार काम करते हैं तो कुछ थकावट महसूस करते हैं ..ऐसे में हमको कुछ आराम की आवश्यकता होती है...........अब ब्लोग्वानी फिर से तरोताजा हो कर नए और सशक्त रूप में आएगा ........
संद और नापसंद .........पढ़ा जाना और दुत्कार दिया जाना ..........सबसे हॉट या सबसे निचे आप की पोस्ट होना ( ब्लोगर की सहमती और असहमति इस पर ज्यादा है)........और सबसे  महत्वपूर्ण की ब्लोग्वानी से हिंदी को कितना फायदा है? ब्लोग्वानी ने अंतरजाल पर हिंदी को न्य रूप दिया और आगे भी देता रहेगा .............हाँ कुछ असामाजिक तत्त्व तो हर जगह होते हैं जो नहीं कहते की अच्छा कार्य किया जाये...पर इन लोगों पर ध्यान दिए बिना ...सार्थक प्र प्यास किया जायेगा .............और जल्द ही ब्लोग्वानी को आप फिर से देख पाएंगे ..............साथ ही जूनियर ब्लोगर एसोसिएशन 30 दिनों के अंदर वापस लाने को कटिबद्ध है........  
की  बैठक का सबसे अहम और तृतीय प्रस्‍ताव ब्‍लागवाणी के सम्‍बन्‍ध मे रखा गया। ब्‍लागवाणी के अचानक बंद सम्बन्‍ध मे चिंता व्‍यक्‍त की गई। ब्‍लागवाणी के बंद होने के कारणो का पता लगाने के लिये असीमित अधिकारों वाली जॉच समिति बनाई गई है और यह जाँच समिति पूर्ण अधिकार के साथ कार्य व हर किसी के साथ वार्ता करने का अधिकार होगा।

Thursday, June 17, 2010

मठाधीश सपनेहु सुख नाहीं

जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन से से मठाधीश इतने डर गये है कि रात के सपने मे भी जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की पोस्‍ट ही नज़र आती है। इधर जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन पोस्‍टे आती बाद में है नापंसद का चटका लगाने वाले पहले से बैठे मिल जाते है। अभी हाल मे ब्‍लागवाणी पर देखा तो 3 नापंसद के चटके जो पोस्‍ट आने से पहले मठाधीशो के गले मे अटके थे, वो जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की पोस्‍ट पर नज़र आ रहा है। नापंसद के चटके के लिये SMS पर SMS भेजे जा रहे है वैसे दूबे भी ने कन्‍फर्म किया है कि के चटके वाला SMS उन्‍हे भी आया है, रोमिंग के कारण उन्‍होने फोन ही स्विच आफ कर दिया है।


हमारे ब्‍लाग गुरू कितनी अच्‍छी बात कह गये है कि मठाधीश सपनेहु सुख नाहीं मतलब कि मठाधीशो के सपने मे भी अब जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन के गठन के बाद सुख नही दिखेगा यही कारण है कि जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की पोस्‍टो प्रकाशन के बाद दौरे तेज हो जाते है। अब मठाधीश सावधान रहे क्‍योकि इलाहाबाद धोषणा पत्र - जबरन बंद करवाये जायेगें मठा‍धीशों के अवैध मठ पर कार्यवाही तय है।

Thursday, June 10, 2010

इ भोलोगिंग का होई ...........अपनी तो जैसे तैसे ...थोड़ी ऐसे या वैसे आपका क्या होगा ? neeshoo tiwari

अपनी तो जैसे तैसे ...थोड़ी ऐसे या वैसे आपका क्या होगा ? क्या होगा ये तो सब को पता है......बोलो बोलो .......बोलो न ...प्प्लीज़ ......हाँ पता है.......पर आदत से तो मजबूर हैं न .........अब जब तक पोस्ट सबसे ऊपर न देखिगे तब तक यस्यम्यास फ़ोन करके दुकान चलनी होती वहहै बबुआ .........अच्छा सच कहा आपने ........तो और का .........का कौनो नवा नवा थोड़े ही आये हैं भोलोगर बनने...........अच्छा ........
अच्छा ई बताइए बबुआ की कुछ लौंडे इ इलाहाबाद में का करिय का बात पेल रहे हैं ..............अरे बुडबक .......कर दी ना बात कई बतकही ..........कुछ सुना न जाना बस भक से मुह खोल दिया ................ए ऊ लौड़े तो कुछ बना रहे हैं ........अच्छा खाने के लिए का ............नहीं तुम तो हमेसा खाएँ पर लगा राहत हो .......अच्छा फिर का बनावट है ..बतावा ना .................अच्छा एक सरत है बबुआ ...हामरे पोस्ट पर चटका और कमेन्ट दिये को होई ...समझा की नहीं ...अच्छा ठीक हैं .......इ ला चार पांच एक साथे ठेल देब .........अब तो बका न ...........तौ सुना ..........१५ का इस लौड़े मिलकर हुमरे तोहरे खिलाफ संगठन बनावट हैं........अब तौ दुकान लगत बा बंद होई जाये ........अच्छा तौ फिर का करी ..कहा न ............बाद दम दबा के निकल लो ...........समझे की नहि...........इ भोलोगिंग का होई ........... 
mahasakti + junior bloger assosiation
अब जो लोग भी "जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन तथा उससे जुडे किसी भी व्‍यक्ति का नाम करते हुये अभद्र पोस्‍ट लिखेगा तो अपनी भद्द करवाने का खुद जिम्‍मेदार होगा", जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन का प्रत्‍येक सदस्‍य अपना विरोध ऐसे वाहियात पोस्‍टो पर साम-दाम-दण्‍ड-भेद के साथ दर्ज करने के लिये स्‍वतंत्र है।

Monday, June 7, 2010

मेरठ आये दिल्ली के ब्लोगर .........जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन में संचालक की दावेदारी अविनाश जी की ...( neeshoo tiwari )..१५ जून इलाहाबाद आइयेगा जरूर






सप्ताहभर से अधिक समय तक चला विवाद (वैचारिक मतभेद ) का पताछेप आखिरकार मेरठ ब्लोगर मिलन से हुआ .....मेरठ पहुंचे अविनाश जी , पवन चन्दन जी , सुमित तोमर जी , उपदेश सक्सेना व भाई मिथिलेश दुबे जी के साथ बैठ चाय की चुस्कियों के बीच ब्लोगिंग के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य के स्वरुप पर गहनतापूर्वक विचारविमर्श हुआ .....इस बैठक में कुछ मुद्दों पर आम राय बनी ....
१ ....दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन ( लक्ष्मीनगर ) के संचालन  पर सबने (अविनाश जी , पवन जी , मिथिलेश जी , सुमित जी , उपदेश जी ) माना की कई खामिया रह  गयी थी ...किसी सम्मलेन ( बैठक ) का यदि मुद्दा तय रहे तो हम सभी उपस्थित ब्लोगर सार्थकता की ओर जा सकते हैं ..अर्थात विषय का चयन होना आवश्यक हैं ( जैसा की वहां नहीं हो पाया ..आगे जरूर ध्यान दिया जायेगा )...
२ ....दूसरा मुद्दा रहा जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन के गठन को लेकर ........जिसमे नियम , कार्यप्रणाली और औचित्य पर बारीकी से हम सभी ने चर्चा की .......जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन पर हम सभी एक राय थे की यह संगठन ब्लोगिंग के स्वर्णिम काल के सपने को अवस्य ही साकार करेगा ...जरुरत बस इस बात की है की हम सार्थकता हो ध्यान में रखकर चलें .........एसोसियेशन की चर्चा के दौरान अविनाश जी ने जूनियर ब्लोगर के संचालक (अध्यछ) के पद के लिए खुद का नाम हमारे सामने रखा ....जो एक सार्थक पहल है...  .जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन की पहली बैठक १५ जून को इलाहाबाद में होगी ...जहाँ पर अविनाश जी के नाम पर कार्यकारणी के सदस्य विचार करेंगे ...१५ जून को ही जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन की सार्वजनिक रूप से गठन (प्रारूप , सदस्यता , कार्यप्रणाली , जे बी ये टीम ) की औपचारिक घोषणा सभी ब्लोगर ले सामने की जाएगी ..
३......सबसे अहम मुद्दा था विवाद पर बातचीत करना ..जिसके लिए हम सभी मिले थे ....तो हम सभी ने माना की कोई ब्लोगर न बड़ा होता है और न छोटा होता है बल्कि हमारा लेखन ही हमारी पहचान है...हम सभी ने गुटबाजी को दरकिनार करना ही सही पाया ....यदि कोई भी ऐसा करता हैं तो हम सभी मिलकर उसको दरकिनार कर देंगे .........साथ ही उसकी बातों को ज्यादा तरजीह नहीं दी जाएगी ...........कुल मिलाकर ब्लोगिंग के स्वर्णिम सपने के लिए आपस में प्रेम भाव और एक दुसरे के अनुभव और सहायता के बिना नहीं चल सकते ...
चलते चलते ............
कल सबसे मिलने के बाद आज जाकर समय मिला तो आप सबको इस बारे में जानकारी देना उचित समझा ..क्यूंकि बहुत से बातें ब्लोगिंग से जुडी ही रही ....तीन चार घंटे कैसे बीत गए पता नहीं चला ...........इस बीच हसी मजाक का भी दूर चलता रहा ..( जहाँ  अविनाश जी रहें और हंसी न हो )......मेरठ में लोक संघर्ष पत्रिका का लोकार्पण भी हुआ ..जिसमे ब्लोगर के साथ साथ कोई नामी पत्रकार  भी शामिल रहे ...........अरे हाँ कुछ चित्र भी पवन जी के कमरे ने कैद किया है..........आप लोगों के लिए .....आप सभी (ब्लोगर ) इलाहाबाद में १५ जून को आमंत्रित हैं ......जहाँ पर जूनियर ब्लोगर की सार्थक पहल एसोसियेशन के साथ होने जा रही है.....आइयेगा जरूर  ( नम्बरवा अविनाश भैया से लाइ  लेहा  )  

Friday, June 4, 2010

मेरा वैचारिक मतभेद जरूर था ( जो अब दूर हो चूका हैं...मुझे दुख है इस विवाद से ) पर मनभेद कभी भी नहीं रहा ..और न है ...और न ही रहेगा कभी .neeshoo tiwari


कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है.....जिसकी हम उम्मीद भी नहीं कर सकते हैं .......पर हमें बाद में पछतावा जरूर होता है.......पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है..........( दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन को लेकर )....वैसे भी क्या हम अपने से बड़ों के बिना आगे चल सकते हैं क्या ? तो मेरा जवाब होगा नहीं ........यही बात ब्लोगिंग में भी लागू होती है.......हाँ मेरा वैचारिक मतभेद जरूर था ( जो अब दूर हो चूका हैं .........मुझे दुख है इस विवाद से ) पर मनभेद कभी भी नहीं रहा ........और न है ................और ........न ही रहेगा कभी ...............

पने से अनुभवी और बड़े ब्लोगर ( अविनाश जी , अजय कुमार झा जी ,,,आदि से ) से बहुत कुछ सीखा है मैंने .........और हाँ बिना बड़ों के आशीर्वाद और प्यार और स्नेह के हम खुद को ( हिंदी ब्लोगिंग को ) आगे कैसे ले जायेगे ........हमको आप सभी का साथ चाहिए .........वैसे भी मैं आप से छोटा हूँ तो ये मेरा अधिकार की आपका स्नेह हक़ से ले सकूँ .............

सबसे अहम बात की मेरी पिछली लिखी पोस्ट अगर आप लोगों के कष्ट हुआ है .......तो इसका मुझे खेद और बेहद अफसोश है...........और भविष्य में ये प्रयास करूँगा की ऐसे किसी भी विवाद को पनपने ने दिया जाये ( आपस में बातचीत करके भी मामले को सुलझाया जा सकता है.........जो मैंने खुद नहीं किया ...पर आगे ध्यान रखूँगा )

...........अविनाश जी 
आपसे ही सीखा गलतियाँ सुधारना 
आपसे जी जाना खुद से आगे बढ़ना 
आपसे मतभेद रहा 
क्यूंकि 
नीशू के समझने में फेर रहा ....
फिर हम मिल जायेगे 
एक नया दीपक जलाएंगे
ब्लोगिंग के सार्थकता का 
सबको पाठ पढ़ाएंगे

चलते चलते

अविनाश जी रविवार को मेरठ आ रहे हैं मुझसे मिलने ..............केवल मुझे से मिलने .......अरे मिथिलेश भी आ रहा है........आप का इन्तजार है....... ऑफिस का समय पूरा गया है ..........अब जा रहा हूँ .....पर एक ही बात की वैचारिक मतभेद को कभी मनभेद न होने दीजियेगा .........हिंदी ब्लोगिंग की सार्थकता की ओर कदम बढ़ाना है...........

Thursday, June 3, 2010

मठाधीशों का तो अपराध छम्य लेकिन जूनियर ब्लोगर ही बलि की वेदी पर क्यूँ ??????शायद हो कोई जवाब ..........गलती जिसकी हो वो सामूहिक रूप से माफी मांगे ...n

है मुझे मंजूर 
लेना खून का इल्जाम सर पर 
है मुझे स्वविकार कहलाना दीवाना 
(कौन है जो होश में रहता हमेशा )
पर कहे कोई ही मैंने छला उसको
कल्पना में भी किसी की
है असंभव हो कभी अपराध मेरा ..( लेविस कैरोल )
मठाधीशों का तो अपराध छम्य और जूनियर ब्लोगर का अपराध तो अपराध .......अब ऐसे नहीं चले वाला .........सबको बराबर का अधिकार है...   मठाधीशों का अपराध तो और भी बड़ा है क्यूंकि जो ब्लोगर अभी नया है....उसको जानकारी का आभाव होता है......इसलिए यहाँ सम्मानित गुट्बाज मठाधीशो को अपनी महानता का परिचय देना चाहिये ......न की लामबंद होकर नए ब्लोगर को दरकिनार करने की साजिश करनी चाहिए ......
कल रात मेरी नामचीनी महिला ब्लोगर से बात हो रही थी ........वह जानना चाहती थी की आखिर ये सब प्रकरण है क्या ? और हुआ कैसे ? मैंने आपना पछ रखते  हुए पूरी  बात कही  ......हाँ पर एक लोगों की बात सुनकर किसी परिणाम पर जाना उचित नहीं होता ...........मैंने सीधे कहा की अगर मेरी गलती निकलती है तो मैं बीच सभा में सबके सामने गलती मानने को तैयार  हूँ ......पर अगर मेरी गलती नहीं निकलती तो क्या मठाधीश भी ऐसा करने को तैयार होगें ( मुझे तो नहीं लगता ) .....मैंने सुप्रसिध  महिला से कई सवाल भी किये ?
१....अजय झा जी को मेरे विचार अच्छे नहीं लगे .......ये बात समझ में आती है( प्रथम दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन को मात्र खाने खिलाने की बात मैंने कही ) .......अजय जी से मेरी  कोई आपसी रंजिश तो नहीं थी न ..........और हाँ क्या मैं अपनी बात भी कहने के लिए किसी से अनुमति लूँ ( अजय जी से ) तो ये बात सही होगी क्या ?  दूसरी बात की बात हिंदी ब्लोगिंग से जुड़े कई मुद्दों पर की थी ......वो बात अजय जी को क्यूँ नजर नहीं आई ............या ये कहूँ की वो बस यही बात को पकड़ कर विवाद को हवा देना चाहते  थे ( अगर ऐसा नहीं था तो चुप क्यों रहे )
२...............क्या मर रही है ब्लोगिंग वाली पोस्ट पर ही ...............पाबला जी की कानूनी कारवाई की धमकी ( जो आज भी मेरे पास ईमेल परहै) ...अजय जी ने तो अपना  विरोध भी सही से किया होता तो मैं कुछ समझता .........लेकिन ये पाबला जी ने आकर कहा ..ये कितना और किस तरह से जायज है......( क्या ये गुटबाजी नहीं ..........हम ब्लॉग पर लिखे शब्दों को पढ़ते हैं या फिर ब्लोगर को पढने जाते हैं .....?..)
३.....इसके बाद अविनाश वाचस्पति जी बिना सूचना दिए हुए नुक्कड़ ब्लॉग से मुझे हटा देते हैं ( ब्लॉग उनका है....अगर वो बता के मुझे निकालते  तो मैं उनको दोषी नहीं कह सकता था पर ऐसा क्यूँ नहीं किया ? और हाँ अविनाश जी आपने खुद ही मुझे मेल कर आमंत्रण दिया था तो कमसे कम निकलने के लिए भी एक मेल कर देते तो क्या जाता आपका..............बल्कि इसमें आपकी ही महानता दिखती ......जबकि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया )
४............मौनं स्वीकार लछनम  ............
अगर मुझ पर कोई आरोप लगता है( अगर आपको लगता है की वह सही नहीं तो चुप रहना क्यूँ ...........?)तो सामने आकर अपनी बात कहनी चाहिए पर किसी ने ऐसा नहीं किया ......वजह क्या थी कोई नहीं बता सकता ?
चलते चलते 
किसी को भी नाहक गुटबाजी कर परेशान करना किसी भी तरह से सही नहीं कहूँगा ........अगर हम सामने वाले को सम्मान नहीं देंगे तो सम्मान की उम्मीद कैसे लगा लेते हैं .........आज मुझे कोई गलत कहे पर मेरे सवाल का जवाब का क्या ..........अजय झा , अविनाश जी , और पाबला जी दे सकते हैं ? ( वैसे पता है की ना ही मिलेगा ) ........अगर मैंने गलत किया तो मेरा अपराध  तय हो ? और अगर किसी नमी गिरामी , सम्मानित , वरिष्ठ ने ऐसा किया वहहै तो उसका भी अपराध तय होना चाहिए ? सभी के लिए एक नियम होना चाहिये .......गुटबाजी करके किसी को भी परेसान किया जा सकता है पर यह सही तरीका नहीं है.......मैं फिर कहता हूँ की हो सकता है मेरी बात और मेरे विचार से कोई इत्तेफाक न रखे पर मैं ऐसा हो सोचता हूँ .........बाकि आपकी अलग राय हो सकती है.....लेकिन विचारों में मतभेद हो ये ठीक है पर मनभेद मेरे समझ से परे है..........

Wednesday, June 2, 2010

जूनियर ब्लोगर एसोसिएसन के हमले से तोपची ब्लोगर भूमिगत ((कहाँ गए गुटबाज ) ........पहली बैठक १५ जून इलाहाबाद (अब होगी कारवाई )..neeshoo tiwari)

जूनियर  ब्लोगर एसोसिएसन का हमला 
जूनियर  ब्लोगर एसोसिएसन के हमले से तोपची ब्लोगर भूमिगत हो गए हैं ..........वजह तो साफ है.........सामूहिक विरोध ......दिल्ली के  हर नुक्कड़ पर जाम लग गया ......जिन्दगी ठहर सी गयी क्यूँ भाई .........अब देखो न जवाब का विगुल कैसे बजेगा और कहाँ से बजेगा ..............
ब्लोगर बंधुओ ............जूनियर ब्लोगर एसोसिएसन की पहली बैटक ...........१५ जून को इलाहाबाद में  होगी .........जिसमे प्रताड़ित और सताये हुए जूनियर ब्लोगर हिस्सा लेगे ........बैठक का मुद्दा भी तय हो गया है...जिसका प्रारूप जल्द ही जूनियर ब्लोगर के सामने होगा ........लेकिन दिल्ली वाले गुट्बाज और मठाधीश ....सम्मानित और वरिष्ठ चापलूश ब्लोगर पर कारवाई और रणनीति तय की जाएगी ........मोर्चा खोला गया  तो ........कुछ न कुछ मजा आना जरुरी है.......... आगामी पोस्ट में और बातें सामने आएँगी .....
जूनियर और युवा ब्लोगर की शक्ति में दम 
युवा शक्ति ने जिस तरह से अपनी आवाज बुलंद की .........वह काबिले तारीफ है..........विरोध का स्वर एक साथ मिलकर ऐसा गूंजा की ...........तोपची ब्लोगर कोसों दूर तक नज़र नहीं आये ...........वैसे अभी तो गुटबाजी  की शुरुआत भी नहीं हुई .........और बूढी हड्डियों की  चरचराहट शुरू हो गयी ...........लेकिन इसका मतलब ये नहीं  की सब समाप्त ..........अभी तो बहुत कुछ होना बाकि है..........ब्लोगिंग के नए पुराने ..सम्मानित और कूड़ा कचरा लिखने वालों को ( जैसा की मुझे भी लोग कहते हैं .......इससे ज्यादा कर भी क्या सकते हैं )........हर बात ....हर कमेन्ट पर कविता ( बकवास ) कर कमेन्ट करने वालों का विरोध जारी  रहेगा .....मैंने खुद से अपने दम पर लड़ाई शुरू की है ........और आगे भी चलती रहेगी ........नुक्कड़ से निकालने का जवाब देना होगा ...अगर वजह है तो देने में कोई बुराइ नहीं.......( आवेश में जो किया तो अब क्या कहेगे दिल्लीवाले तोपची ब्लोगर ) .........लेकिन हाँ बेनामी तो मैंने कभी न बंद करने का वादा किया है.........उसको पूरा करूंगा ( यहाँ आकर गाली दे जाओ गे पता है पर फिर भी किसी का  मुह नहीं बंद करूँगा अपने ब्लॉग पर )  ............वैसे भी फेक आईडी वालो का क्या ? वे तो nya  ब्लॉग और ईमेल तो बना ही लेगे ..पर आखिर कब तक .........बहुत दिन ऐसे नहीं चले वाला है चापलूसों .........बनाओ न गुट ....किसी ने मना नहीं किया है....और धमकी का क्या ? बेनामी से दे जाओ .......ना .........

Tuesday, June 1, 2010

ब्लोगर(कोर्ट ) की नोटिस के इन्तजार में सो नहीं पाता ...(पाबला, अविनाश,खुशदीप,अजय झा..सावधान )..अब अगला नंबर आपका ? ( आग में घी डालनेवालों लपट आगई)

विवाद ....................ब्लॉग जगत में ये पहली बार नहीं हुआ है.......पर युवा ब्लोगर ने जिस तरह से अपनी बात रखी .........उससे दिल्लीवाले दलद्लिये बेनामी के साथ ही कमेन्ट कर सकते हैं ..........मूंह तो शायद ही किसी ने देखा हो ( विवाद के बाद )............वैसे इसके पहले भी कई विवाद हुए ..........लेकिन वो शायद इस हद तक आये हो .........आज कुछ पुराने घटनाक्रम की याद ताजा  होती   है ....
.......पंगेबाज जी प्रकरण ..........
मैंने पंगेबाज जी को जो भी जाना वह मोबाईल से ही जाना ....या फिर उनकी पोस्ट ( लेखन ) के माध्यम से ..............मैंने उनकी जो छवि अपने अन्दर पाई वह एक सीधे सच्चे इंसान की ...........बाद में ब्लोगर की .......किसी महाशय को अपने घर ठहराया तो .........इसका खामियाजा यह हुआ की पंगेबाज ( अरुण अरोरा जी ) को कोर्ट तक खीचने के धमकी मिली ..........पंगेबाज जी ब्लोगिंग छोड़ने की राह  चुनी ..............ऐसा नही की वो विरोध नहीं कर सकते थे .......पर इस सब को गलत मानते थे .......हाँ वैसे भी अगर पंगेबाज जी चाहते हो अतिथि महाशय का फरीदाबाद जाना भी बंद हो सकता था ..............पर वो ठहरे सीधे सादे इन्सान ..............इसलिए बहुत ज्यादा झुकना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता ......पर पंगेबाज जी दुबारा से आये हैं आग्रह करने पर ....यह खबर अच्छी है.. 
देवाशीष चक्रवर्ती और महाशक्ति ( प्रमेन्द्र प्रताप सिंह ) प्रकरण ...............
प्रमेन्द्र जी को भी सामूहिक ब्लॉग से बिना बताये निकला गया था ..........वह सामूहिक ब्लॉग औए निकला जाना चर्चा का विषय रहा ....प्रमेन्द्र भाई बहुत हद तक लड़ना जरी रखा ........प्रमेन्द्र जी को बैन किस लिए किया गया था इसका जवाब किसी के पास नहीं था ..........अगर सामूहिक ब्लॉग से किसी को ( मुझे भी हटाया गया पर अविनाश वाचस्पति ने कोई सुचना नहीं दी अबभी तक ) हटाया जाता है तो जवाब देना चाहिये ब्लॉग मालिक को ............पर ऐसा नहीं होता है ..........
पी एस  पाबला की मुझे धमकी ................
लिखा था उन्होंने की मई तुम पर संवैधानिक कारवाई करूँगा .......कोर्ट तक ले जाऊंगा .............( धमकी दी ) ........मैंने स्वविकार किया .....अब तो सम्मन ( नोटिस ) का इन्तजार करता हूँ ..........जब भी कोई दरवाजा खटखटआता है तो सोचा हूँ की सायद कोई पुलिसकर्मी  हो .............लेकिन  दरवाजा खोलता  हूँ   तो हवा का गुमनाम झोका पता हूँ ...........आखिर कब आएगा सम्मन? जैसे कोई  आतिथि आने वाला हो वैसे मुझे इस सम्मन का इंतजार है................
मेरी प्रतिक्रिया ...........
पाबला जी , आप जो दिनभर बैठ कर इंटरनेट और सरकारी सुविधा का दुपयोग करते हैं उस पर भी कारवाई हो सकती है ( कभी सोचा है की नहीं ) ........मेरे पास कोई काम नहीं है.........पर आप परिवार वाले हैं .....मेरे आगे पीछे कोई नहीं ............कुछ हो भी गया तो परवाह नहीं .....लें आप का क्या होगा ? बच्चे सड़क पर भी आ सकते हैं ..........अगर नौकरी चली जाये तब ................और हाँ मैं भी कारवाई कर सकता हूँ .....लें सुरुआत आप करेगे और ख़तम मैं करूँगा ............कोर्ट के चक्कर लगाते लगाते जुटे न घिस जाएँ तो कहियेगा .........ऑफिस आना जाना भूल जायेगे.. बाकि मेरा क्या होगा इसकी मुझे परवाह नहीं है.........अब तो साम , दाम , दंड , भेद चारों  तरीके से आप सबसे निबटूंगा .........बाकि अजय झा .......अविनाश वाचस्पति , खुशदीप जी मेरे खिलाफ तयारी कर ले ............बिगुल बज चूका हैं ...........
चलते चलते ........
जूनियर ब्लोगर येसोसिएसन  बन चुका है...........और जल्द ही आपके सामने होगा .........मैं फिर से कह रहा हूँ की जुनिओर ब्लोगर एसोसिएसन उस हर ब्लोगर  का विरोध करेगा जो किसी नए , नामी  या वरिष्ठ ब्लोगर की बिना बात के प्रताड़ित करते हैं ..........मैं किसी विशेष के विरोध में नहीं हूँ पर गुटबाजी और चाटुकारिता को  जो बढावा दे रहे हैं .....वही हमारे विरोधी हैं .... ....उनके ही खिलाफ काम किया जायेगा ...........और हां मई अपनी बात कहने में खुद समर्थ हूँ .......कोई भी आग में घी डालेगा तो आंच उनके ऊपर भी जाएगी ...........

Monday, May 31, 2010

वरिष्ठ ब्लोगर व ब्लोगर सम्मानित का मुहतोड़ जवाब दूंगा.......( अब देखिये गुटबाजी का शबब)..............जूनियर ब्लोगर एसोसिएसन का गठन .......neeshoo

दिल्ली है दिल वालो की .......नहीं जनाब दिलवालों की नहीं ......चिरकुट वालों की ........काबुल में गधे होते हैं ये आप ने भी सुना होगा .....तो यहाँ क्यूँ नहीं होगें ....... वैसे भी महाशक्ति "ब्‍लागिंग वाले गुन्‍डो के बीच फंसी चिट्ठाकारी" पर प्रमेन्द्र जी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये हैं ..............मैंने लिखा अजय झा को बुरा लगा .......बात समझ में आती है....पर अविनाश वाचस्पति को क्यूँ बुरा लग गया ? हाँ तो अब ये बात और भी साफ हो जाती है की गुटबाजी जरुर है.......जिसका प्रत्यछ उदाहरन ...........मुझे नुक्कड़ से निकला जाना है........मैं तो अब और भी खुले तौर से कह सकता हूँ की अजय झा , अविनाश वाचस्पति , पी यस पाबला और खुशदीप ने मिलकर दिल्ली ब्लोग्गर सम्मलेन के तहत साजिश की थी  मिलने मात्र की .........पर बात तो कुछ और ही थी ..........यहाँ ही बड़ा ब्लोगर और छोटा ब्लोगर जैसा बनाने की पूरी तईयारी कर ली हैं .........मिलना तो एक बहाना मात्र था ............इस सम्मलेन के प्रयोजन के और भी राज खुलेंगे .........तैयार रहें अविनाश , अजय झा और पाबला ...........हम देखें की कितना हैं दम बूढी हड्डियों में .........
.............ब्लोगर का शोषण ...........
मैंने खुद महसूस किया की कुछ सठियाये ब्लोगर खुद को तोप समझते हैं .........पर यहाँ सब एक बराबर हैं ....न कोई बड़ा और न कोई छोटा ............सब लिखते हैं .......इसलिए सबका बराबर का अधिकार हैकोई अपने बाप की बपौती न समझे ...और जो ऐसा समझ रहें हैं उनके लए खतरा कायम हैं
....जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन ( जल्द ही )............
वरिष्ठ ब्लोगर के खिलाफ जूनियर ब्लोगर एसोसिएसन जल्द ही आ रहा है जिसकी लगभग सारी प्रक्रिया पूरी हो गयी हैं .........यह एसोसिएसन वरिष्ठ ब्लोगर द्वारा नए व किसी अन्य ब्लोगर पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएगा .............जिस किसी को भी यह लगता है की उसका आत्म सम्मान खतरे में है वह हमसे जुड़ सकता हाँ ..........मठाधीशी जैसा कोई चुनाव नहीं होगा ......कानूनी , कलम , और हाथापाई हर प्रकार से यह एसोशियेशन काम करेगा  ..........
............आइये हम जूनियर ब्लोगर वरिष्ठ ब्लोगर और सम्मानित ब्लोगर के खिलाफ लाम बंद होकर मुहतोड़ जवाब दें .. 

Sunday, May 30, 2010

अविनाश जी दें अब जवाब .(सम्मानित ब्लोगर हो क्या ?)...........आपके नुक्कड़ पर मैंने तो नहीं लगाया जाम ? (चापलूसी नहीं विरोध करता हूँ )

रोज ही ऑफिस आने पर ब्लॉग एक नज़र जरुर देख लेता हूँ ......समय कम होता है इसलिए भी ऐसा करना मज़बूरी है...........गुजरे साल में कई ब्लॉग पर कभी कभार लिख देता था ........पर इन कुछ महीनो में ऐसा करने में असमर्थ रहा ........अभी कुछ दिनों से अपने ब्लॉग पर ब्लोग्गिं में संगठन का विरोध कर रहा हूँ .......( यह सार्थक है या नहीं इस पर पहले भी बहुत विवाद हो चूका है) .........पर मैंने जब ब्लॉग खोला तो देखा की ...नुकड़ ब्लॉग मेरी सूचि से गायब था ..जिसका मैं सदस्य हूँ ..............अविनाश वाचस्पति जी ने ईमेल कर जुड़ने को कहा था .......मैंने उनकी बात मान ली थी...पर बिना बताये मुझे अविनाश जी ने क्यूँ हटाया ?   
वैचारिक मतभेद और तानाशाही के बीच इस तरह की घटिया कारवाई को बिना बताये करना कितना जायज है अविनाश जी ?
और वैसे भी मैं खुद नुक्कड़ पर लिखने के लिए अपने आप से  तो गया नहीं था ...बल्कि आपने खुद ही आमंत्रण देकर बुलाया था ...फिर इस तरह से बिन बताये चोरी  चुपके से नुक्कड़ से हटाने के पीछे क्या वजह है? 
अविनाश जी अगर आप विरोध के बदले ये कारवाई कर रहे हैं तो ठीक है पर जब खुद पर इस तरह का कोई मामला आएगा तो रिरीआइयेगा  नहीं ............और हाँ वैसे भी आप लोग तो सम्मानित ब्लोगर हैं न ? ....................तो इस तरह का सम्मान आपको ही मुबारक ..............जिससे आपकी शोभा बदती हो .........गुटबाजी और संगठन का मैंने विरोध किया है और करता रहूँगा .........पर विरोध को सहने की आदत शुरू कर  लीजिये ..............क्यूंकि चापलूसी हर जगह मिलती होगी पर यहाँ नहीं मिलेगी ..............जवाब तो क्या खाक देगें आप ..........उसके लिए भी कुछ चक्कर चलाइये  न जिससे काम बन जाये ......

Saturday, May 29, 2010

आँधियों से कह दो औकात में रहा करे .............(धमकी नही करवाई करें )...............मैं करता हूँ ब्लोगिंग में संगठन का विरोध

"साख से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम

आँधियों से कह दो औकात में रहा करे "..
ये इस लाइन को सुनकर , पढ़ कर मेरा हौसला बढ़ता है....वैसे भी खुद का आत्मविश्वास होना जरुरी है....मुझको ब्लोगर कुछ भी कहे पर मैं जो भी लिख रहा हूँ ....उस पर कायम हूँ ...........हाँ कुछ लोगो को बुरा लगे तो लगे ...और बुरा लगने का कारन वो सबसे बेहतर जानते हैं ....मैं तो बुरा हूँ ..बुरा लिखता हूँ . पर जो अच्छा लिखते है आज उनसे बस एक सवाल की .............जब खुद को बौधिक छमता का धनी मानते हो तो फिर मेरे द्वारा विरोध का डर क्यूँ ? आखिर आपने खुद ही कहा फिर मेरी बात की क्या महत्ता ? फिर भी इस तरह प्रतिशोध  की आग में जलना क्यूँ?     अरे हाँ दुसरे से भी कुछ न कुछ  लिखवा लो ? फिर भी मुझे जो कहना हैं ...कहूँगा ही ....अपनी मदमस्त चाल  से चलना ही मेरा काम है....वैसे भी किसी के मान सम्मान को जब ठेस पहुँच रही है ( हाँ भाई सम्मानित तो होगें ही जब इतने सारे कठमुल्ले हाँ में हाँ मिलाने को हैं ) तो वह केवल धमकी ही क्यूँ देते हैं ? ....जहाँ जाना  हैं जाएँ ना ...मना किस ने किया है? वैसे भी जब बात संविधानिक प्रक्रिया तक आएगी तो कलई खुद बखुद ही खुल के सामने आएगी .........कोई जातिगत .......या आपसी बैर के वशीभूत मैंने किसी को नहीं लिखा है ..बाकि अगर किसी को ऐसा लगता है तो वह स्वविवेक से क़ानूनी करवाई  करने को स्वतंत्रत है....
और जब बात असभ्य भाषा तक आ गयी है तो कुछ भी कहो न ?  गाली भी दे ही रहे हो ...........इसमें आपका ही सम्मान झलकता है?........मुझे तो गालियों से जिस तरह नवाजा जा रहा है वह काबिले तारीफ है .....
मैंने ब्लॉग पर जो भी लिखा उसको शायद समझने या समझाने में मैंने गलती की ............ बात सगठन की हुई तो इस पर मैंने विरोध दर्ज कराय .........क्या यह गलत है ?????????...हम बात करते संगठन की .....आखिर किस लिए आज आवश्यकता आ गयी ..संगठन की ..........कुछ मुट्ठी भर ब्लोगर की राय ली जाये बाकि और बलोगर की राय क्यूँ नहीं ली गयी ...या फिर खुद ही मठाधीश बनने की इच्छा है ? अगर ऐसा नहीं तो फिर वजह क्या आन पड़ी ? ......
मेरा अपना राग है जिसे मैं अपने दम पर अलाप रहा हूँ ...ज्सिको अच्छा लगे सुने या न सुने ........बाकि बेनामी कोई बाहर  का नहीं है ..क्यूँ न नकाब उतार कर सामने लाया जाये ...........और अगर किसी को मेरा नाम लेकर कहना है तो कहे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ..........क्यूँ की  मैं किस किस का मुह बंद  करूँगा  ......अपनी जुबान है चाहे गाली  दो या ...........कुछ और .................जायेगा आपका ही ...............गाँधी जी की बात उन  ब्लोगर के लिए जो सामने आ कर नहीं बोल सकते हैं बेनामी स ेगाली देते हैं ......................" की आपने जो दिया मैंने उसको लिया ही नहीं ................शब्द कम .......खुद ही समझो 

Friday, May 28, 2010

आओ सम्मान करें हम .......बकवास करें हम.......सुनियोजित विवाद करें हम (ब्लोगर सम्मान )

आप हमेशा वही करते है जो आप को सही लगता है और कभी कभी किसी दुसरे के भी मन से कुछ करते है अगर वो राय या विचार आपको पसंद आये तब ? यह तो भाई आपकी अपनी निजता है ? इसमें किसी को क्या एतराज ? लेकिन  नहीं एतराज होता है ....एतराज चार कठमुल्ले  पकड  कर कराया जाता है ....और एतराज तक तो बात हो तो ठीक है ...सीधे शानदार गालियों  से पूजा अर्चना की जाती है ....साथ ही कहते है की " जिसे मय का पता न हो वो मयखाना क्या जाने ? बात तो उनके नजरिये से इस लिए भी ठीक है क्यूंकि .....चटका और कमेन्ट का थोक भाव से सौदा जो हुआ है ...कुछ तो नियम कानून का पालन  करना ही होगा .......खुला मंच हो तो बहस  नहीं मारपीट तक के लिए आखाडा बना लेना कोई बड़ी बात नहीं ...पर किसी पोस्ट से नया विवाद खड़ा करना कुछ दिल्ली वालों से सीख  लो ......और न होतो मिस कॉल करके बात कर लो ....समझौता हो ही जायेगा .....आइये कुछ हत्कंडे दिखाता  हूँ सम्मानित और ब्लोगिंग के सुधारको के ...जिन्हें आजकल बहुत चिंता है ...की खतरा कभी भी हो सकता है ? मौसम विभाग की तरह ही ये भी भगवान के चेले और यमदूत है जो चमत्कार को चमत्कार नहीं बल्कि नमस्कार को चमत्कार बना देते है ....तो क्यूँ न कुछ टिप्स ले लो ......वैसे भी ब्लॉग पर शादी कराना .........प्यार कराना ही बहुत सही दिशा में लिखी और मुद्दों की  पोस्ट होती है ....ना ...सार्थकता तो चम्चेबाजी और चाटुकारिता में है .....बाजार में बेचो न अपना माल ....पर मैं क्यूँ करूँ तुम्हारी चाटुकारिता ...? अब देखो ये जिससे सभी चाह  कर भी  नहीं कह सकते ? 
१...........आन लाइन होना ..............
ब्लोगर के लिए जरुरी है की जान पहचान हो जाये ...मोबाईल होतो बात भी हो जाये ..फिर क्या ? आप इन्टरनेट पर है और वो भी गलती से आन लाइन है तो ..इन्बिस्सिबल होते हुए भी चटका और कमेन्ट देने का आदेश कभी भी आ सकता है ...इस लिए सावधान होना आपके लिए घातक  होगा .....क्यूंकि आपने कमेन्ट न दिया तो फिर गयी भैंस पानी में ....समझे न .....
२................ईमेल.......
सबसे अच्छा साधन है ईमेल ...जिसके लिए किसी के आनुमति की आवश्यकता नहीं है ...आराम से नेट से उठाया और चेप दी ईमेल .......अब ब्लोगर करे तो क्या करे ? जबरदस्ती तो देखो बार रोकने और कहने पर भी बाज नहीं आते ...अरे जब अच्छा लिखते हो तो कहे परेशान हो ...? वैसे भी आप सम्मानित है न ? तो फिर ये परेशानी का सबब क्यूँ? अच्छा ब्लॉग रैंक ज्यादा हो जाएगी .....न न न पढ़ लेगे और चटका भी लगा देगें ...अब तो jao भाई .... हो गया न काम ?
३.............निंदक नियरे राखिये ..............
कवीर दास ने कहा ...हमने बचपन से पढ़ा ..पर आज तो यथार्थ में भी दिख रहा है .....ब्लोगर के बीच विवाद को प्रयोजित किया जाता है या कराया जाता है .....आप तो इसको तुचछ  मानते है न ...लेकिन दाल इससे ही गलाते हो  .....लेकिन फिर भी सम्मानित ?
४................सम्मान करें हम ........ चलते चलते 
आओ सम्मान करें हम ......साथ चलें हम .............बकवास करें हम ..........तू  मेरा... मैं तेरा ...सुनियोजित विवाद करें हम .....आओ सम्मान करें हम ...

Thursday, May 27, 2010

.ब्रम्हांड सम्मलेन में होगा ब्लोगर मठाधीश का चुनाव आप भी आना .....( एकजुटता में शक्ति )......आजमाओ तो जानो ब्लोगर बंधुओं

ब्लॉग पर चाहे  बेनामी का कमेन्ट हो या फिर किसी नामी  गिरामी का मैं किसी पर भी पर भी पाबन्दी लगाने के खिलाफ हूँ ...क्योंकि अगर मुझे कोई गलत बात कहता है तो मैं उससे स्वाविकार  करने में जरा भी गुरेज नहीं करता हूँ ...क्योंकि गाली या बुराभला  वही कहता  है जिसके पास शब्द कम हो जाते हैं  ....हाँ जिसको जो समझना और कहना है वह कहेगा ....क्योंकि सभी को पता है की वह क्या कर रहा है ? 
........ब्रम्हांड सम्मलेन 
अब जल्द ही  ब्रम्हांड ब्लोगर सम्मलेन चाँद पर होगा ....जिसमे सभी ब्लोगर विमान और उपग्रह से पहुँच कर शामिल हो ...सबसे अच्छी बात इस  ब्रम्हांड सम्मलेन की यह है की यहाँ पर ब्लोगर मठाधीश को गुटबाजी कर चुना जायेगा .....इसका सबसे अच्छा फायदा यह है की हम सभी किसी के विरोध को आसानी से कमेन्ट कर दबा देंगे .....साथ ही कई और उप मठाधीश भी चुने जायेगे .....सबको ब्लॉग पर पोस्ट करके सुचना दी जाएगी ......और जिसको कोई सूचना न मिले वह टाक झांक  जरुर कर ले वरना न हक़ आप वंचित हो जायेंगे  .... 
आइये हम सभी मिलकर किसी की बात की दबा दें ..
२... एकजुटता में शक्ति
वाकई एकजुटता में बहुत शक्ति है .....किसी पर भी प्रहार कर उसके अस्तित्व को ख़तम किया जा सकता है ...पर यही चीज तो सबके पास नहीं है ....आप भी किसी प्रकार का सम्मलेन कर ऐसी शक्ति पा   सकते  हैं ...तो करिए न आप भी  इस शक्ति का इस्तेमाल संगठन बना कर ....क्योंकि संगठन बनेगा तो आप भी तो कुछ न बन ही जायेंगे ...
३...बकबक 
ये तो सब बेकार है ....कूड़ा करकट है ...यहाँ चापलूसी नहीं मिलेगी ...कुछ और दरवाजा खटखटाओ तो शायद बात बन जाये
.....

Wednesday, May 26, 2010

सम्मेलन या गुटबाजी बनाम बेनामी का खुलासा ?? (कुछ तो हुआ ...).......................एक विचार

अभी कुछ दिन हुए इंटर नेशनल ब्लोगर सम्मलेन  को हुए ...........एक अच्छी पहल है इस तरह का आयोजन ........लेकिन इससे पहले का दिल्ली के लक्ष्मी नगर में ब्लोगर सम्मलेन हुआ था ....जिसको मैंने " खाने खिलाने " से ज्यादा कुछ भी नहीं समझा था ...ब्लोगर भाइयों  को यह बात ख़राब लगी ..पर सचे दिल से आज भी मैं उसी बात को सही पता हूँ ......दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन के आयोजकों को बस यही बात ख़राब नहीं लगी बल्कि वे यहाँ तक उतारू हो गए की बेनामी से भी कमेन्ट करने से बाज नहीं आये ....कुछ प्रमुख बिन्दुओं को लिख रहा हूँ जिससे आयोजक भी इनकार नहीं कर सकते ....
१..............बेनामी कमेन्ट ....
मैंने कुछ दिन पहले लिखा था की " क्या मर रही है ब्लोगिंग ?एक विचार " पर  बेनामी से कमेन्ट आया की ....अजय जी ने पैसे खाए है...दूसरा यह की " सम्मलेन में रचना जी और अनूप शुक्ल जी भी आये थे ....जो मसिजीवी से ही मिल कर चले गये ? यह बात तो आजतक भी मुझे न पता चल पाई थी ...लेकिन लक्ष्मी नगर में हुए ब्लोगर सम्मलेन में रचना जी ओ अनूप शुक्ल जी आये तो यह बात सभी उपस्थित ब्लोगर से छिपाई क्यों गयी ?
दूसरा यह की  ( नाम न बताने की शर्त पर एक ब्लोगर जो की आयोजक के बहुत ही करीबी है ....उन्होंने बताया की रचना जी और अनूप जी के आगमन की बात ३ से चार ब्लोगर को ही पता थी )  अगर बेनामी से कमेन्ट आया तो इसका मतलब यह की वोह कमेन्ट करने वाले महाशय भी आयोजको में से ही हैं ...इसका मतलब की चोरी भी सीना जोरी भी ...वैसे जिसने किया वहहै वो समझ गये होगे ...अब आयोजक कौन थे ? ये आप खुद ही पता लगाईये ?
२.............सूचना ....
दुसरे इंटर नेशनल सम्मलेन में हमको और मिथिलेश दुबे जी को नहीं बुलाया गया .....वैसे ये तो आयोजक की इच्छा पर था ...मिथिलेश जी को भी कोई सुचना मिली .....हाँ बाद में रपट देख लिया था ...मिथिलेश जी ने तो कहा ...की भाई हम उस काबिल नहीं जो वह पर हमको बुलाया जाता ...बात वैसे सही भी है ...पर मिथिलेश भाई ने साफ कहा की चलो कम से कम गुटबाजी से बचे ..... दूसरी तरह यह भी कहता हूँ मैं की हमको तो बहिस्कृत किया गया ...इसमें किसी का दोष नहीं ...बस समय  ही ऐसा बना आया की ये तो होना ही था..
३...............चुपके चुपके ....
कुछ बात तो अब तक छिपी है लेकिन धीरे धीरे  ही सही पर बाहर आएगी ही .......वैसे विचार में समानता और असमानता ही हमको दोस्त और दुश्मन बनाती है ....  यानि नज़दीक और दूर करती है 
तो यहाँ भी आश्चर्य क्यों ???????

Saturday, May 22, 2010

ब्लोगिंग के लिए गूगल पर होना चाहिये केस ? ( क्योंकि आप का भी मान सम्मान है ?) एक विचार

आज मेरी एक पुराने  ब्लोगर से बात हो रही थी...जो की इलाहाबाद से जुड़े है  .........ब्लोगिंग के बदलाव  पर भी काफी देर बात हुई ..वो भी मेरी ही तरह कुछ  दिनों से  गायब थे .....इसका उनको जरा भी दुःख नहीं है ........हाँ अफशोस जरुर है ....वह इसलिए क्योंकि आज के बदलाव में बहुत से सुधार होने पर जोर देते है ....ब्लॉगर और ब्लोगिंग दोनों पर अपनी राय व्यक्त  करते हैं ......एक तो यह की इस बदलाव में अपने आप को ढाल ले या फिर खुद से प्रयास करें ....हाँ इस दौरान कोई हमारा सहयोग करेगा तो कोई विरोध भी करेगा .........लेकिन अपनी बात को सब के सामने रखना तो होगा ही ...अक्सर होता है कोई भी पाठक ब्लॉग पर आता है और अपनी बात कहता है ...यहाँ तक तो ठीक है ...
.पर आकर असभ्य भाषा का प्रयोग भी करने वालों की जमात कुछ कम नहीं है .....हमेशा ही लोग करवाई की धमकी भर देते है और बाद में मामला कुंद हो जाता है .....क्या ऐसी चेतावनी बस कहने भर को होती है या फिर डराने को होती है ...
दूसरा मुद्दा .....बात होती है कमेन्ट पर पाबन्दी की .....कई तो ब्लोगर तकनीकी रूप से इससे अनजान होते है और दूसरा की कोई बेनामी ही नहीं नाम से भी लोग बुरा भला कहते है ...उनका क्या ? और साथ ही आज भी ब्लोगिंग में अपना नाम गिनाने  से पीछे नहीं हटते हैं ...आखिर ऐसे लोगों का क्या इलाज  होना चाहिए  ????......मैं तो पाठक को बोलने का पूरा मौका देना चाहता हूँ ....हाँ आप इससे अलग सोच सकते है ....कुछ ब्लोगर का कहना है की जो ब्लोगर कमेन्ट पर बेनामी को नहीं रोकते इसमे उनकी भी मिलीभगत होती है ...और वह  ब्लोगर  बेनामी से बड़ा दोषी है .....पर यहाँ यह बात गौर करने वाली है की क्या हम दिन भर कंप्यूटर के सामने बैठ कर यही करते रहें ? अगर किसी ने नाम से ही गलत पहचान से किसी को गाली  देता  है तो इसका क्या विकल्प होगा ? वैसे मेरे विचार से बेनामी को तो आप रोक पाएंगे पर गलत पहचान वाली ईमेल से किया गया कमेन्ट कैसे रोकेंगे ? 
समाधान
हम ब्लॉग गूगल पर चलते है  ..अगर वह ऐसी सुविधा दे तो हमको इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा .......क्यूँ न जो कुछ करना हो वह गूगल पर किया जाये या कहा जाये जिससे किसी की मानहानि न हो और ब्लोगिंग भी चलती रहे और ब्लोगर का मान भ कायम रहे ...ये मेरा विचार है ..आप क्या सोचते हैं?
 

Friday, May 21, 2010

रचना जी की ही ऐसी उलाहना क्यों ?

पिछले कुछ महीनो से लेखन में रूचि जाती रही ....कारण बिलकुल साफ है की मेले में कुछ भीड़ ज्यादा ही है .....ब्लागर बंधुओं से फ़ोन से ही जानकारी मिल ही जाती है..की क्या कुछ नया  हो रहा है ...हाँ जब कभी समय मिला तो नज़र दौड़ा ली जाती है.......जो कुछ पसंद आया उसको पढ़ लिया ....एक दो पिछली मेरी लिखी पोस्ट विवाद का कारण बनी ...अच्छा बिलकुल भी नहीं लगा ...सभी ने तलवार खिची थी मेरे विरोध में ..........चलो यहाँ तक ठीक  है....पर मैंने कई बार पाया वहहै की रचना सिंह जी को बुरा भला कहा जाता  है...इस पर महिला ब्लागर ने आपत्ति तो की पर हमारे अन्य विरोधी ब्लोगर बंधुओं को जरा भी एतराज नहीं हुआ .....इस्सका क्या मतलब निकाला जाये ......हम खुद को तो अच्छा दिखाना चाहते  है. पर अपने महिला ब्लोगर मित्र के लिए कोई सम्मान क्यों नहीं है. 
हाँ मैं मुक्ति जी को  छोड़कर किसी और का नाम नहीं ले सकता हूँ ...जिन्होंने रचना से सम्बंधित बातो को हटाने की बात कही थी ...इसका मतलब की हम खुद  चाहते है. की महिलाओं पर ऐसा लिखा जाये और हम चटकारे ले कर पढ़ें ..... 

Thursday, May 20, 2010

फहरा दो पताका विश्व पटल पर..........( ये हवा कुछ बहकी बहकी है )....एक विचार

ब्लोगिंग के दौरान बहुत अच्छे लोगों से जुडाव हुआ .....एक दूसरे  की विचारधारा को जानने समझने में  आधुनिक तकनीकी ने सहयोग दिया ...केवल दिल्ली  ही नहीं वरन विदेशों में रहने वालो लोगों से नजदीकियां बनी .....आमतौर पर बाहर  बसे भारतियों छवि मेरे जेहन में खास अच्छी नहीं थी ...उसका एक कारन भी है ...हमको अपनी मातृभूमि के लिए काम करना चाहिए ...जो की किसी और देस में जा कर नहीं हो सकती ....हाँ कुछ गिने चुने लोगों की बात छोड़ दी जाये तो .......ऐसे में अंतरजाल पर मेरी मुलाकात " गुड्डो दादी " से हुई ...पहले तो प्रोफाइल देखा ...जिसमे शिकागो लिखा था यानि  यूएस  .....ईमेल से कई बार बात हुई ...बात कर मैंने पाया की मैं गलत था .....दूर देश बैठी उस महिला में देश के प्रति गज़ब का प्रेमभाव था ...धीरे -धीरे दादी से  बात कर जाना की वे भले ही हिन्दुस्तान में नहीं पर सोच पूरी तरह भारतीय है .....लोग बात करते है संस्कृति की , सभ्यता की , और नारी की .....पर इन सब मुद्दों पर दादी ने तब से लेकर आजतक के बदलाव के सकारात्मक और नकारत्मक दोनों पहलुओं पर विस्तार से बताया ....
आज हम खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते है ......विश्वास नाम की चीज गायब हो गयी है या ये कहें की मानवता मानव में नहीं रही है .....वैसे यह विषय विचारनीय है ....(बहस हो सकती है ) ........या फिर ये कहें की नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है .... इसके कई कारन साफ तौर पर देखे जा सकते है ....
* बदलाव की हवा से भारत अछूता नहीं रहा है .....तो ऐसे में बहुत कुछ परिवर्तन होना संभव है .....नंबर एक तो सोच में ....दूसरा पहनावे में ....(जिसको नारी विरोधी लोग नहीं स्वविकार  करते हैं ) ......तीसरा पहलू एकान्तवाद यानि अलगाववाद या एकल परिवारवाद ....कई और भी बिंदु है पर प्रमुखता पर इस ओर  ही मैंने ध्यान देने की कोशिश की ...
१..........शिक्षा से बौधिक छमता  में बदलाव आया यह सकारात्मक और नकारत्मक दोनों ओर हुआ .......लोगों ने दुनिया में हो रहे बदलाव में खुद को  ढालना चाहा..... जिसे हम नकारात्मक बदलाव इस लिए कहते है क्यूँ की इससमे स्वछंदतावाद दिखाई देता है ......फिर भी ऐसी बहुत सारे  लोगों ने अपनी सोच में बदलाव किया हमारी सोच से आज भी परे है पर उसको हमको स्वविकार करना होगा .
२..........पहनावे में हो रहे बदलाव पर बहुत कुछ कहा जाता है लिखा जाता है ..लोग यहाँ तक भी कहते है की पहले सोच बदले फिर पहनावा लेकिन जिसमे दोनों बदला ली उसको भारतीय संस्कृति का दुश्मन कह दिया जाता है ...अगर महिला या लड़की करे तो वह और भी बुरा है ....( सोच की बात है ) .....पहनावे पर अगर जाएँ तो भारतीय परिधान क्या है ? इस पर न तो आप ही खरे उतरे है और न महिलाएं तो महिला ही कटघरे में क्यूँ खड़ी की जाये ? 
३...........परिवार में विखराव आज की सबसे बड़ी मजबूरी और सबसे जटिल समस्या है ..जिसका प्रभाव वर्तमान में हम सभी देख रहे हैं ....खुशियाँ चहरे  पर झूठी दिखाई पड़ती है ....बच्चों  का बचपन थम सा गया ...दादा दादी को आधुनिकता का कलंक मान लिया गया ....हस्ती जिंदगी मे सब कुछ दिखावे ने ले लिया .....पैसे है पर संतोष और शान्ति गायब है .....प्यार विखर गया ....
अब इसे हम सवीकार करें या फिर प्रतिकार ? यह जटिल प्रश्न है ?
इस सामाजिक उथल पुथल के लिए कौन से कारक  जिम्मेदार आप समझते है ? स्वागत है आपके विचार का / 
 
 

Wednesday, May 19, 2010

" बात निकली है तो दूर तलक जाएगी .....(तो ब्लॉग लिखना गुनाह है क्या ? ).....एक विचार

1......मेरी बात 
ब्लॉग पर मेरी लिखी पिछली पोस्ट (क्या मर रही है ब्लागिंग???............एक विचार) पर जो कुछ भी हुआ वो शर्मनाक है.....वैसे भी विवाद खड़ा करना आदत सी हो गयी ...मैंने किसी को निशाना नहीं बनाया था ...पर कुछ बंधुओं को बुरा लगा ...मैंने सम्मलेन में " खाने खिलाने की बात क्यूँ की इसको किसी ने न जानना चाहा ? बेनामी से कमेन्ट आये ...सीधा आरोपित मुझे किया जा रहा है...मुझे इसका जरा भी मलाल नहीं है ..सभी अपनी राय देने को स्वतंत्र है ...मुझे पाबला जी संवैधानिक कारवाई की चेतावनी दे रहे है . यह कदम स्वागत योग्य है ..अगर ऐसा होता है तो यह कुछ न कुछ सकारात्मक बिंदु को आगे लेकर ही आएगा ... बात इपी एड्रेस की हो रही है. मैं तो चाहता  ही हूँ की .....ये राज खुले ...रही बात मेरी तो मैं अपनी बात पर कायम हूँ और रहूँगा ...बाकि आपको क्या करना है ये आप अच्छे से जानते है ? .
ब्लॉग पर लिखना गुनाह है या फिर अपनी बात कहना ? कुछ ने स्वतंत्रता और स्वछंदता में अंतर को बताया है ....इस सबसे परे एक बात की " कुछ तो लोग कहेगे , लोगो का काम है कहना ....
कुल मिलाकर पोस्ट निरर्थक हो गयी . जिस विषय पर  बात होनी  चाहिये थी वो बात ही  दब गयी ...अक्सर ऐसा ही होता है की हम अपनी बात को सही तरीके से नहीं रख पाते ....यही पिछली  पोस्ट में मुझे देखने को मिला ....  
2 .......मैं क्यों लिखता हूँ ?
ब्लॉग का दूसरा रूप अभिव्यक्ति है ..लेकिन यहाँ पर मैंने जो देखा वो तो इसके बिलकुल विपरीत है  ...मेरे विचार से कोई सहमत हो ? ....मैं ये भी नहीं चाहता .....पर हाँ जो बात सही हो उसको कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है..... मैं अपने लिए लिखता हूँ और अगर किसी को ये बुरा लग रहा हो ......ऐसा हो सकता है..मुझ से ज्यादा लोग बेनामी पर जब विस्वास करते है तो कहना ही क्या ? आखिर सवाल ये है की जो बात कोई बेनामी कह रहा है वो हममें से ही एक है .. इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता है. ...तो क्यों न इस नकाब को उतारने  की कोशिश करें ...
आखिर में आप अपनी बात बेबाकी से कहिये ...जिसका मई स्वागत करता हूँ ...चाहे  वो मेरे विरोध में ही क्यूँ न हो ...   
3......सीधा सपाट 
चलते_ चलते शेर की ये लाइन याद आ रही है की " बात निकली है  तो दूर  तलक जाएगी .....

Tuesday, May 18, 2010

क्या मर रही है ब्लागिंग???............एक विचार

सन २००७ में ब्लोगिंग के बारे में जाना....तब जिस रूचि और उत्सुकता के साथ ब्लॉग लिखता था वह उत्सुकता दिन_ब_दिन कम होती गयी . ऐसा नहीं की समय नहीं मिलता ..लेकिन लिखने की इच्छा ही नहीं होती .... यग्रीगेटर पर जाकर कुछ चुने लोगों को पढना आज भी अच्छा लगता है ....लेकिन लिखना न बाबा न ..... जब विश्लेषण करता हूँ पुराने दिनों का ...तो ब्लॉग से दूर जाने के कई कारण पाता हूँ .....

१_ प्रोत्साहन

ब्लोगिंग के शुरुआत में लिखने का प्रमुख कारण था की लोग मेरा लिखा पढ़े ....मेरी सोच भी लोगों तक पहुंचे ....जब की ऐसा कम ही होता ...किसी नये ब्लॉग पर ब्लॉगर जाना कम ही पसंद करते हैं ..कुछ ब्लॉगर को अगर छोड़ दिया जाये तो ...आमूमन ऐसा इसलिए भी होता है की हम नए ब्लॉग को कमतर आंकते है ...जो की नहीं होना चाहिये ...ऐसा होने पर ब्लॉगर पूरी लगन से लिखता है लेकिन परिणाम विपरीत मिलता है ..जिससे नए ब्लॉगर हतोत्साहित होते है ...फिर वह इस निराशा को दूर करने के और रस्ते तलाशता ....जो की नकारत्मकता का भी हो सकता है ....लेखन में चटकारापन , कुछ बहुत ही भड़काऊ या मसालेदार ...ऐसा मेरा मानना है ...हो सकता है आप इससे इत्तेफाक न रखते हों ..

२---- विवाद

वर्तमान में कुछ ब्लागरों ने हिट होने का नया तरीका अपनाया ....किसी पुराने लेखक से पंगा ले लो ...वह चाहे सही हो या फिर गलत... नाम तो होगा ही ....इसको हम तुच्छ लेखन कह सकते है पर यह तरीका बहुत हद तक कामयाब होते देखा ...अब यह किस प्रकार से सही है इसको कैसे बताया जाये ...

३ -----गुटबाजी

ब्लॉग लिखने पर ये नहीं सोचा था की कुछ इस तरह की राजनीती भी यहाँ होगी ....पर किसी को आसानी से नीचा दिखाना बहुत मुश्किल नहीं है बस गुटबाजी शुरू कर दीजिये ...अब ये कौन से ब्लॉगर है इसको खुद से हम विश्लेषण कर देख सकते है ..

4...सम्मेलन 

कुछ समय से ब्लॉगर सम्मेलनों ने जोर पकड़ रखा है ...कभी आपको मौका मिले तो जाकर देखियेगा.... चार दिन तक खूब फोटो आप देख पाएंगे ..इस तरह के मीट को सफल करने वाले भी कई है ...फिर हाल मेरा आज तक एक ही ब्लॉगर सम्मलेन में जाना हुआ है ..जो खाने खिलाने से जयादा और कुछ भी नहीं लगा ...


५.....सकारात्मक सोच में बदलाव

हम इन्सान होने के नाते हमेशा सकारात्मक नहीं सोच पाते ...किसी दूसरे से अपनी तुलना करने लगते है जो किसी तरह से सही नहीं है ...किसी से प्रेरणा लेना गलत नहीं पर उस जैसा बनने के लिए कुछ भी कर जाना गलत है ...


अंततः
कहना सिर्फ इतना चाहता हूँ की हम अपने लिए लिखे ....अपनी भावना व्यक्त करें ...किसी प्रकार से मतभेद के बीज न बोयें ....ताकि भाईचारा कायम रहे ...कोई किसी से असभ्य भाषा में बात न करे ... हो सकता है मेरे विचार से आप सहमत न हों पर मैंने जो देखा इन कुछ सालों में वही लिखने की कोशिश की है ....

Saturday, May 8, 2010

पियो सिगरेट ...(कविता )..


पुराणों ने कहा था .सामाजिक कल्याण के लिए ..
असुरो के विनाश के लिए..
महिर्षि दधीचि अपने प्राण तज दिये ..
कलयुगी दधीचि उनसे ..
दो हाथ आगे निकल गए ..
समाज के विनाश के लिए ..
आसुरी भावो के विकास के लिए ..
संजीवनी छोड़ सिगरेट पी रहे ..
सवास्थ्य खुद का व् सामाज का ..
बिगड़ने में आगे निकल गए ..
बूडे समय से पहले हो कर ..
पारिवारिक जिम्मेदारिया से मुह मोड़ कर ..
सारी रिवायातेव से आगे निकल गए ...
दूध और फल खा कर तो ..
हरी गोपाल बन गए ..
सिगरेट पी कर ही ..
हैरी और माईकल निकलते है..
बस और रेल में घर और जेल में ..
सिगरेट सुलगाते जिंदगी निकाल गए ..
जो नहीं पीते उन्हें ताना दे कर ..
हँसी खेल में सिखा गए ..
अगर पैसे न सही ..
फिर भी जिंदगी उधारी से निकल गये..
न मिली सिगरेट तो ..
बीडी सुलगाते जिंदगी निकल गये ..
मेहनत कीसारी कमाई ..
बीडी,सिगरेट की सीढी में चढाते निकल गये..
परिवार की खुशियों को ..
धुएं में उडाते निकल गये..
वो तपस्वी भी क्या थे ..
दान हड्डियों का दे गये..
ऐ तो कलयुग के दघीच..ह
ड्डियों के साथ -साथ ..
फेफडे,गुर्दे भी कुर्बान कर गये ..
साथ परिवार को अस्थमा ..
टी. बी दमा दे निकल गये ..
क्यों कि ..........
धुम्रपान कि राह में खुद ..
कुर्बान हो परिवार को सारे -राह ..
छोड़ निकल गये...

Tuesday, May 4, 2010

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम,

कविता में पिरे

शब्दों की व्यजंना हो तुम,

मर्म-स्पर्शी नव साहित्य की

सृजना हो तुम,

नव प्रभा की पथ प्रदर्शक

लालिमा हो तुम,

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम,

स्वप्न दर्शी सुप्त आखों में

बसी तलाश हो तुम,

सावन की कजरी में घुली

मिठास हो तुम,

चन्द्र नगरी के चन्द्र रथ पर

सवार एक सुन्दरी हो तुम,

रस भरे अधरों के अलिंगन की

कल्पित एक स्वप्न परी हो तुम,

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम ...........

Sunday, April 18, 2010

तस्वीर .....(कविता) ..नीशू तिवारी

मंदिरों की घंटियों की गूँज से ,
शंखनाद की ध्वनियों से

वीररस से भरे जोशीले गीत से
नव प्रभात की लालिमा ली हुई सुबह से ,
कल्पित भारत वर्ष की छवि
आँखों में रच बस जाती है
लेकिन
नंगे बदन घूमते बच्चों को ,
कुपोषण और संक्रमण से जूझती
गर्भवती महिला को
और
चिचिलाती धुप में मजार पर बैठा
गंदे और बदबूदार उस इन्सान को
तो बदल जाती है
आँखों में बसी तस्वीर ,
फिर सोचता हूँ
इस भीड़ तंत्र के बारे में ,
जो
व्यवस्था और व्यवस्थापक के बीच
लड़ रहा है
दो जून की रोटी को ,
तब
बदल जाती हैं परिभाशायें
जो समझाती है
आकडे की वास्तविकता को
जिसमें सच नहीं
झूठ का पुलिंदा बंधा है हमारे लिए
महसूस करता हूँ
दर्द और कलह की वेदना को,

सुख और दुःख के फासले को
जो दिखा रहा है दर्पण
तमाम झूठी छवियों का ,
जिसमे असंख्य प्राणियों के
संघर्ष को बेरहमी से कुचल दिया जाता है
क्यूँ की
दर है तानाशाहों को
की कही न हो जाये पैदा
और खतरे में न पड जाये आस्तित्व
इसलिए
इनको ऐसे ही जीने दो ...

Wednesday, April 7, 2010

एक जवान = १० लाख (हो सकता है ये भी न मिले ) .....सरकार aap सो जाओ


नक्सलियों द्वारा सेना पर हुआ हमला पूरी तरह से नियोजित था .....लेकिन क्या ऐसी चूक हुई की देश के सबसे बड़े हमले को रोका न जा सका ....सरकार ने नक्सल समस्या से निबटने के लिए भले ही अभी तक लाख कोशिशे की हो लेकिन इस वारदात से हकीकत सामने आ गई और सरकार की पोल खुल गयी....नक्सल समस्या को अगर सर्कार आतंकवाद की तरह देखेगी तो शायद ही आसानी से इससे निबटा जा सके .....वैसे तोः बातचीत के रस्ते अब बंद ही होते जा रहे हैं ऐसे में अब नक्सल समस्या को कैसे ख़तम किया जायेगा .....
भारत के लगभग २२ राज्यों में यह समस्या अपने पांव पसर चुकी ह...जिसमे युवा वर्ग अपनी भागीदारी दे रहा वहहै .....या ये कहना गलत न होगा की आने वाला समय और भी भयानक होने वाला वहहै जिसके लिए हम सभी तैयार रहे .......
७६ जवान को हम आज खो चुके हैं यानी एक जाने की कीमत १० लाख रुपया .....सरकार तो किसी भावनात्मक पहलु की तरफ ध्यान न देगी लेकिन जिसने अपना पति , और जिसने अपना बेटा खोया वहहै आखिर आज उसके पासक्या वहहै इस्सका जवाब .........हम तो खबर पढ़ कर भोल जायेगे लेकिन जिसने अपना सब कुछ खोया वहहै उसकी भर पाई कौन और कैसे करेगा ? यह सवाल हर हमले के बाद आता वहहै लेकिन हमले से पहले कभी नहीं ? साडी की साडी रणनीति बेकार हो जाती वहहै जब हम सफल नहीं होते ......आम जनता तो ऐसे ही मरती वहहै और मरती रहेगी लेकिन ऐसी समस्या की जिम्मेदारी कौन लेगा ? और हाँ क्या हम परिवारों के चिराग को वापस कर सकते वहहै ? सबसे महतवपूर्ण सवाल यही हैं ..सर्कार से हम अब क्या उम्मीद करें ? बार बार हमले होने क बाद भी जब सोई हुई वहहै ........कुलमिला कर एक जवान बराबर १० लाख अगर मिले तो क्यों की यह जरुर भी भी नहीं है ...

Tuesday, April 6, 2010

कल रात नींद न आई

कल रात नींद न आई
करवट बदल बदल कर
कोशिश
की थी सोने की
आखें खुद बा खुद भर आई
तुम्हारे न आने पर
मैं उदास होता हूँ जब
भी
ऐसा ही होता है मेरे साथ
फिर जलाई भी मैंने माचिस
और
बंद डायरी से निकली थी तुम्हारी तस्वीर
कुछ ही देर में बुझ गयी थी रौशनी
और उसमे खो गयी थी
तुम्हारी हसी
जिसे देखने की चाहत लिए मई
गुजर देता था रातों को
सजाता था सपने तुम्हारे
तारों के साथ
चाँद से भी खुबसूरत
लगती थी तुम
हाँ तुम से जब कहता ये
सब
तुम मुस्कुराकर
मुझे पागल
कहकर कर चिढाती थी
मुझे अच्छा लगता था
तुमसे यूँ मिलना
जिसके लिए तुम लिखती ख़त
लेकिन
कभी वो पास न आया मेरे
और जिसे पढ़ा था मैंने हमेशा ही

Friday, March 5, 2010

çÁ×ðÎæÚU ·¤æñÙ? ¥æS‰ææ ¥æñÚU çßàßæâ ·¤æ Îðàæ ææÚUÌ ßcæü æÚU ·ð¤ æèÌÚU æç€Ì °ß¢ Ÿæhæ ·ð¤ ¿ÜÌð âñ·¤ÇU¸æð´ ÁæÙð´ »ßæ¢Ìæ ãUñÐ æ»ÎÇU¸ ·¤è ·é¤À ƒæÅUÙæ°¢ çÙØç×Ì ¥¢ÌÚUæÜ ÂÚU ãUæðÌè ÚUãUè ãUñ´Ð çãU×æ¿Ü ÂýÎðàæ çS‰æÌ ÙñÙæ Îðßè ×¢çÎÚU ãUæð Øæ çȤÚU ©UžæÚU ÂýÎðàæ ·ð¤ ÂýÌæ»ÉU¸U ·¤æ ×Ù»ÉU¸U ãUæðÐ °ðâè ƒæÅUÙæ¥æð´ ×ð´ ×éØ M¤Â âð Áæð ·¤æÚU·¤ çÁ×ðÎæÚU ãUæð ÂÚU ×ÚUÌæ ¥æ× ¥æÎ×è ãUè ãUñÐ ãU× âæè â×æ¿æÚU Â˜æ °ß¢ ÅUèßè ¿ñÙÜ ·ð¤ âæ×Ùð ¥æ¢æð Ù× ¥ßàØ ·¤ÚUÌð ãUñÐ Üðç·¤Ù °ðâè ƒæÅUÙæ¥æð´ âð ç·¤âè æè Âý·¤æÚU ·¤è âèæ ÙãUè´ ÜðÌðÐ ÎéƒæüÅUÙæ ãUæðÙð ·ð¤ ÕæÎ ·é¤À çÎÙæð´ ×ð´ ãU× ßãUè´ ÂéÚUæÙð ÚUæSÌð ÂÚU ¿ÜÙæ àæéM¤ ·¤ÚU ÎðÌð ãUñÐ æ»ÎÇU¸ ×ð´ ÃØßS‰ææ ·¤è ·¤×è âæȤ ÙÁÚU ¥æÌè ãUñÐ Üðç·¤Ù ÕÜè ·¤æ Õ·¤ÚUæ ç·¤âð ÕÙæØæ Áæ°»æÐ ØãU ·¤ç×àÙÚU ·¤è çÚUÂæðÅUü ¥æÙð ·ð¤ ÕæÎ ÂÌæ ¿Üð»æ ¥æ× §¢âæÙ ·¤æð ãU×ðàææ âð ãUè ×ÚUÙð ·ð¤ çÜ° çÁØæ ãUñÐ ØãUæ¢ æè ßãUè´ çÙØ× Üæ»ê ãUæð»æÐ ÕðâãUæÚUæ ·ð¤ çÜ° ÁÕ âãUæÚUæ ÁÕ §üàßÚU ãUè ÙãUè´ ãUé¥æ Ìæ𠧢âæÙ €Øæ ææ·¤ ãUæð»æ? Üðç·¤Ù ÂýàÙ çâÈü¤ ØãUè´ ãUñ ç·¤ °ðâð ãUæÎâð ÕæÚU-ÕæÚU ãUæðÙð ·ð¤ ÕæÎ æè ãU× §âð €Øæð´ ÙãUè´ ÚUæð·¤ ÂæÌð?

Wednesday, February 24, 2010

तेंदुलकर ने फिर रचा इतिहास


क्रिकेटर और क्रिकेट प्रशंसक जो शायद सपने में ही सोचते हैं वह सचिन तेंदुलकर ने ग्वालियर में कर दिखाया
रिकॉर्डों के बादशाह तेंदुलकर ने ग्वालियर में इतिहास लिखते हुए वनडे क्रिकेट की दुनिया का पहला दोहरा शतक ठोंका
इस दौरान तेंदुलकर ने 147 गेंदों का सामना किया और 25 चौके और तीन छक्के लगाए.
इसके साथ ही उन्होंने लगभग 13 साल पुराना एक रिकॉर्ड भी तोड़ा और वो है वनडे के सर्वोच्च स्कोर का. पहले यह पाकिस्तान के शईद अनवर (194 रन) के नाम था

Sunday, February 14, 2010

जीवन बना जन्नत

____ जीवन बना जन्नत ____

वेलेन्टाईन डे पर अपनों से बिछड़ों से संवाद करो
रुठ गये जो साथी उनसे अपनत्व का इजहार करो
ना रखो मन में कोई विकार थाम लो स्नेह मशाल
जला कर ज्योति प्रेम की खुशियों का इजहार करो.


॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰विनोद बिस्सा

Thursday, February 11, 2010

वेलेन्टाइन डे बनाम प्यार में धोखा.......... ( सावधान लड़कियां )


इन दिनों बाजार जाकर काफी शुकून मिल रहा हैं , ऐसा लगता है मानों कि किसी बगीचे में आ गये हों , चारों ओर गुलाबी खुशबू फैली है । तरह तरह के स्टाइल में सजे गुलाब के फूलों को देख प्रसन्नता होती है , वैसे तो आम दिनों में इन गुलाबों की कीमत पांच रूपये के आस पास होती है पर इस खास मौके पर ये ३० रूपये से लेकर १००० रूपये तक के हैं । इसलिए देखकर ही अच्छा लग रहा है.............. खरीदना क्या ? जब कभी भी मन होता चाय के बहाने बाजार की तरफ रूख कर लेते हैं । कारण तो आप भी पता ही है भाई , हम बेरोजगार जो ठहरे । महंगाई ने पहले ही दाल रोटी को हमसे दूर कर दिया है ऐसे में भला गुलशन में गुलाब कैसे गुलजार हो सकता है । इस समय तो अपना गुलशन गुलजार जी के गाने से( इब्ने बतूता) ही महक रहा है ।

बाजार में जाने पर पता चल रहा है कि लैला मजनू आफर भी चल रहा है जिसमें काफी हट, पिज्जा हट सबसे आगे हैं । पर मेरे लिए यह सब कहां ? अपनी तो वही पुरानी राम कहानी जो बनाओगे वही खाने को मिलेगा । वैसे भी काफी और चाय के दाम ने मिठास पहले ही गायब कर दी है । पर आप सभी जोड़ें में जाकर इसका भरपूर आनंद ले सकते हैं ।

वैसे भी अगर बाजार किसी त्यौहार को महत्तव न दे....... तो वह फीका ही नजर आता है । वेलेन्टाइन डे को बाजार ने सर आंखों पर लिया है , इसलिए इसका खुमार टीन ऐजर्स पर चढ़कर बोल रहा है । मीडिया की माने तो ड्रग्स और गर्भनिरोधक दवाओं की बिक्री में भी इजाफा हुआ है । कंडोम भी आम दिनों की तुलना में ४० फीसदी अधिक बिक रहा है । वैसे इस तरह से एक फायदा तो जरूर रहेगा जो कि शारीरिक संबध को साफ सुथरा बनाया जा सकेगा । वे लड़किया जरूर सावधान रहें जो इस तरह के विचार की नहीं है। कामोत्तेजक दवाओं को पानी , काफी या किसी और तरल में मिलाकर आपको पिलाया जा सकता है । वैसे प्रेम विश्वास का रिश्ता पर सावधानी आपके हाथ हैं । वर्ना धोखा भी हो सकता है ।

Wednesday, February 10, 2010

महिलाओं ने बदला पानपाट

घूंघट में रहने वाली महिलाओं ने देवास जिले के कन्नौद ब्लाक के गाँव ‘पानपाट’ की तस्वीर ही बदल दी है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिखाया है कि – कमजोर व अबला समझी जाने वाली महिलाएं यदि ठान लें तो कुछ भी कर सकती हैं। उन्हीं के अथक परिश्रम का परिणाम है कि आज पानपाट का मनोवैज्ञानिक, आर्थिक व सामाजिक स्वरुप ही बदल गया है। जो अन्य गाँवो के लिए प्रेरणादायक साबित हो रहा है।

पानपाट गाँव का 35 वर्षीय युवक ऊदल कभी अपने गांव के पानी संकट को भुला नहीं पाएगा। पानी की कमी के चलते गांव वाले दो-दो, तीन-तीन किमी दूर से बैलगाड़ियों पर ड्रम बांध कर लाते हैं। एक दिन ड्रम उतारते समय पानी से भरा लोहे का (200 लीटर वाला) ड्रम उसके पैर पर गिर गया और उसका दाहिना पैर काटना पड़ा। ऊदल अपाहिज हो गया। हर साल गर्मियों में गांव का पानी संकट उसके जख्म हरे कर जाता। मध्यप्रदेश के अन्य कई गांवों की तरह यह गांव भी आजादी के पहले से ही पानी का संकट साल दर साल भोगने को अभिशप्त है। यहां सरकारी भाषा में कहें तो डार्क जोन (यानी जलस्तर बहुत नीचे) है, हर साल गर्मियों में परिवहन से यहां पानी भेजा जाता है। ताकि यहां के लोग और मवेशी जिन्दा रह सकें। औरतें दो-दो तीन-तीन किमी दूर से सिर पर घड़े उठाकर लाती है। जिन घरों में बैलगाड़ियां हैं, वहाँ एक जोड़ी बैल हर साल गर्मियों में ड्रम खींच-खींचकर ‘डोबा’ (बिना काम का, थका हुआ बैल) हो जाते है। सरकारें आती रहीं, जाती रहीं। नेता और अफसर भी पानी की जगह आश्वासन पिलाकर चले जाते पर समस्या जस की तस बनी रही।

इस समस्या का सबसे बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता था औरतों को। आखिर वे ही तो परिवार की रीढ़ हैं। आखिर एक दिन वे खुद उठीं और बदलने चल दीं अपने गांव की किस्मत को गांव के तमाम मर्दों ने उनकी हंसी उड़ाई ‘आखर जो काम सरकार इत्ता साल में नी करी सकी उके ई घाघरा पल्टन करने चली है’ पर साल भर से भी कम समय में ही वे लोग दांतो तले उंगली दबा रहें हैं। इस कथित घाघरा पल्टन ने ही उनके गांव की दशा और दिशा बदल दी है। यह कोई कपोल कल्पित कहानी या अतिशयोक्ति नहीं है, बल्कि हकीकत है। देवास जिले के कन्नौद ब्लॉक के गांव पानपाट की।

इन औरतों के बीच काम करने पहुंची स्वंयसेवी संस्था ‘विभावरी’ ने उनमें वो आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति पैदा की कि सदियों से पर्दानशीन मानी जाने वाली ये बंजारा औरतें दहलीजों से निकलकर गेती-फावड़ा उठाकर तालाब खोदने में जुट गईं। दो महीनें मे ही तैयार हो गया इनका तालाब। जैसे-जैसे तालाब का आकार बढ़ता गया इनका उत्साह और हौंसला बढ़ता गया। उन्हें खुशी है कि अब इस गांव में पानी के लिए कोई अपाहिज नहीं होगा और कोई बहन-बेटी पानी के लिए भटकेगी नहीं। सत्तर वर्षीय दादी रेशमीबाई खुद आगे बढ़ीं और फिर तो देखते ही देखते पूरे गांव की औरतें पानी की बात पर एकजुट हो गईं। उन्होंने पानी रोकने की तकनीकें सीखी, समझी और गुनी। पठारी क्षेत्र और नीचे काली चट्टान होने से पानी रोकना या भूजल स्तर बढ़ाना इतना आसान नहीं था। पर ‘पर जहां चाह-वहा राह’ की तर्ज पर विभावरी को राजीव गांधी जलग्रहण मिशन से सहायता मिली।

बात पड़ोसी गांव तक भी पहुंची और वहां की औरतें भी उत्साहित हो उठीं- इस बीमारी की जड़सली (दवाई) पाने के लिए। यहां से शुरुआत हुई पानी आंदोलन की। अनपढ़ और गंवई समझी जाने वाली इन औरतों ने पड़ोसी गांवों की औरतों का दर्द भी समझा। गांव का पानी गांव में ही रोकने के गुर सीखाने निकलीं ये औरतें। बैसाख की तेज गर्मी, चरख धूप और शरीर से चूते पसीने की फिक्र से दूर। नाम दिया जलयात्रा। 20 से 25 मई 2001 तक यह जलयात्रा भाटबड़ली, झिरन्या, टिपरास, नरायणपुरा, निमनपुर, गोला, बांई, जगवाड़, फतहुर जैसे गांवो से गुजरी उद्देश्य यही था कि-जो मंत्र उन्होंने अपनाया वह दूसरे गांव के लोग भी करें।

जलयात्रा के बाद तो इस क्षेत्र में पानी आंदोलन एक सशक्त जन आन्दोलन की तरह उभरा अब तो मर्दों ने भी कंधे से कंधा मिलाकर चलना तय कर लिया। आज क्षेत्र में सेकड़ों जल संरचनाएं दिखाई देती हैं। इससे भविष्य में यह क्षेत्र पानी की जद्दोजहद से दो-चार नहीं होगा। पानी को लेकर शुरु हुआ यह आंदोलन अब पानी से आगे बढ़कर क्षेत्र की समाजार्थिक स्थिति में बदलाव जैसे मुद्दों को भी छू रहा है क्षेत्र में सफाई, स्वास्थ्य, कुरीतियों से निपटने, शिक्षा, पंचायती संस्थाओं में भागीदारी, छोटी बचत व स्वरोजगार से अपनी व पारिवारिक आमदनी बढ़ाने जैसे मुद्दे भी इन औरतों के एजेंडो में शामिल हैं।

पिछले एक साल में यहां इन्होंने तालाब, निजी खेतों में तलईयां, गेबियन स्ट्रक्चर, मैशनरी चेकडेम, लूज बोल्डर श्रृंखलाबद्ध चेकडेम व मेड़बंदी जैसी कई संरचनाएं बनाई हैं। पर इससे महत्वपूर्ण देखने वाली बात यह कि – यहां के समाज में इन सबसे एक विशेष प्रकार का विश्वास और जागरुकता आई। अब ये लोग अपने अधिकारों को लेने के लिए लड़ना सीख गए हैं। ये अब नेताओं और अफसरों के सामने घिघियाते नहीं हैं, बल्कि नजर उठाकर नम्रता के साथ बात करते हैं।

नारायणपुरा में 5वीं कक्षा पास शारदा बाई गांव की ही ड्राप ऑउट 12 बालिकाओं को पढ़ा रही है। इन गांवो में सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। निस्तारी पानी के लिए 56 सोख्ता गडढ़े व लगभग दो दर्जन घूड़ों में नाडेप तरीके से खाद बनाई जा रही है। क्षेत्र के युवकों को रोजगारमूलक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है तथा किशोरों, औरतों के लिए लायब्रेरी बनाई गई है। क्षेत्र में लगातार स्वास्थ्य फॉलोअप शिविर लग रहे हैं। इन गांवो के लगभग ढ़ाई सौ साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि खुद यहां कि औरतों ने यहां की तस्वीर बदल दी है। इन गांवो में मनोवैज्ञानिक, सामाजिक व आर्थिक बदलाव को आसानी से देखा, समझा जा सकता है। ‘विभावरी’ के सुनील चतूर्वेदी इस पूरे आंदोलन से खासे उत्साहित हैं। वे कहते हैं “एक अनजान धरती पर नकारात्मक माहौल में काम करना आसान नहीं था। व्यवस्था के प्रति पुराना अविश्वास और नेताओं के आश्वासन ने यहां के ग्रामीणों को निराश कर दिया था। पर क्षेत्र की महिलाओं ने हमारे काम को आगे बढ़ाया”। क्षेत्र की औरतों के बीच जुनूनी आत्मविश्वास जगाने वाली विभावरी की एक दुबली-पतली लड़की को देख कर सहसा विश्वास नहीं होता कि यह वह लड़की है जिसने इन औरतों की जिन्दगी के मायने बदल दिये। सोनल कहती हैं। “गांव में तालाब निर्माण काकाम ही सामाजिक समरूपता का माध्यम बना। मैंने इसमें कुछ भी नहीं किया मैंने तो सिर्फ उन्हें अपनी ताकत का अहसास कराया।

झिरन्या के बाबूलाल कहते हैं हम तो इन्हें भी रुपया खाने वाले सरकारी आदमी समझते थे पर इन्होंने तो हमारी सात पुश्तें (पीढ़ियां) तारने जैसे काम कर दिया। काली बाई बताती हैं कि अब उनके काम को सामाजिक मान्यता मिल गई है। देवास, इन्दौर भोपाल तक के लोग उनके काम को देखने व बात करने आ रहे हैं। इससे बड़ी खुशी की बात हमारे लिए क्या हो सकती है?



प्रस्तुति - मनीष वैद्य