जन संदेश

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Friday, February 29, 2008

यूँ मिला के नजर

यूँ मिला के नजर,
चल दिये तुम किधर,
करके मुझको खफा,
ये मेरे हमसफर।
यूँ मिला के नजर.......
रास्ते एक थे ,
मंजिलें एक थी,
फिर ये क्या हो गया,
ये मेरे रहगुजर।
यूँ मिला के नजर..........
प्यार करना न था ,
साथ चलना ना था ,
आयी जो मुश्किलें ,
हो गये बेखबर,,
यूँ मिला के नजर,
ये मेरे हमसफर........-३

Wednesday, February 27, 2008

उनकी एक झलक पाने की ख़ातिर

उनकी एक झलक पाने की ख़ातिर
हम नैन बिछाए रहते हैं
न जाने कब वो आ जाएं
इस कारण एक आँख राह में
और दूजा काम में टिकाए रखते हैं
इंतज़ार ख़त्म हुआ
उनका दीदार हुआ
सोचा था जब वो मिलेंगे हमसे
दिल की बात बयाँ करेंगे
अपने सारे जज़बात उनको बता देंगे
हाय ये क्या गजब हुआ
जो सोचा था उसका विपरीत हुआ
वो आए..थोड़ा सा मुस्कुराए
और कह दी उन्होने ऐसी बात
जिससे दिल को हुआ आघात
कहा उस ज़ालिम ने
मेरा हमदम है कोई और
मेरी मंज़िल है कोई और
बस कहने आया था दिल की बात
फिर होगी अगले बरस मुलाकात

Saturday, February 23, 2008

किसे कहें अपना घर

किसे कहें अपना घर
वो जहाँ बचपन बीता
या वो जहाँ पिता ने भेजा
बाबा बोले जा बेटी आज अपने घर जा
मन ने सोचा तो जहाँ बचपन गुज़रा वो क्या था?
ज़िन्दगी का एक नया पड़ाव आया
जहाँ सब लगते थे बेगाने केवल अपना लगता था साया
दिन बीते साल बीते...एक लंबा पड़ाव गया बीत
कुछ अनबन हुई...मेरी दुनिया हिल गई
पति ने आँख दिखा कर कहा
जा अपने घर चली जा
मेरे दिल में हर वक्त ये सवाल पनपा
जिसे सोच कर बार-बार मन ठनका
सिसकियाँ रुक गईं और मन से निकली चीख
न बाबा ने बताया न पति ने
क्या आप जानते हैं?????
मेरा घर कौन सा है????