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Monday, May 31, 2010

वरिष्ठ ब्लोगर व ब्लोगर सम्मानित का मुहतोड़ जवाब दूंगा.......( अब देखिये गुटबाजी का शबब)..............जूनियर ब्लोगर एसोसिएसन का गठन .......neeshoo

दिल्ली है दिल वालो की .......नहीं जनाब दिलवालों की नहीं ......चिरकुट वालों की ........काबुल में गधे होते हैं ये आप ने भी सुना होगा .....तो यहाँ क्यूँ नहीं होगें ....... वैसे भी महाशक्ति "ब्‍लागिंग वाले गुन्‍डो के बीच फंसी चिट्ठाकारी" पर प्रमेन्द्र जी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये हैं ..............मैंने लिखा अजय झा को बुरा लगा .......बात समझ में आती है....पर अविनाश वाचस्पति को क्यूँ बुरा लग गया ? हाँ तो अब ये बात और भी साफ हो जाती है की गुटबाजी जरुर है.......जिसका प्रत्यछ उदाहरन ...........मुझे नुक्कड़ से निकला जाना है........मैं तो अब और भी खुले तौर से कह सकता हूँ की अजय झा , अविनाश वाचस्पति , पी यस पाबला और खुशदीप ने मिलकर दिल्ली ब्लोग्गर सम्मलेन के तहत साजिश की थी  मिलने मात्र की .........पर बात तो कुछ और ही थी ..........यहाँ ही बड़ा ब्लोगर और छोटा ब्लोगर जैसा बनाने की पूरी तईयारी कर ली हैं .........मिलना तो एक बहाना मात्र था ............इस सम्मलेन के प्रयोजन के और भी राज खुलेंगे .........तैयार रहें अविनाश , अजय झा और पाबला ...........हम देखें की कितना हैं दम बूढी हड्डियों में .........
.............ब्लोगर का शोषण ...........
मैंने खुद महसूस किया की कुछ सठियाये ब्लोगर खुद को तोप समझते हैं .........पर यहाँ सब एक बराबर हैं ....न कोई बड़ा और न कोई छोटा ............सब लिखते हैं .......इसलिए सबका बराबर का अधिकार हैकोई अपने बाप की बपौती न समझे ...और जो ऐसा समझ रहें हैं उनके लए खतरा कायम हैं
....जूनियर ब्लोगर एसोसियेशन ( जल्द ही )............
वरिष्ठ ब्लोगर के खिलाफ जूनियर ब्लोगर एसोसिएसन जल्द ही आ रहा है जिसकी लगभग सारी प्रक्रिया पूरी हो गयी हैं .........यह एसोसिएसन वरिष्ठ ब्लोगर द्वारा नए व किसी अन्य ब्लोगर पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएगा .............जिस किसी को भी यह लगता है की उसका आत्म सम्मान खतरे में है वह हमसे जुड़ सकता हाँ ..........मठाधीशी जैसा कोई चुनाव नहीं होगा ......कानूनी , कलम , और हाथापाई हर प्रकार से यह एसोशियेशन काम करेगा  ..........
............आइये हम जूनियर ब्लोगर वरिष्ठ ब्लोगर और सम्मानित ब्लोगर के खिलाफ लाम बंद होकर मुहतोड़ जवाब दें .. 

Sunday, May 30, 2010

अविनाश जी दें अब जवाब .(सम्मानित ब्लोगर हो क्या ?)...........आपके नुक्कड़ पर मैंने तो नहीं लगाया जाम ? (चापलूसी नहीं विरोध करता हूँ )

रोज ही ऑफिस आने पर ब्लॉग एक नज़र जरुर देख लेता हूँ ......समय कम होता है इसलिए भी ऐसा करना मज़बूरी है...........गुजरे साल में कई ब्लॉग पर कभी कभार लिख देता था ........पर इन कुछ महीनो में ऐसा करने में असमर्थ रहा ........अभी कुछ दिनों से अपने ब्लॉग पर ब्लोग्गिं में संगठन का विरोध कर रहा हूँ .......( यह सार्थक है या नहीं इस पर पहले भी बहुत विवाद हो चूका है) .........पर मैंने जब ब्लॉग खोला तो देखा की ...नुकड़ ब्लॉग मेरी सूचि से गायब था ..जिसका मैं सदस्य हूँ ..............अविनाश वाचस्पति जी ने ईमेल कर जुड़ने को कहा था .......मैंने उनकी बात मान ली थी...पर बिना बताये मुझे अविनाश जी ने क्यूँ हटाया ?   
वैचारिक मतभेद और तानाशाही के बीच इस तरह की घटिया कारवाई को बिना बताये करना कितना जायज है अविनाश जी ?
और वैसे भी मैं खुद नुक्कड़ पर लिखने के लिए अपने आप से  तो गया नहीं था ...बल्कि आपने खुद ही आमंत्रण देकर बुलाया था ...फिर इस तरह से बिन बताये चोरी  चुपके से नुक्कड़ से हटाने के पीछे क्या वजह है? 
अविनाश जी अगर आप विरोध के बदले ये कारवाई कर रहे हैं तो ठीक है पर जब खुद पर इस तरह का कोई मामला आएगा तो रिरीआइयेगा  नहीं ............और हाँ वैसे भी आप लोग तो सम्मानित ब्लोगर हैं न ? ....................तो इस तरह का सम्मान आपको ही मुबारक ..............जिससे आपकी शोभा बदती हो .........गुटबाजी और संगठन का मैंने विरोध किया है और करता रहूँगा .........पर विरोध को सहने की आदत शुरू कर  लीजिये ..............क्यूंकि चापलूसी हर जगह मिलती होगी पर यहाँ नहीं मिलेगी ..............जवाब तो क्या खाक देगें आप ..........उसके लिए भी कुछ चक्कर चलाइये  न जिससे काम बन जाये ......

Saturday, May 29, 2010

आँधियों से कह दो औकात में रहा करे .............(धमकी नही करवाई करें )...............मैं करता हूँ ब्लोगिंग में संगठन का विरोध

"साख से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम

आँधियों से कह दो औकात में रहा करे "..
ये इस लाइन को सुनकर , पढ़ कर मेरा हौसला बढ़ता है....वैसे भी खुद का आत्मविश्वास होना जरुरी है....मुझको ब्लोगर कुछ भी कहे पर मैं जो भी लिख रहा हूँ ....उस पर कायम हूँ ...........हाँ कुछ लोगो को बुरा लगे तो लगे ...और बुरा लगने का कारन वो सबसे बेहतर जानते हैं ....मैं तो बुरा हूँ ..बुरा लिखता हूँ . पर जो अच्छा लिखते है आज उनसे बस एक सवाल की .............जब खुद को बौधिक छमता का धनी मानते हो तो फिर मेरे द्वारा विरोध का डर क्यूँ ? आखिर आपने खुद ही कहा फिर मेरी बात की क्या महत्ता ? फिर भी इस तरह प्रतिशोध  की आग में जलना क्यूँ?     अरे हाँ दुसरे से भी कुछ न कुछ  लिखवा लो ? फिर भी मुझे जो कहना हैं ...कहूँगा ही ....अपनी मदमस्त चाल  से चलना ही मेरा काम है....वैसे भी किसी के मान सम्मान को जब ठेस पहुँच रही है ( हाँ भाई सम्मानित तो होगें ही जब इतने सारे कठमुल्ले हाँ में हाँ मिलाने को हैं ) तो वह केवल धमकी ही क्यूँ देते हैं ? ....जहाँ जाना  हैं जाएँ ना ...मना किस ने किया है? वैसे भी जब बात संविधानिक प्रक्रिया तक आएगी तो कलई खुद बखुद ही खुल के सामने आएगी .........कोई जातिगत .......या आपसी बैर के वशीभूत मैंने किसी को नहीं लिखा है ..बाकि अगर किसी को ऐसा लगता है तो वह स्वविवेक से क़ानूनी करवाई  करने को स्वतंत्रत है....
और जब बात असभ्य भाषा तक आ गयी है तो कुछ भी कहो न ?  गाली भी दे ही रहे हो ...........इसमें आपका ही सम्मान झलकता है?........मुझे तो गालियों से जिस तरह नवाजा जा रहा है वह काबिले तारीफ है .....
मैंने ब्लॉग पर जो भी लिखा उसको शायद समझने या समझाने में मैंने गलती की ............ बात सगठन की हुई तो इस पर मैंने विरोध दर्ज कराय .........क्या यह गलत है ?????????...हम बात करते संगठन की .....आखिर किस लिए आज आवश्यकता आ गयी ..संगठन की ..........कुछ मुट्ठी भर ब्लोगर की राय ली जाये बाकि और बलोगर की राय क्यूँ नहीं ली गयी ...या फिर खुद ही मठाधीश बनने की इच्छा है ? अगर ऐसा नहीं तो फिर वजह क्या आन पड़ी ? ......
मेरा अपना राग है जिसे मैं अपने दम पर अलाप रहा हूँ ...ज्सिको अच्छा लगे सुने या न सुने ........बाकि बेनामी कोई बाहर  का नहीं है ..क्यूँ न नकाब उतार कर सामने लाया जाये ...........और अगर किसी को मेरा नाम लेकर कहना है तो कहे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ..........क्यूँ की  मैं किस किस का मुह बंद  करूँगा  ......अपनी जुबान है चाहे गाली  दो या ...........कुछ और .................जायेगा आपका ही ...............गाँधी जी की बात उन  ब्लोगर के लिए जो सामने आ कर नहीं बोल सकते हैं बेनामी स ेगाली देते हैं ......................" की आपने जो दिया मैंने उसको लिया ही नहीं ................शब्द कम .......खुद ही समझो 

Friday, May 28, 2010

आओ सम्मान करें हम .......बकवास करें हम.......सुनियोजित विवाद करें हम (ब्लोगर सम्मान )

आप हमेशा वही करते है जो आप को सही लगता है और कभी कभी किसी दुसरे के भी मन से कुछ करते है अगर वो राय या विचार आपको पसंद आये तब ? यह तो भाई आपकी अपनी निजता है ? इसमें किसी को क्या एतराज ? लेकिन  नहीं एतराज होता है ....एतराज चार कठमुल्ले  पकड  कर कराया जाता है ....और एतराज तक तो बात हो तो ठीक है ...सीधे शानदार गालियों  से पूजा अर्चना की जाती है ....साथ ही कहते है की " जिसे मय का पता न हो वो मयखाना क्या जाने ? बात तो उनके नजरिये से इस लिए भी ठीक है क्यूंकि .....चटका और कमेन्ट का थोक भाव से सौदा जो हुआ है ...कुछ तो नियम कानून का पालन  करना ही होगा .......खुला मंच हो तो बहस  नहीं मारपीट तक के लिए आखाडा बना लेना कोई बड़ी बात नहीं ...पर किसी पोस्ट से नया विवाद खड़ा करना कुछ दिल्ली वालों से सीख  लो ......और न होतो मिस कॉल करके बात कर लो ....समझौता हो ही जायेगा .....आइये कुछ हत्कंडे दिखाता  हूँ सम्मानित और ब्लोगिंग के सुधारको के ...जिन्हें आजकल बहुत चिंता है ...की खतरा कभी भी हो सकता है ? मौसम विभाग की तरह ही ये भी भगवान के चेले और यमदूत है जो चमत्कार को चमत्कार नहीं बल्कि नमस्कार को चमत्कार बना देते है ....तो क्यूँ न कुछ टिप्स ले लो ......वैसे भी ब्लॉग पर शादी कराना .........प्यार कराना ही बहुत सही दिशा में लिखी और मुद्दों की  पोस्ट होती है ....ना ...सार्थकता तो चम्चेबाजी और चाटुकारिता में है .....बाजार में बेचो न अपना माल ....पर मैं क्यूँ करूँ तुम्हारी चाटुकारिता ...? अब देखो ये जिससे सभी चाह  कर भी  नहीं कह सकते ? 
१...........आन लाइन होना ..............
ब्लोगर के लिए जरुरी है की जान पहचान हो जाये ...मोबाईल होतो बात भी हो जाये ..फिर क्या ? आप इन्टरनेट पर है और वो भी गलती से आन लाइन है तो ..इन्बिस्सिबल होते हुए भी चटका और कमेन्ट देने का आदेश कभी भी आ सकता है ...इस लिए सावधान होना आपके लिए घातक  होगा .....क्यूंकि आपने कमेन्ट न दिया तो फिर गयी भैंस पानी में ....समझे न .....
२................ईमेल.......
सबसे अच्छा साधन है ईमेल ...जिसके लिए किसी के आनुमति की आवश्यकता नहीं है ...आराम से नेट से उठाया और चेप दी ईमेल .......अब ब्लोगर करे तो क्या करे ? जबरदस्ती तो देखो बार रोकने और कहने पर भी बाज नहीं आते ...अरे जब अच्छा लिखते हो तो कहे परेशान हो ...? वैसे भी आप सम्मानित है न ? तो फिर ये परेशानी का सबब क्यूँ? अच्छा ब्लॉग रैंक ज्यादा हो जाएगी .....न न न पढ़ लेगे और चटका भी लगा देगें ...अब तो jao भाई .... हो गया न काम ?
३.............निंदक नियरे राखिये ..............
कवीर दास ने कहा ...हमने बचपन से पढ़ा ..पर आज तो यथार्थ में भी दिख रहा है .....ब्लोगर के बीच विवाद को प्रयोजित किया जाता है या कराया जाता है .....आप तो इसको तुचछ  मानते है न ...लेकिन दाल इससे ही गलाते हो  .....लेकिन फिर भी सम्मानित ?
४................सम्मान करें हम ........ चलते चलते 
आओ सम्मान करें हम ......साथ चलें हम .............बकवास करें हम ..........तू  मेरा... मैं तेरा ...सुनियोजित विवाद करें हम .....आओ सम्मान करें हम ...

Thursday, May 27, 2010

.ब्रम्हांड सम्मलेन में होगा ब्लोगर मठाधीश का चुनाव आप भी आना .....( एकजुटता में शक्ति )......आजमाओ तो जानो ब्लोगर बंधुओं

ब्लॉग पर चाहे  बेनामी का कमेन्ट हो या फिर किसी नामी  गिरामी का मैं किसी पर भी पर भी पाबन्दी लगाने के खिलाफ हूँ ...क्योंकि अगर मुझे कोई गलत बात कहता है तो मैं उससे स्वाविकार  करने में जरा भी गुरेज नहीं करता हूँ ...क्योंकि गाली या बुराभला  वही कहता  है जिसके पास शब्द कम हो जाते हैं  ....हाँ जिसको जो समझना और कहना है वह कहेगा ....क्योंकि सभी को पता है की वह क्या कर रहा है ? 
........ब्रम्हांड सम्मलेन 
अब जल्द ही  ब्रम्हांड ब्लोगर सम्मलेन चाँद पर होगा ....जिसमे सभी ब्लोगर विमान और उपग्रह से पहुँच कर शामिल हो ...सबसे अच्छी बात इस  ब्रम्हांड सम्मलेन की यह है की यहाँ पर ब्लोगर मठाधीश को गुटबाजी कर चुना जायेगा .....इसका सबसे अच्छा फायदा यह है की हम सभी किसी के विरोध को आसानी से कमेन्ट कर दबा देंगे .....साथ ही कई और उप मठाधीश भी चुने जायेगे .....सबको ब्लॉग पर पोस्ट करके सुचना दी जाएगी ......और जिसको कोई सूचना न मिले वह टाक झांक  जरुर कर ले वरना न हक़ आप वंचित हो जायेंगे  .... 
आइये हम सभी मिलकर किसी की बात की दबा दें ..
२... एकजुटता में शक्ति
वाकई एकजुटता में बहुत शक्ति है .....किसी पर भी प्रहार कर उसके अस्तित्व को ख़तम किया जा सकता है ...पर यही चीज तो सबके पास नहीं है ....आप भी किसी प्रकार का सम्मलेन कर ऐसी शक्ति पा   सकते  हैं ...तो करिए न आप भी  इस शक्ति का इस्तेमाल संगठन बना कर ....क्योंकि संगठन बनेगा तो आप भी तो कुछ न बन ही जायेंगे ...
३...बकबक 
ये तो सब बेकार है ....कूड़ा करकट है ...यहाँ चापलूसी नहीं मिलेगी ...कुछ और दरवाजा खटखटाओ तो शायद बात बन जाये
.....

Wednesday, May 26, 2010

सम्मेलन या गुटबाजी बनाम बेनामी का खुलासा ?? (कुछ तो हुआ ...).......................एक विचार

अभी कुछ दिन हुए इंटर नेशनल ब्लोगर सम्मलेन  को हुए ...........एक अच्छी पहल है इस तरह का आयोजन ........लेकिन इससे पहले का दिल्ली के लक्ष्मी नगर में ब्लोगर सम्मलेन हुआ था ....जिसको मैंने " खाने खिलाने " से ज्यादा कुछ भी नहीं समझा था ...ब्लोगर भाइयों  को यह बात ख़राब लगी ..पर सचे दिल से आज भी मैं उसी बात को सही पता हूँ ......दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन के आयोजकों को बस यही बात ख़राब नहीं लगी बल्कि वे यहाँ तक उतारू हो गए की बेनामी से भी कमेन्ट करने से बाज नहीं आये ....कुछ प्रमुख बिन्दुओं को लिख रहा हूँ जिससे आयोजक भी इनकार नहीं कर सकते ....
१..............बेनामी कमेन्ट ....
मैंने कुछ दिन पहले लिखा था की " क्या मर रही है ब्लोगिंग ?एक विचार " पर  बेनामी से कमेन्ट आया की ....अजय जी ने पैसे खाए है...दूसरा यह की " सम्मलेन में रचना जी और अनूप शुक्ल जी भी आये थे ....जो मसिजीवी से ही मिल कर चले गये ? यह बात तो आजतक भी मुझे न पता चल पाई थी ...लेकिन लक्ष्मी नगर में हुए ब्लोगर सम्मलेन में रचना जी ओ अनूप शुक्ल जी आये तो यह बात सभी उपस्थित ब्लोगर से छिपाई क्यों गयी ?
दूसरा यह की  ( नाम न बताने की शर्त पर एक ब्लोगर जो की आयोजक के बहुत ही करीबी है ....उन्होंने बताया की रचना जी और अनूप जी के आगमन की बात ३ से चार ब्लोगर को ही पता थी )  अगर बेनामी से कमेन्ट आया तो इसका मतलब यह की वोह कमेन्ट करने वाले महाशय भी आयोजको में से ही हैं ...इसका मतलब की चोरी भी सीना जोरी भी ...वैसे जिसने किया वहहै वो समझ गये होगे ...अब आयोजक कौन थे ? ये आप खुद ही पता लगाईये ?
२.............सूचना ....
दुसरे इंटर नेशनल सम्मलेन में हमको और मिथिलेश दुबे जी को नहीं बुलाया गया .....वैसे ये तो आयोजक की इच्छा पर था ...मिथिलेश जी को भी कोई सुचना मिली .....हाँ बाद में रपट देख लिया था ...मिथिलेश जी ने तो कहा ...की भाई हम उस काबिल नहीं जो वह पर हमको बुलाया जाता ...बात वैसे सही भी है ...पर मिथिलेश भाई ने साफ कहा की चलो कम से कम गुटबाजी से बचे ..... दूसरी तरह यह भी कहता हूँ मैं की हमको तो बहिस्कृत किया गया ...इसमें किसी का दोष नहीं ...बस समय  ही ऐसा बना आया की ये तो होना ही था..
३...............चुपके चुपके ....
कुछ बात तो अब तक छिपी है लेकिन धीरे धीरे  ही सही पर बाहर आएगी ही .......वैसे विचार में समानता और असमानता ही हमको दोस्त और दुश्मन बनाती है ....  यानि नज़दीक और दूर करती है 
तो यहाँ भी आश्चर्य क्यों ???????

Saturday, May 22, 2010

ब्लोगिंग के लिए गूगल पर होना चाहिये केस ? ( क्योंकि आप का भी मान सम्मान है ?) एक विचार

आज मेरी एक पुराने  ब्लोगर से बात हो रही थी...जो की इलाहाबाद से जुड़े है  .........ब्लोगिंग के बदलाव  पर भी काफी देर बात हुई ..वो भी मेरी ही तरह कुछ  दिनों से  गायब थे .....इसका उनको जरा भी दुःख नहीं है ........हाँ अफशोस जरुर है ....वह इसलिए क्योंकि आज के बदलाव में बहुत से सुधार होने पर जोर देते है ....ब्लॉगर और ब्लोगिंग दोनों पर अपनी राय व्यक्त  करते हैं ......एक तो यह की इस बदलाव में अपने आप को ढाल ले या फिर खुद से प्रयास करें ....हाँ इस दौरान कोई हमारा सहयोग करेगा तो कोई विरोध भी करेगा .........लेकिन अपनी बात को सब के सामने रखना तो होगा ही ...अक्सर होता है कोई भी पाठक ब्लॉग पर आता है और अपनी बात कहता है ...यहाँ तक तो ठीक है ...
.पर आकर असभ्य भाषा का प्रयोग भी करने वालों की जमात कुछ कम नहीं है .....हमेशा ही लोग करवाई की धमकी भर देते है और बाद में मामला कुंद हो जाता है .....क्या ऐसी चेतावनी बस कहने भर को होती है या फिर डराने को होती है ...
दूसरा मुद्दा .....बात होती है कमेन्ट पर पाबन्दी की .....कई तो ब्लोगर तकनीकी रूप से इससे अनजान होते है और दूसरा की कोई बेनामी ही नहीं नाम से भी लोग बुरा भला कहते है ...उनका क्या ? और साथ ही आज भी ब्लोगिंग में अपना नाम गिनाने  से पीछे नहीं हटते हैं ...आखिर ऐसे लोगों का क्या इलाज  होना चाहिए  ????......मैं तो पाठक को बोलने का पूरा मौका देना चाहता हूँ ....हाँ आप इससे अलग सोच सकते है ....कुछ ब्लोगर का कहना है की जो ब्लोगर कमेन्ट पर बेनामी को नहीं रोकते इसमे उनकी भी मिलीभगत होती है ...और वह  ब्लोगर  बेनामी से बड़ा दोषी है .....पर यहाँ यह बात गौर करने वाली है की क्या हम दिन भर कंप्यूटर के सामने बैठ कर यही करते रहें ? अगर किसी ने नाम से ही गलत पहचान से किसी को गाली  देता  है तो इसका क्या विकल्प होगा ? वैसे मेरे विचार से बेनामी को तो आप रोक पाएंगे पर गलत पहचान वाली ईमेल से किया गया कमेन्ट कैसे रोकेंगे ? 
समाधान
हम ब्लॉग गूगल पर चलते है  ..अगर वह ऐसी सुविधा दे तो हमको इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा .......क्यूँ न जो कुछ करना हो वह गूगल पर किया जाये या कहा जाये जिससे किसी की मानहानि न हो और ब्लोगिंग भी चलती रहे और ब्लोगर का मान भ कायम रहे ...ये मेरा विचार है ..आप क्या सोचते हैं?
 

Friday, May 21, 2010

रचना जी की ही ऐसी उलाहना क्यों ?

पिछले कुछ महीनो से लेखन में रूचि जाती रही ....कारण बिलकुल साफ है की मेले में कुछ भीड़ ज्यादा ही है .....ब्लागर बंधुओं से फ़ोन से ही जानकारी मिल ही जाती है..की क्या कुछ नया  हो रहा है ...हाँ जब कभी समय मिला तो नज़र दौड़ा ली जाती है.......जो कुछ पसंद आया उसको पढ़ लिया ....एक दो पिछली मेरी लिखी पोस्ट विवाद का कारण बनी ...अच्छा बिलकुल भी नहीं लगा ...सभी ने तलवार खिची थी मेरे विरोध में ..........चलो यहाँ तक ठीक  है....पर मैंने कई बार पाया वहहै की रचना सिंह जी को बुरा भला कहा जाता  है...इस पर महिला ब्लागर ने आपत्ति तो की पर हमारे अन्य विरोधी ब्लोगर बंधुओं को जरा भी एतराज नहीं हुआ .....इस्सका क्या मतलब निकाला जाये ......हम खुद को तो अच्छा दिखाना चाहते  है. पर अपने महिला ब्लोगर मित्र के लिए कोई सम्मान क्यों नहीं है. 
हाँ मैं मुक्ति जी को  छोड़कर किसी और का नाम नहीं ले सकता हूँ ...जिन्होंने रचना से सम्बंधित बातो को हटाने की बात कही थी ...इसका मतलब की हम खुद  चाहते है. की महिलाओं पर ऐसा लिखा जाये और हम चटकारे ले कर पढ़ें ..... 

Thursday, May 20, 2010

फहरा दो पताका विश्व पटल पर..........( ये हवा कुछ बहकी बहकी है )....एक विचार

ब्लोगिंग के दौरान बहुत अच्छे लोगों से जुडाव हुआ .....एक दूसरे  की विचारधारा को जानने समझने में  आधुनिक तकनीकी ने सहयोग दिया ...केवल दिल्ली  ही नहीं वरन विदेशों में रहने वालो लोगों से नजदीकियां बनी .....आमतौर पर बाहर  बसे भारतियों छवि मेरे जेहन में खास अच्छी नहीं थी ...उसका एक कारन भी है ...हमको अपनी मातृभूमि के लिए काम करना चाहिए ...जो की किसी और देस में जा कर नहीं हो सकती ....हाँ कुछ गिने चुने लोगों की बात छोड़ दी जाये तो .......ऐसे में अंतरजाल पर मेरी मुलाकात " गुड्डो दादी " से हुई ...पहले तो प्रोफाइल देखा ...जिसमे शिकागो लिखा था यानि  यूएस  .....ईमेल से कई बार बात हुई ...बात कर मैंने पाया की मैं गलत था .....दूर देश बैठी उस महिला में देश के प्रति गज़ब का प्रेमभाव था ...धीरे -धीरे दादी से  बात कर जाना की वे भले ही हिन्दुस्तान में नहीं पर सोच पूरी तरह भारतीय है .....लोग बात करते है संस्कृति की , सभ्यता की , और नारी की .....पर इन सब मुद्दों पर दादी ने तब से लेकर आजतक के बदलाव के सकारात्मक और नकारत्मक दोनों पहलुओं पर विस्तार से बताया ....
आज हम खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते है ......विश्वास नाम की चीज गायब हो गयी है या ये कहें की मानवता मानव में नहीं रही है .....वैसे यह विषय विचारनीय है ....(बहस हो सकती है ) ........या फिर ये कहें की नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है .... इसके कई कारन साफ तौर पर देखे जा सकते है ....
* बदलाव की हवा से भारत अछूता नहीं रहा है .....तो ऐसे में बहुत कुछ परिवर्तन होना संभव है .....नंबर एक तो सोच में ....दूसरा पहनावे में ....(जिसको नारी विरोधी लोग नहीं स्वविकार  करते हैं ) ......तीसरा पहलू एकान्तवाद यानि अलगाववाद या एकल परिवारवाद ....कई और भी बिंदु है पर प्रमुखता पर इस ओर  ही मैंने ध्यान देने की कोशिश की ...
१..........शिक्षा से बौधिक छमता  में बदलाव आया यह सकारात्मक और नकारत्मक दोनों ओर हुआ .......लोगों ने दुनिया में हो रहे बदलाव में खुद को  ढालना चाहा..... जिसे हम नकारात्मक बदलाव इस लिए कहते है क्यूँ की इससमे स्वछंदतावाद दिखाई देता है ......फिर भी ऐसी बहुत सारे  लोगों ने अपनी सोच में बदलाव किया हमारी सोच से आज भी परे है पर उसको हमको स्वविकार करना होगा .
२..........पहनावे में हो रहे बदलाव पर बहुत कुछ कहा जाता है लिखा जाता है ..लोग यहाँ तक भी कहते है की पहले सोच बदले फिर पहनावा लेकिन जिसमे दोनों बदला ली उसको भारतीय संस्कृति का दुश्मन कह दिया जाता है ...अगर महिला या लड़की करे तो वह और भी बुरा है ....( सोच की बात है ) .....पहनावे पर अगर जाएँ तो भारतीय परिधान क्या है ? इस पर न तो आप ही खरे उतरे है और न महिलाएं तो महिला ही कटघरे में क्यूँ खड़ी की जाये ? 
३...........परिवार में विखराव आज की सबसे बड़ी मजबूरी और सबसे जटिल समस्या है ..जिसका प्रभाव वर्तमान में हम सभी देख रहे हैं ....खुशियाँ चहरे  पर झूठी दिखाई पड़ती है ....बच्चों  का बचपन थम सा गया ...दादा दादी को आधुनिकता का कलंक मान लिया गया ....हस्ती जिंदगी मे सब कुछ दिखावे ने ले लिया .....पैसे है पर संतोष और शान्ति गायब है .....प्यार विखर गया ....
अब इसे हम सवीकार करें या फिर प्रतिकार ? यह जटिल प्रश्न है ?
इस सामाजिक उथल पुथल के लिए कौन से कारक  जिम्मेदार आप समझते है ? स्वागत है आपके विचार का / 
 
 

Wednesday, May 19, 2010

" बात निकली है तो दूर तलक जाएगी .....(तो ब्लॉग लिखना गुनाह है क्या ? ).....एक विचार

1......मेरी बात 
ब्लॉग पर मेरी लिखी पिछली पोस्ट (क्या मर रही है ब्लागिंग???............एक विचार) पर जो कुछ भी हुआ वो शर्मनाक है.....वैसे भी विवाद खड़ा करना आदत सी हो गयी ...मैंने किसी को निशाना नहीं बनाया था ...पर कुछ बंधुओं को बुरा लगा ...मैंने सम्मलेन में " खाने खिलाने की बात क्यूँ की इसको किसी ने न जानना चाहा ? बेनामी से कमेन्ट आये ...सीधा आरोपित मुझे किया जा रहा है...मुझे इसका जरा भी मलाल नहीं है ..सभी अपनी राय देने को स्वतंत्र है ...मुझे पाबला जी संवैधानिक कारवाई की चेतावनी दे रहे है . यह कदम स्वागत योग्य है ..अगर ऐसा होता है तो यह कुछ न कुछ सकारात्मक बिंदु को आगे लेकर ही आएगा ... बात इपी एड्रेस की हो रही है. मैं तो चाहता  ही हूँ की .....ये राज खुले ...रही बात मेरी तो मैं अपनी बात पर कायम हूँ और रहूँगा ...बाकि आपको क्या करना है ये आप अच्छे से जानते है ? .
ब्लॉग पर लिखना गुनाह है या फिर अपनी बात कहना ? कुछ ने स्वतंत्रता और स्वछंदता में अंतर को बताया है ....इस सबसे परे एक बात की " कुछ तो लोग कहेगे , लोगो का काम है कहना ....
कुल मिलाकर पोस्ट निरर्थक हो गयी . जिस विषय पर  बात होनी  चाहिये थी वो बात ही  दब गयी ...अक्सर ऐसा ही होता है की हम अपनी बात को सही तरीके से नहीं रख पाते ....यही पिछली  पोस्ट में मुझे देखने को मिला ....  
2 .......मैं क्यों लिखता हूँ ?
ब्लॉग का दूसरा रूप अभिव्यक्ति है ..लेकिन यहाँ पर मैंने जो देखा वो तो इसके बिलकुल विपरीत है  ...मेरे विचार से कोई सहमत हो ? ....मैं ये भी नहीं चाहता .....पर हाँ जो बात सही हो उसको कहने में मुझे कोई गुरेज नहीं है..... मैं अपने लिए लिखता हूँ और अगर किसी को ये बुरा लग रहा हो ......ऐसा हो सकता है..मुझ से ज्यादा लोग बेनामी पर जब विस्वास करते है तो कहना ही क्या ? आखिर सवाल ये है की जो बात कोई बेनामी कह रहा है वो हममें से ही एक है .. इससे कोई भी इंकार नहीं कर सकता है. ...तो क्यों न इस नकाब को उतारने  की कोशिश करें ...
आखिर में आप अपनी बात बेबाकी से कहिये ...जिसका मई स्वागत करता हूँ ...चाहे  वो मेरे विरोध में ही क्यूँ न हो ...   
3......सीधा सपाट 
चलते_ चलते शेर की ये लाइन याद आ रही है की " बात निकली है  तो दूर  तलक जाएगी .....

Tuesday, May 18, 2010

क्या मर रही है ब्लागिंग???............एक विचार

सन २००७ में ब्लोगिंग के बारे में जाना....तब जिस रूचि और उत्सुकता के साथ ब्लॉग लिखता था वह उत्सुकता दिन_ब_दिन कम होती गयी . ऐसा नहीं की समय नहीं मिलता ..लेकिन लिखने की इच्छा ही नहीं होती .... यग्रीगेटर पर जाकर कुछ चुने लोगों को पढना आज भी अच्छा लगता है ....लेकिन लिखना न बाबा न ..... जब विश्लेषण करता हूँ पुराने दिनों का ...तो ब्लॉग से दूर जाने के कई कारण पाता हूँ .....

१_ प्रोत्साहन

ब्लोगिंग के शुरुआत में लिखने का प्रमुख कारण था की लोग मेरा लिखा पढ़े ....मेरी सोच भी लोगों तक पहुंचे ....जब की ऐसा कम ही होता ...किसी नये ब्लॉग पर ब्लॉगर जाना कम ही पसंद करते हैं ..कुछ ब्लॉगर को अगर छोड़ दिया जाये तो ...आमूमन ऐसा इसलिए भी होता है की हम नए ब्लॉग को कमतर आंकते है ...जो की नहीं होना चाहिये ...ऐसा होने पर ब्लॉगर पूरी लगन से लिखता है लेकिन परिणाम विपरीत मिलता है ..जिससे नए ब्लॉगर हतोत्साहित होते है ...फिर वह इस निराशा को दूर करने के और रस्ते तलाशता ....जो की नकारत्मकता का भी हो सकता है ....लेखन में चटकारापन , कुछ बहुत ही भड़काऊ या मसालेदार ...ऐसा मेरा मानना है ...हो सकता है आप इससे इत्तेफाक न रखते हों ..

२---- विवाद

वर्तमान में कुछ ब्लागरों ने हिट होने का नया तरीका अपनाया ....किसी पुराने लेखक से पंगा ले लो ...वह चाहे सही हो या फिर गलत... नाम तो होगा ही ....इसको हम तुच्छ लेखन कह सकते है पर यह तरीका बहुत हद तक कामयाब होते देखा ...अब यह किस प्रकार से सही है इसको कैसे बताया जाये ...

३ -----गुटबाजी

ब्लॉग लिखने पर ये नहीं सोचा था की कुछ इस तरह की राजनीती भी यहाँ होगी ....पर किसी को आसानी से नीचा दिखाना बहुत मुश्किल नहीं है बस गुटबाजी शुरू कर दीजिये ...अब ये कौन से ब्लॉगर है इसको खुद से हम विश्लेषण कर देख सकते है ..

4...सम्मेलन 

कुछ समय से ब्लॉगर सम्मेलनों ने जोर पकड़ रखा है ...कभी आपको मौका मिले तो जाकर देखियेगा.... चार दिन तक खूब फोटो आप देख पाएंगे ..इस तरह के मीट को सफल करने वाले भी कई है ...फिर हाल मेरा आज तक एक ही ब्लॉगर सम्मलेन में जाना हुआ है ..जो खाने खिलाने से जयादा और कुछ भी नहीं लगा ...


५.....सकारात्मक सोच में बदलाव

हम इन्सान होने के नाते हमेशा सकारात्मक नहीं सोच पाते ...किसी दूसरे से अपनी तुलना करने लगते है जो किसी तरह से सही नहीं है ...किसी से प्रेरणा लेना गलत नहीं पर उस जैसा बनने के लिए कुछ भी कर जाना गलत है ...


अंततः
कहना सिर्फ इतना चाहता हूँ की हम अपने लिए लिखे ....अपनी भावना व्यक्त करें ...किसी प्रकार से मतभेद के बीज न बोयें ....ताकि भाईचारा कायम रहे ...कोई किसी से असभ्य भाषा में बात न करे ... हो सकता है मेरे विचार से आप सहमत न हों पर मैंने जो देखा इन कुछ सालों में वही लिखने की कोशिश की है ....

Saturday, May 8, 2010

पियो सिगरेट ...(कविता )..


पुराणों ने कहा था .सामाजिक कल्याण के लिए ..
असुरो के विनाश के लिए..
महिर्षि दधीचि अपने प्राण तज दिये ..
कलयुगी दधीचि उनसे ..
दो हाथ आगे निकल गए ..
समाज के विनाश के लिए ..
आसुरी भावो के विकास के लिए ..
संजीवनी छोड़ सिगरेट पी रहे ..
सवास्थ्य खुद का व् सामाज का ..
बिगड़ने में आगे निकल गए ..
बूडे समय से पहले हो कर ..
पारिवारिक जिम्मेदारिया से मुह मोड़ कर ..
सारी रिवायातेव से आगे निकल गए ...
दूध और फल खा कर तो ..
हरी गोपाल बन गए ..
सिगरेट पी कर ही ..
हैरी और माईकल निकलते है..
बस और रेल में घर और जेल में ..
सिगरेट सुलगाते जिंदगी निकाल गए ..
जो नहीं पीते उन्हें ताना दे कर ..
हँसी खेल में सिखा गए ..
अगर पैसे न सही ..
फिर भी जिंदगी उधारी से निकल गये..
न मिली सिगरेट तो ..
बीडी सुलगाते जिंदगी निकल गये ..
मेहनत कीसारी कमाई ..
बीडी,सिगरेट की सीढी में चढाते निकल गये..
परिवार की खुशियों को ..
धुएं में उडाते निकल गये..
वो तपस्वी भी क्या थे ..
दान हड्डियों का दे गये..
ऐ तो कलयुग के दघीच..ह
ड्डियों के साथ -साथ ..
फेफडे,गुर्दे भी कुर्बान कर गये ..
साथ परिवार को अस्थमा ..
टी. बी दमा दे निकल गये ..
क्यों कि ..........
धुम्रपान कि राह में खुद ..
कुर्बान हो परिवार को सारे -राह ..
छोड़ निकल गये...

Tuesday, May 4, 2010

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम,

कविता में पिरे

शब्दों की व्यजंना हो तुम,

मर्म-स्पर्शी नव साहित्य की

सृजना हो तुम,

नव प्रभा की पथ प्रदर्शक

लालिमा हो तुम,

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम,

स्वप्न दर्शी सुप्त आखों में

बसी तलाश हो तुम,

सावन की कजरी में घुली

मिठास हो तुम,

चन्द्र नगरी के चन्द्र रथ पर

सवार एक सुन्दरी हो तुम,

रस भरे अधरों के अलिंगन की

कल्पित एक स्वप्न परी हो तुम,

मेरे कोरे दिल की कल्पना हो तुम ...........