जन संदेश

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Saturday, January 5, 2008

बदलती राजनीति हाल के चुनाव

हाल के गुजरात और हिमाँचल प्रदेश चुनाव परिणाम ने भविष्य के राजनीति दृष्टिकोण के काफी कुछ परिवर्तन होने के संकेत दिये है। जहां दोनों प्रदेशों में भाजपा का झंड़ा लहराया है वही कांग्रेस तथा अन्य क्षेत्रीय पार्टियों को गहरा झटका लगा है। अभी महाराष्ट्र , राजस्थान मे होने वाले भावी चुनाव में अन्य पार्टियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव स्थाई बहुमत पाने वाली पार्टी बसपा की प्रमुख वर्तमान मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश के भावी प्रधानमंत्री बनने के सपने में अनेकों रोडे नजर आते हैं।वही कांग्रेस के लिए दुबारा से सरकार बना पाना असंम्भव सा लगता है। कारण बहुत से रहे। कही धर्म तो कहीं सम्प्रदाय का मुद्दा उठाया गया। और यह सफल भी रहायह नतीजे ही बताते हैं।विधानसभा चुनाव में जो परिंणाम आये वह कांग्रेस के असफल प्रशासन को दर्शाते है। यहां पर केन्द्र सरकार को आने वाले चुनाव के लिए सतर्क हो जाना चाहिए।

इंतजार उस पल का

दिल की बात को बताना आसान नहीं होता ,
जब देखा है तुम को खोया ही रहता हूँ तुम्हारे ही ख्यालों ,
दिन तो कट जाता तुम्हारी राह तकते -तकते,
पर रात का एक- एक पल दिल को सजा देता है,
कब से दबा रखा है मैंने जज्बात दिल के,
अब बयां कर उनको तुमको पाना चाहता हूँ।
सारा हाल-ए-बताना चाहता हूँ,
बाहों में भरकर इस जहां से बहुत दूर जाना चाहता हूँ।
ये ख्वाहिशें कब पूरी होगी मेरी .......
इंतजार है उस पल का बेसब्री से ।।।।।।

Thursday, January 3, 2008

बेबसी मेरी


दूर-दूर तक देखने की कोशिश में नाकाम,
चलता रहा था राहों पर बिना रूके,
कोहरे की धुंध और सर्द हवा ने,
बदन को अपने आगोश में कर लिया था,
फिर भी बिना रूके हुए ही चलता रहा था मंजिल की खोज में।
खामोश पेड़, कटीली झाड़ियां
और
झायं-झायं करती हुई झींगुर की आवाज
अमावस की रात में बहुत ही डरावनी थी,
सड़को के किनारे पर लगे बिजली के खम्भों से
निकलता प्रकाश भी विवश था प्रकृति के आगे,
नहीं कर पा रहा था प्रकाशमय वातावरण को,
और
इन सब के बीच से आती खायं- खायं की आवाज,
जो बता रही थी कि-
तुम ही नहीं मैं भी हूँ तुम्हारी तरह,
बढ़ता ही रहा था मैं उस आवाज की ओर,
पास आती रोशनी ने सहारा दिया था मुझे,
फुटपाथ पर पड़ा, एक कम्बल से ढ़का हुआ उसका शरीर,
और पास जलती हुई आग के सहारे जिंदगी काटने का साहस किया था उसने,
में तो देखता चलता ही रहा था,
सिवाय तरस खाने के सिवा कुछ न था मेरे,
हां पर ये सोचा था जरूर कि काश कुछ कर पाता उसके लिए,
अगली सुबह चाय की दुकान पर चाय पीने आया तो देखा-
कि भीड़ इकट्ठा थी।
मन में व्याकुलता और उत्सुकता लिए जा पहुँचा था मैं ,
किसी से कुछ पूछता कि पहले ही किसी ने कहा-
" बूढ़ा बेचारा मर गया,
चलो अच्छा ही हुआ,
न कोई आगे, न कोई पीछे था इसके,
मैं एकटक देखता रहा था उस मरे हुए बूढ़े की तरफ,
उसका ठिठुरा हुआ शरीर,मुडी हुई उगलियां ,
ये बता रही थी कि-
जीवन के जंग में सांसों ने साथ नहीं दिया था उसका,
फिर मैं चल दिया था वहां से अपनी बेबसी लिए हुए,
अपनी मंजिल की तरफ...............
मन कई सवाल लिए हुए?
आखिर क्यों खुदगर्ज हुआ है आदमी इतना?
बार- बार उसका चेहरा आखों के सामने घूमता ही रहा था मेरे।।

Tuesday, January 1, 2008

मीडिया व्यूह की तरफ से सभी ब्लागर को नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

मीडिया व्यूह की तरफ से सभी ब्लागर को नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।ब्लाग पर मेरी कई दिनों बाद वापसी हुई है । कारण एक ही था वह था परीक्षा देना। बहुत ही बुरा लगा रहा था मुझे जब मैं ब्लाग नहीं लिख रहा था पर जैसे ही मेरी परीक्षाएं समाप्त हुई वैसे ही अंतरजाल के द्वार पर मैंने दस्तक दी। अब मेरी कोशिश यही है कि मैं नियमित रूप से लेखन कार्य को जारी रखूँ। वैसे जब मैने ब्लाग शुरू किया था तब ही अपने आप से यह वादा किया था कि मैं कुछ सामसायिक मुद्दों अवश्य ही लिखूँगा पर समय न होने के कारण ऐसा न होसका।सिद्धान्त पर जीना बहुत ही आसान ही है कुछ ऐसा की अनुभव रहा मेरा।

मीडिया व्यूह की तरफ से सभी ब्लागर को नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

मीडिया व्यूह की तरफ से सभी ब्लागर को नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।ब्लाग पर मेरी कई दिनों बाद वापसी हुई है । कारण एक ही था वह था परीक्षा देना। बहुत ही बुरा लगा रहा था मुझे जब मैं ब्लाग नहीं लिख रहा था पर जैसे ही मेरी परीक्षाएं समाप्त हुई वैसे ही अंतरजाल के द्वार पर मैंने दस्तक दी। अब मेरी कोशिश यही है कि मैं नियमित रूप से लेखन कार्य को जारी रखूँ। वैसे जब मैने ब्लाग शुरू किया था तब ही अपने आप से यह वादा किया था कि मैं कुछ सामसायिक मुद्दों अवश्य ही लिखूँगा पर समय न होने के कारण ऐसा न होसका।सिद्धान्त पर जीना बहुत ही आसान ही है कुछ ऐसा की अनुभव रहा मेरा।