जन संदेश

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Sunday, August 31, 2008

खामोश हूँ मैं


खामोश रात में तुम्हारी यादें,
हल्की सी आहट के साथ
दस्तक देती हैं,
बंद आखों से देखता हूँ
तुमको,
इंतजार करते-करते परेशान नहीं होता अब,
आदत हो गई है तुमको
देर से आने की।
कितनी बार तो शिकायत की ती तुमसे ही
पर
क्या तुमने किसी बात पर
गौर किया ? नहीं न,
आखि़र मैं क्यों तुमसे इतनी
उम्मीद करता हूँ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ तुम पर
जान पाता कुछ भी नहीं,
पर
तुमसे ही सारी उम्मीदें जुडी है।
तन्हाई में,
उदासी में,
जीवन के हर पल में ,
खामोश दस्तक के साथ
आती हैं तुम्हारी यादें।
महसूस करता हूँ -
तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
तुम्हारे दिल की धडकन का बढ़ना
और
तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे ,
उस पर तुम्हारी खामोशी,
और
आगोश में करने वाली मध्धम-मध्धम बयार को।
खामोश रात में बंद पलकों से इंतजार करता हूँ
तुम्हारी इन यादों का.............

Wednesday, August 20, 2008

आप सब के लिए

ब्लागर समूह से विगत कुछ महीनों मैं निजी कारण के चलते शामिल नहीं हो सका ।जिसका मुझे बेहद अफशोश है।अब फिर आप सब का साथ चाहता हूँ। निम्नवत लाइन से पुनः शुरूआत कर रहा हूँ।

नीशू (निशान्त)



उलझन भरी हसरत हमारी,
आखों में है चाहत तुम्हारी।
बेकरारी में भी है आहट तुम्हारी,
क्या तुमको पता है कि?
तुम हो इतनी प्यारी।।