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Wednesday, April 27, 2011

क्या आप अविवाहित हैं ..........या फिर कुवारें


क्या आप अविवाहित हैं ..........या फिर कुवारें .......??????? (युवक-युवतियों से एक सच्चा सवाल )
वैसे इस पर मत अलग-अलग हो सकते हैं...........भारतीय संभ्यता और संस्कृति में आज के दौर में क्या उम्मीद की जा सकती है ?

Monday, March 28, 2011

पाकिस्तानी खिलाडियों पर जासूस छोडे जा चुके हैं..........भारत विश्वकप जीतेगा


बाला साहेब ठाकरे की तात्कालिक प्रतिक्रिया प्रधानमन्त्री पर व्यंग कर रही है कि अगर पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री यूसुफ रजा गिलानी को भारत और पाकिस्तान के मध्य मोहाली मे ३० को खेले जाने वाले सेमीफायनल के लिए आमन्त्रित कर सकते है तो २६/११ मुम्बई बम बिस्फोट के अभियुक्त कसब और जनवरी २००३ संसद पर हुए आतंकी हमले के दोसी अफजल गुरु को भी बुलाना गलत नही होगा ................ठाकरे शायद यह भूल रहे हैं कि किसी भी समस्या का हाल बातचीत से ही हो सकता है ...वर्ना मुम्बई मे केवल मराठी ही रह्ते .......जंग के दम पर राज्य और भूमी जीती जा सकती है दिल नही ....इसलिए तोडफोड से आगे सोचिए ठाकरे साहब ........
यूं टर्न. .......
भारत विश्वकप जीतेगा ...........रिकी पोंटिंग (कप्तान आस्ट्रेलिया)..... हाँ वो इसलिए क्युंकी
पाकिस्तानी खिलाडियों पर जासूस छोडे जा चुके हैं............ .........

Wednesday, February 9, 2011

सफर के साथ मैं



सफर के साथ मैं
या फिर मेरे साथ सफर
कुछ ऐसा रिश्ता बन गया था
कब, कहाँ, और कैसे पहुँच जाना है
बताना मुश्किल था
ऐसे ही रास्तों पर कई जाने पहचाने चहरे मिलते
और
फिर वो यादें धुंधली चादर में कहीं खो जाती
मैं कभी जब सोचता हूँ इन लम्हों को तो
यादें खुद ब खुद आखों में उतर आती हैं
वो बस का छोटा सा सफर
अनजाने हम दोनों
चुपचाप अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जा रहे थे
वो मेरे सामने वाली सीट पर शांत बैठी थी
उसके चेहरा न जाने क्यूँ जाना पहचाना सा लगा
ऐसे में
हवा के एक झोंके ने
कुछ बाल उसके चेहरे पर बिखेरे थे
वो बार-बार
अपने हाथों से बालों को प्यार से हटाती थी
लेकिन कुछ पल बीतने के बाद
वो लटें उसके गालों को फिर से छेड़ जाया करती थी
और
उसके चेहरे पर हल्की सी परेशानी छोड़ जाया करती थी
वो कुछ शर्माती, लजाती हुई असहज महसूस करती थी
फिर
चुपके चुपके कनखियों से मेरी ओर देखती थी
मैं तो एक टक उसको निहारता ही रहा था
कुछ कहने और सुनने का समय,
हम दोनों के पास न था
बिन कहे और बिन सुने
जैसे सब बातें हो गयी थी
क्यूंकि
हमें पता था की ये मुलाकात
बस कुछ पल की है
और
फिर इस दुनिया की भीड़ में गुमनाम होकर
कहीं खो जाना है
लेकिन ऐसे ही अनजानी शक्लें
अजनबी मुलाकातें होती रहेगी
कभी तन्हाई में साथ दे जाया करेगी