जन संदेश

पढ़े हिन्दी, बढ़े हिन्दी, बोले हिन्दी .......राष्ट्रभाषा हिन्दी को बढ़ावा दें। मीडिया व्यूह पर एक सामूहिक प्रयास हिन्दी उत्थान के लिए। मीडिया व्यूह पर आपका स्वागत है । आपको यहां हिन्दी साहित्य कैसा लगा ? आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये,,,,,, ? हमें जरूर बतायें- संचालक .. हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com

Saturday, July 31, 2010

तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे.........(मो. रफी)...........इस महान गायक को श्रद्धांजलि


वो जब याद आये बहुत याद आये .....और तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे जैसे स्वर्णिम गीत को अपनी आवाज देने वाले मो. रफी की आज ३०वीं पुण्यतिथि है....रफी जी ने पिछले चार दशक में करीब २८ हजार गानों को अपनी आवाज दी ....गीत 'चाहूँगा मैं तुझे सांझ सबेरे' के लिए रफी साहब को पहला फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड मिला ....जिससे प्यारे लाल की धुनें आज भी हम सब के कानों में रस घोलती है..........रफी जी का जानी वाकर के लिए गाना ""सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए" पूरी तरह से उन्हीं के रंग में रंगा है....और शास्त्रीय संगीत में तो रफी का जवाब ही नहीं ...........शायद ही अब इस जहाँ में कोई दूसरा रफी हो ........इस महान गायक को श्रद्धांजलि..........वाकई रफी साहब को हम नहीं भुला सकते ............

Friday, July 30, 2010

कबाड़ी बाजार की वेश्याएं ............दुखद सच देख शून्यता को महसूस करता हूँ .........neeshoo tiwari


 मेरठ रहते हुए कुछ ही महीने बीते हैं .........कभी कभी जब ऑफिस से छुट्टी मिलती हैं ( साप्ताहिक ) तो शहर( मेरा ऑफिस शहर से कुछ दूरी पर है)  जाना होता है......शहर में घूमते खरीदते ....एक शाम रेड लाइट एरिया ( कबाड़ी बाजार ) पहुच गया ...........जो कुछ आजतक वेश्यवों के बारे में देखते ( फिल्मों में ) आया था उसको हकीकत में देखना वाकई आसान नहीं था ( खुद तो आत्मग्लानी हो रही थी )........ज्यादा देर तक रुक न सका वहां ........मकान पुराने जमाने के ......भार्जे  ऐसे की कभी भी गिर सकते हैं .........और भार्जे से झांकते कुछ चेहरे .....जिस पर कास्मेटिक पुता हुआ ........देखने में आकर्षित करते हुए ........पर ज्यादा देर वहां पर रूकना संभव नहीं .........ह्रदय में हल चल (कुक्ड को हल्का महसूस कर रहा था ) शायद जैसे सब कुछ संत हो गया हो .......
लेकिन यह हमारे  
समाज का घिनौना सच हैं ...........सेक्स वर्कर ....वैसे तो आधुनिक समय की शैली में सेक्स वर्कर शब्द आया ......वरना भारतीय समाज में " रंडी " जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जाता था ..........हममे से कई जिस शब्द को बोलने से कतराते हैं ........सोचिये उनकी जिंदगी कैसी होगी ? वैसे तो भारत सरकार ने अब तक सेक्स वर्करों की संख्या लगभग ७ लाख के करीब आंकी है...पर स्वास्थय मंत्रालय के अनुसार करीब २२.७ लाख सेक्स वर्कर हैं ......दिल्ली के जी बी रोड पर अनुमानित सेक्स वर्करों की संख्या ४०००० के करीब है...भारत में प्रदेश vaar  सेक्स वोर्करों की को देखा जाय तो आन्ध्र प्रदेश में १ लाख सेक्स वर्कर हैं ...जबकी दुसरे स्थान पर कर्नाटका हैं जहाँ पर करीब ८०००० सेक्स वर्कर हैं ..... जबकि नाको के अनुसार भारत में करीब १२.६३ लाख सेक्स वर्कर हैं .... ये तो रही आकड़ो की बात .........
लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी जो की अँधेरे में अपना जीवन गुमनामी में  के साथ गुजार रही है क्या उसको संवैधानिक अधिकार नहीं मिलने चाहिए ? सभी को सेक्स वर्कर से ज्यादा हमदर्दी हो या न हो पर क्या इनके लिए काम नहीं किया जाना कहिये ? समाज की मुख्या धारा   में शामिल करने के लिए आगे आकर प्रयास करना होगा ....माननीय उच्च नयायालय ने दो पुरूष या महिला के बिच के सम्नंध को जब सही ठहराया तो क्या सेक्स वर्करों के लिए कानून नहीं बनना चाहिए .........बिलकुल बनना चाहिए ..जिससे सेक्स वर्करों को भी एक सामाजिक स्टार मिल सके .....और हाँ इससे जुड़े बिचुलिये को भी क़ानून के दायरे में लाया जा सके ............साथ ही हम जिस भी चीज को नहीं देखते या छिपाते हैं क्या वो नहीं हो रही होती ? होती है पर बहुत ही भयानक रूप में .................आमतौर पर माना जाता है की सेक्स वर्कर किसी न किसी परेशानी के कारन इस पेशे से आई होती हैं .....तो ऐसे लोगो को पुनर्वास कराया जाना चाहिए ........जिससे समाज के सच में झूटी शान के सफेद पोश चेहरे हो सामने लाया जा सके ............ 

Sunday, July 25, 2010

ठीक है वह...............संस्मरण..........neeshoo tiwari

बहुत दिन नहीं हुआ जॉब करते हुए .....पर अच्छा लगता है खुद को व्यस्त रखना........शाम की कालिमा अब सूरज की लालिमा को कम कर रही थी ......मैं चुप चाप तकिये में मुह धसाए बहार उड़ रही धुल में अपनी मन चाही आकृति बना कर ( कल्पनाओं में ) खुश हो रहा था .........कभी प्रिया का हंसता चेहरा नजर आता .........तो दुसरे पल बदलते हवा के झोंकों के साथ आँखें नयी तस्वीर उतार लेती .......... बिलकुल वैसी ही .....जैसे वो मिलने पर( शर्माती थी ) करती थी.............अचानक आज इन यादों ने मेरी साँसों की रफ्तार को तेज़ कर दिया .........करवट बदलते हुए आखिरी मुलाकात के करीब न जाने क्यूँ चला गया ...........
मैं पागल हूँ और आलसी भी वो हमेशा कहा करती थी ....जिसे मै हंस कर मान लेता था .....(सच कहूँ तो आलसी हूँ भी )........ .....दिल्ली में दो साल कैसे बीते ....पता ही न चला ..... हम साथ ही पत्रकारिता में दाखिल हुए थे ........और साथ ही पढाई पूरी की ..........पहली बार हम दोनों कालेज के साछात्कार से पहले मिले थे .......वह बहुत घबराई सी लग रही थी .......मैंने ही बात के सिलसिले को आगे बढाया था .........बातो से पता चला की वह भी अल्लाहाबाद से पढ़ कर आई है ...तब से ही अपनापन नजर आया था उसको देखकर ........साछात्कार का परिणाम आने अपर हम दोनों का चयन हुआ था .........ये मेरे लिए सब से बड़ी ख़ुशी की बात थी ...क्यूंकि मैंने जो तैयारी की थी उससे मैंने खुस न था ...........पर मेरा भी चयन हो ही गया था .........कुछ दिनों के बाद क्लास शुरू हो गयी ......नए नए दोस्त बने .....समय अच्छे से गुजरता ........पर जब तक प्रिय से कुछ देर न बात करता .......तो कुछ भी अच्छा न लगता .....सुबह से शाम तक मैं प्रिया के पास और प्रिया मेरे पास ही होती ......यानि आसपास ही क्लास में बैठते ....दोपहर का नाश्ता और शाम की चाय साथ पीने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम के लिए निकलते ......रूम पर पहुच कर फिर फ़ोन से बहुत साडी बातें होती ............इसी बातों से न जाने कब प्यार हो गया पता ही न चला ..........वैसे प्रिया तो शायद ही कभी बोलती .........पर हाँ मैंने ही उसको प्रपोज किया था .......कोई उत्तर नहीं दिया था उसने ..........मैं तो डर गया था की शायद अब वह बात न करे......लेकिन नहीं उसका स्वभाव वैसे ही सीधा साधा रहा ..जैसा की वह रहती थी ..... मेरे लिए ख़ुशी की बात थी .......मैंने खुद से ही हाँ मान लिया था .....क्यूंकि वह चुप जो थी .......कभी लड़ते लाभी झगड़ते .......रूठते मानते .....अब उस दौर में हम दोनों आ गए थे की अब आगे की जिंदगी को चुनना था ........संघर्ष और सफलता के बीच प्यार को लेकर चलना था ..........प्रिया ने आखरी सेमेस्टर का एग्जाम देने के बाद यूँ ही कहा था ..........मिस्टर आलसी .......अब आपको सारा काम खुद से करना होगा ......हो सकता है रोज फ़ोन पर बात भी न हो पाए ......और हाँ मैं घर जा रही हूँ ......शायद पापा अब न आने दें .........वहीँ कोई जॉब देखूंगी ........ मैं चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था .......वो मेरी तरफ नहीं देख रही थी पर बात मुझसे ही कह रही थी .......आज पहली बार दो साल में उसकी आँखों में आन्शूं देखा था ............फिर जल्दी से आंसू पोछते हुए कहा था ....मिस्टर उल्लू .....नहाते भी रहना ...वरना मुझे आना होगा .........मैंने सर हिलाकर सहमती दे दी थी ..........वो कल सुबह जाएगी ........अब कैसे रहूँगा ........कुछ समझ न आया था ......रात भर नींद न आयी ..और प्रिया को भी परेसान न करना चाहता था .........क्यूंकि अगले दिन उसकी ट्रेन थी .........सुबह मिलने की बात हुई थी .......मैं अपना वादा निभाते हुए रेलवे स्तेसन तक छोड़ने गया था ...........ट्रेन जाने तक उसको देखता ही रहा था ............हाँ कुछ महीने बाद उसका फ़ोन आया था ..........ठीक है वह ..........

Saturday, July 24, 2010

लड़की पटाओ या महिला या वेश्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं .......ये प्रगतिशीलता की निशानी ...कुछ सीखो


ओछी ब्लॉगिंग की शानदार राजनीति के प्रथम में महूफूज और महिला ब्लोगर सम्बन्ध में आपका स्वागत है..........आपको यहाँ किसी महिला को कैसे पटाया जायेगा का पाठ जायेगा .... 
आने में कुछ देर हो गयी है पर अपनी बात तो कह कर ही जाऊंगा .........कोई कमेन्ट के लिए मैसेज करे और फिर उस कमेन्ट मिले ...लेकिन बात तब ख़राब होती है..जब मनमाफिक और चाटुकारिता भरी राय न हो ........ऐसे ही उसको डिलीट कर दिया जाता है.....कोई एक ऐसे महफूज नहीं बहुत सारे हैं .....जो धीरे धीरे सामने आते जायेगे ..........कोई ब्लोगर भाई हमेश सार्थकता की बात करते हैं ..करना भी जायज है.......पर सच्चे दिल से कहूँ तो कोई भी ऐसा नहीं करता ......कोई माने या न माने ..........और हाँ जो अपने को आधुनिक नारी या कहें प्रगतिशील समझती हैं वह उनका भ्रम मात्र है.........मैं किसी महिला से बदतमीजी करूँ और कोई अन्य महिला ही आकर कहें बहुत खूब ........बहुत अच्छा किया तो ये किस तरह से जायज होगा ........लेकिन होता यही है.......हाँ में हाँ मिलाने वाली महिला ब्लोगर भी कमेन्ट के चक्कर में जो रहती हैं .....वास्तविकता को देखकर दुःख होता हैं.....सभी एक दुसरे की पैंट उतरने में लगे हैं ............लेकिन ये नही पता है की दोनों को नंगा होना पद सकता है........और कोई भी अपनी जरा सी आलोचना सुनने को क्यूँ नहीं तैयार होता है.?....... आप लोगों का लार टपकाना कब बंद होगा .........और लड़की पटाओ या महिला या वेश्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं लेकिन .........वाह वाह ...के चक्कर में किसी की भावना की ऐसी की तैसी क्यूँ करते हैं या करती हैं ........
और हाँ हो सकता है की मेरी बात किसी को बुरी लगे पर जो कुछ सोचता हूँ .................लिख देता हूँ ..........

Saturday, July 17, 2010

मेरे सपने ने आज तोडा था मुझको ...neeshoo tiwari

सपनों के टूटने की खनक से
नींद भर सो न सका 
रात के अंधेरे में कोशिश की 
उनको बटोरने की 
कुछ इधर उधर गिरकर बिखर गए थे
हाँ 
टूट गए थे
एक अहसास चुभा सीने में
जिसके दर्द से आँखें भर आई थी 
मैंने तो 
रोका था उस बूंद को 
कसमों की बंदिशों से 
शायद 
अब मोल न था इन कसमों का
फिर 
उंघते हुए 
आगे  हाथ बढ़ाया था
वादों को पकड़ने के लिए 
लेकिन वो दूर था पहुँच से मेरी 
क्यूंकि 
धोखे से उसके छलावे को 
मैंने सच समझा था 
कुछ 
देर तक 
सुस्ताने की कोशिश की 
तो सामने नजर आया था 
उसके चेहरे  का बिखरा टुकड़ा  
हाथ बढ़ाकर पकड़ना चाहा था 
लेकिन  
कुछ ही पल में 
चकनाचूर हो गया 
वो चेहरा 
मैं हारकर 
चौंक गया था ....
.........
..................
चेहरा पसीने तर ब तर  था
मेरे सपने ने 
आज तोडा था मुझको 

Wednesday, July 14, 2010

न रे न मुझे भूख नहीं ........तू खा ले .............नीशू तिवार

सरकार द्वारा गरीबों के लए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पत्रों तक नहीं पहुच पाता ........जिसका प्रमुख कारण है भ्रस्ट लालफीताशाही ...........राहुल  गाँधी ने माना की केंद्र सरकार का भेजा १ रुपया निचले स्तर तक मात्र ५ पैसे ही पहुच पाता है.........वर्तमान में गरीबों की संख्या में १.५ करोड़ का इजाफा हुआ है.........खाद्य सामग्री के सरकारी हिसाब अनुसार हर परिवार को ३५ किलो राशन मिलता है ........खाद्य मंत्रालय को अभी ५.३० करोड़ टन राशन की खरीद की आवश्यकता है..............जबकि ये पी यल कार्ड धारक को १५ किलो राशन और बी पी यल को ३० किलो राशन दिया जा रहा है.....लेकिन फिर भी गरीबो की संख्या में इजाफा हो रहा है.............
आज देश दुनिया में अपनी प्रतिभा और प्रद्योगिकी के लिए जाना जाता है लेकिन इसके उलट दुख इस बात का है की हमको अभी भी रोटी कपडा मकान के लिए तरसना हो  रहा है.......पूर्व राष्ट्रपति कालम ने कहा था की देश २०२० तक विकसित हो जायेगा .........हो भी सकता है पर यह पन्नों तक सिमित रह कर.......ऐसे में गरीब तो गरीब ही रहेगा ...........कुछ लोग जरूर अमीर हो जायेगें .....लेकिन देश की दशा वैसे ही रहेगी ............क्या हम सभी को इन लोगों को साथ लेकर नहीं चलना चाहिए ? जिससे पुरे देश का विकास हो सके .......महामारी , भुखमरी और कुपोषण से जान न जाये ............        

Saturday, July 10, 2010

भाजपा के खेवनहारा नितनी गडकरी की नैया बीच भवंर में फँसी ...........कैसे होगा २०१४ तक बेडा पार .........तुच्छ बयानबाजी से बाज आयें ......neeshoo tiwari



भाजपा के ९वे अध्यक्ष नितिन गडकरी का हालिया बयान " अफजल गुरू ' पर दिया गया......कांग्रेस का दमाद शब्द का इस््तेमाल किया गया ......भाषा और पद की गरिमा दोनों ही नितिन गडकरी को पीछे धकेंलते हैं .....ऐसी प्रतिकिर्या को किसी तरह से सराहा नहीं जा सकता है.........वैसे भाजपा के पिछले कुछ नेतावों की बात की जाये जिस तरह की बातें की गयी उससे भाजपा को नुकसान हुआ है  यह देखा जा सकता है की इस तरह के वाकयुद्ध से घटिया राज्नित को बल मिलता है............सबसे पहले आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा......लालकृषण अडवाणी की बात की जाये तो 2005 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को धर्म निरपेक्ष बताए जाने पर संघ के दबाव में आडवाणी को भाजपा अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा.......... और पार्टी को अगले लोक सभा चुनाव में हार का मुह देखना पड़ा ....
उमा भारती को भी पार्टी विरोधी गतिविधि के चलते बाहर का रास्ता दिखाया गया ...और
फिर पार्टी के वरिष्ट नेता जशवंत सिंह की २००९ में जिन्ना पर लिखी किताब ने उनके द्वारा पार्टी की मजबूती के लिए किये गये कार्य भूलकर " दूध से जैसे मख्खी " की तरह बाहर कर दिया गया .......
हाल ही में जसवंत सिंह की पार्टी में वापसी हुई है .......दुबारा से बयान आया की इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी ......फिर निकला ही क्यूँ ? 
या 
इसको राजनाथ , अडवाणी  और अरुण जेटली के फैसले की पुर्समिछा कहें .........यानि गलती को सुधारना ..............पर जसवंत को बाहर  करने के लिए संघ ने भी भागीदारी निभाई थी ........यानी सुदर्शन जी का फैसला भी जल्दबाजी और आवेश में लिया गया था ........ 
 और 
अभी नितनी गडकरी का बयान .......भाजपा इस समय वैसे ही सबसे बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में पार्टी को सोच समझ कर बात बोलनी चाहिए ...क्यूंकि भाजपा का चेहरा बदल गया है .........अब हिन्दू वादी भाजपा नहीं रही ........क्यूंकि भाजपा का गठन निम्न बैटन को लेकर हुआ था .......
भाजपा  का निर्माण इतिहास 
राष्ट्रों के उत्थान और पतन का दर्शन इतिहास का निर्माण करता है। भारतीय इतिहास के पन्ने संघ परिवार की स्पष्ट और विस्तृत संकल्पना का दिग्दर्शन करते हैं जिसके लंबे संघर्ष की कहानी सभी के लिए प्ररेणा का स्त्रोत है। भारत भारती की महान सभ्यता के गीत श्रीलंका से जावा व जापान तथा तिब्बत व मंगोलिया से चीन और साइबेरिया में गाए जाते रहे हैं। इसकी सभ्यता का आकलन कर हम पाते हैं कि हूण और शकों द्वारा इसकी सभ्यता रक्तरंजित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई लेकिन इसने टूट कर बिखरना नहीं सीखा। इसे जीवंत बनाए रखने मे विजय नगर साम्राज्य, शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा गुरू गोबिन्द सिंह के अलावा अनगिनत राष्ट्रनायकों के बलिदान एवम् महानायकों की अक्षुण्ण भूमिका रही है।

हाल के वर्षों में इस महान प्रेरणा की मशाल को लेकर स्वामी दयानन्द, महर्षि अरविंद, लोकमान्य तिलक,तथा स्वामी विवेकानन्द ने ज्ञान का ज्योतिर्मय प्रकाश फैलाया जिसे बाद में महात्मा गांधी तथा अन्य लोकनायकों ने जन-जन तक इसे प्रकाशित किया। इस विरासत को आगे बढ़ाने में डॉ. हेडगेवार की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिन्होने 1925 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। 1940 में में  गुरूजी द्वारा इस महान विरासत को आगे पहुंचाया गया। उनके दर्शन में भारतीय मुसलमानों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं थी लेकिन वे जानते थे कि इससे पूर्व के शासकों का रवैया दुर्भावनापूर्ण रहा और उन्होने हिंदुओं को मुसलमान बनने के लिए बाध्य किया। उनकी स्पष्ट धारणा थी कि सभी को न्याय मिले लेकिन किसी एक पक्ष को अनुचित तरीके से खुश करने के लिए दूसरे पक्ष को कुचला न जाए। इसके साथ ही उनका मानना था कि हम हिंदू राष्ट्र थे और हिंदू राष्ट्र हैं और महज़ मज़हबी विश्वास में परिवर्तन का अभिप्राय राष्ट्रीयता में परिवर्तन से नहीं लगाया जाना चाहिए।

पार्टी की विचारधारा में बदलाव किसी भी तरह से फायदे मंद नहीं रहा है...इस बात को गडकरी समझे तो बेहतर होगा ...........और भाजपा को २०१४ के लोक सभा में अच्छे परिणाम दे सकते हैं वरना जस का तस ......

Friday, July 9, 2010

राजधानी दिल्ली की महिलाओ के साथ सबसे ज्यादा यौन दुर्व्यवहार ......................क्या करें हम ? neeshoo tiwari


राजधानी दिल्ली की महिलाओं को देख हम विश्व के तमाम शहरों की महिलाओं को पीछे छोड़ते हैं ....पहनावा ....बोलचाल और रहन सहन देखकर महिला सशक्तिकर्ण का जुमला यथार्थवादी सिध्ह होता दीखता है......ताजा सर्वे को देखें तो करीब ७० फीसदी महिलाएं यौन दुर्व्यवहार की शिकार हैं .....आंकड़े बताते हैं की  यौन दुर्व्यवहार की शिकार १५ से १९ वर्ष के बीच की लड़कियां हैं .........‘सेफ़ सिटीज़ बेसलाइन सर्वे – दिल्ली 2010’ के तहत ५,०१० लोगों से  जिनमें ३,८१६ महिलाएँ, ९४४ पुरुष और २५० यौन प्रताड़ना के मिले-जुले प्रत्यक्षदर्शी थे....यानि हम अपने आस पास हो रहे दुर्व्यवहार को देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं ........
सर्वेक्षण के नतीजे
1 ....स्कूल और कॉलेज की छात्राएँ और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएँ सबसे ज़्यादा प्रभावित
2........जन-यातायात के साधनों में सर्वाधिक घटनाएँ
3.......पाँच में से तीन महिलाएँ रात के अलावा दिन में भी यौन प्रताड़ना का शिकार हुईं
4.......कमज़ोर बुनियादी ढांचा सबसे बड़ा कारण
5.......आमतौर पर महिलाओं को अपनी सुरक्षा ख़ुद ही करनी पड़ती है
6........समस्या से लड़ने के लिए जन अभियान की ज़रुरत
स्रोत: दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग, जागोरी, यूनीफ़ैम और यूएनएच का सर्वे

समाज में शिक्छा का आभाव है.......जागरूकता की कमी है यह बात मानी जा सकती है.........लेकिन राजधानी दिल्ली जैसे शहर में तो लोग जागरूक और पढ़े लिखे हैं .......फिर भी ऐसे आकडे  दुखद  स्थिति की ओर इशारा करते हैं ...........यानी देश की राजधानी की महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं ........वैसे भी आये दिन टी वी और समाचार पत्र में हम दुराचार , हत्या , लूटपाट की खबरे पढ़ते हैं लेकिन अगले ही पल सब भूल जाते हैं क्यूंकि ये खुद अपने साथ नहीं हुआ होता ..........पर दिल्ली वालों अब आपकी बारी हो सकती हैं .इस लिए अपनी रक्छा खुद करें ........सरकार के भरोसे न रहें .........अपने बच्चो और घर की महिलाओं को आत्म रक्छा के लिए तैयार करें .......  

Friday, July 2, 2010

ब्लोग्वानी फिर से तरोताजा होकर नए और सशक्त रूप में आ रहा है........अस्थाई विराम .मेरे विचार में यह सही कदम..........neeshoo tiwari

ब्लॉग की जब भी बात होती है तब हमको जरुरत पड़ती है एक ऐसे माध्यम की जहाँ पर सारे ब्लॉग को एक साथ पढ़ा जा सके .....यानि एग्रीगेटर .......और बहुत सारे एग्रीगेटर के आने के बाद भी ब्लोग्वानी का अपना अलग और विशेष स्थान है......कुछ दिनों से ब्लोग्वानी पर अस्थाई विराम लगा हुआ है...........मेरे विचार में यह सही कदम है.........क्यूंकि जब हम लगातार काम करते हैं तो कुछ थकावट महसूस करते हैं ..ऐसे में हमको कुछ आराम की आवश्यकता होती है...........अब ब्लोग्वानी फिर से तरोताजा हो कर नए और सशक्त रूप में आएगा ........
संद और नापसंद .........पढ़ा जाना और दुत्कार दिया जाना ..........सबसे हॉट या सबसे निचे आप की पोस्ट होना ( ब्लोगर की सहमती और असहमति इस पर ज्यादा है)........और सबसे  महत्वपूर्ण की ब्लोग्वानी से हिंदी को कितना फायदा है? ब्लोग्वानी ने अंतरजाल पर हिंदी को न्य रूप दिया और आगे भी देता रहेगा .............हाँ कुछ असामाजिक तत्त्व तो हर जगह होते हैं जो नहीं कहते की अच्छा कार्य किया जाये...पर इन लोगों पर ध्यान दिए बिना ...सार्थक प्र प्यास किया जायेगा .............और जल्द ही ब्लोग्वानी को आप फिर से देख पाएंगे ..............साथ ही जूनियर ब्लोगर एसोसिएशन 30 दिनों के अंदर वापस लाने को कटिबद्ध है........  
की  बैठक का सबसे अहम और तृतीय प्रस्‍ताव ब्‍लागवाणी के सम्‍बन्‍ध मे रखा गया। ब्‍लागवाणी के अचानक बंद सम्बन्‍ध मे चिंता व्‍यक्‍त की गई। ब्‍लागवाणी के बंद होने के कारणो का पता लगाने के लिये असीमित अधिकारों वाली जॉच समिति बनाई गई है और यह जाँच समिति पूर्ण अधिकार के साथ कार्य व हर किसी के साथ वार्ता करने का अधिकार होगा।