ब्लागर समूह से विगत कुछ महीनों मैं निजी कारण के चलते शामिल नहीं हो सका ।जिसका मुझे बेहद अफशोश है।अब फिर आप सब का साथ चाहता हूँ। निम्नवत लाइन से पुनः शुरूआत कर रहा हूँ।
नीशू (निशान्त)
उलझन भरी हसरत हमारी,
आखों में है चाहत तुम्हारी।
बेकरारी में भी है आहट तुम्हारी,
क्या तुमको पता है कि?
तुम हो इतनी प्यारी।।
1 comment:
प्यारी अगले जनम में-अभी प्यारा. :)
पुनः स्वागत है, आईये.
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