कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है.....जिसकी हम उम्मीद भी नहीं कर सकते हैं .......पर हमें बाद में पछतावा जरूर होता है.......पिछले कुछ दिनों में जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है..........( दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन को लेकर )....वैसे भी क्या हम अपने से बड़ों के बिना आगे चल सकते हैं क्या ? तो मेरा जवाब होगा नहीं ........यही बात ब्लोगिंग में भी लागू होती है.......हाँ मेरा वैचारिक मतभेद जरूर था ( जो अब दूर हो चूका हैं .........मुझे दुख है इस विवाद से ) पर मनभेद कभी भी नहीं रहा ........और न है ................और ........न ही रहेगा कभी ...............
अपने से अनुभवी और बड़े ब्लोगर ( अविनाश जी , अजय कुमार झा जी ,,,आदि से ) से बहुत कुछ सीखा है मैंने .........और हाँ बिना बड़ों के आशीर्वाद और प्यार और स्नेह के हम खुद को ( हिंदी ब्लोगिंग को ) आगे कैसे ले जायेगे ........हमको आप सभी का साथ चाहिए .........वैसे भी मैं आप से छोटा हूँ तो ये मेरा अधिकार की आपका स्नेह हक़ से ले सकूँ .............
सबसे अहम बात की मेरी पिछली लिखी पोस्ट अगर आप लोगों के कष्ट हुआ है .......तो इसका मुझे खेद और बेहद अफसोश है...........और भविष्य में ये प्रयास करूँगा की ऐसे किसी भी विवाद को पनपने ने दिया जाये ( आपस में बातचीत करके भी मामले को सुलझाया जा सकता है.........जो मैंने खुद नहीं किया ...पर आगे ध्यान रखूँगा )
आपसे ही सीखा गलतियाँ सुधारना
आपसे जी जाना खुद से आगे बढ़ना
आपसे मतभेद रहा
क्यूंकि
नीशू के समझने में फेर रहा ....
फिर हम मिल जायेगे
एक नया दीपक जलाएंगे
ब्लोगिंग के सार्थकता का
सबको पाठ पढ़ाएंगे
चलते चलते
29 comments:
क्यों आ गई अकल ठिकाने?
मान गये उस्ताद।पाबला जी का नाम नहि लिया
सरदार से मराने में मजा आता होगा ना
अजय अविनाश से बहुत कुछ सीख हैइ लिया है
अब सरदार से भी सीखना
जितना गंद है ना तुम्हारे पास उसे मत हटाना क्योंकि तुम तो बडे वो हो
अरे ये कौन आ गया बेनामी
अविनाश तो फट्टू है
और तू भी है फट्टू
कुछ भी कर लो बेटा सरदार तो तुमको छोड़ेगा नहीं आज ही दिखा था अपने वकीलों के साथ
पिछले साल तो एक ने अपनी ब्लॉगिन्ग की दुकान बन्द कर दी थी कोर्ट पहुन्चने के बाद
अब मेरा काम कोई और कर रहा तो मैं क्यों यहां रहूँ?
खबर तो यह भी है कि उसकी कम्पनी वाले भी तुमारा पता लगवा रहे
अब उनके खिलाफ भी तो तुमने बका है ना
अब जायो अपनी उसी अम्मा की गोद में जो तुमको 8 दिन से लोरी सुना रही थी
भगवान की रचना होती ही ऐसी है लोरी सुनाने वालि
लोरि सुन कर कोई सोता है कोई होश खोता है
तुअम अब अपनि नीन्द खो दोगे बबुया
तुम भी खो दोगे तुम्मरे परिवार वाले भी खो देन्गे
जब तुमारे खिलाफ होगी कानूनी कार्वाई
और तुम क्य ासमझतेहो कि अजय तुमको छोड देगा
इस बार तो तुमारी मार के रहेगा
बच रे रेना रे बाबा बच के रेना रे
अब हो रहा कोटा पूरा मेरा
तू भी क्या नाम याद रखेगा मेरा
nice
good
mai lund ka pyasa meri gand maro aur bajao uska भोपा
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