है मुझे मंजूर
लेना खून का इल्जाम सर पर
है मुझे स्वविकार कहलाना दीवाना
(कौन है जो होश में रहता हमेशा )
पर कहे कोई ही मैंने छला उसको
कल्पना में भी किसी की
है असंभव हो कभी अपराध मेरा ..( लेविस कैरोल )
मठाधीशों का तो अपराध छम्य और जूनियर ब्लोगर का अपराध तो अपराध .......अब ऐसे नहीं चले वाला .........सबको बराबर का अधिकार है... मठाधीशों का अपराध तो और भी बड़ा है क्यूंकि जो ब्लोगर अभी नया है....उसको जानकारी का आभाव होता है......इसलिए यहाँ सम्मानित गुट्बाज मठाधीशो को अपनी महानता का परिचय देना चाहिये ......न की लामबंद होकर नए ब्लोगर को दरकिनार करने की साजिश करनी चाहिए ......
कल रात मेरी नामचीनी महिला ब्लोगर से बात हो रही थी ........वह जानना चाहती थी की आखिर ये सब प्रकरण है क्या ? और हुआ कैसे ? मैंने आपना पछ रखते हुए पूरी बात कही ......हाँ पर एक लोगों की बात सुनकर किसी परिणाम पर जाना उचित नहीं होता ...........मैंने सीधे कहा की अगर मेरी गलती निकलती है तो मैं बीच सभा में सबके सामने गलती मानने को तैयार हूँ ......पर अगर मेरी गलती नहीं निकलती तो क्या मठाधीश भी ऐसा करने को तैयार होगें ( मुझे तो नहीं लगता ) .....मैंने सुप्रसिध महिला से कई सवाल भी किये ?
१....अजय झा जी को मेरे विचार अच्छे नहीं लगे .......ये बात समझ में आती है( प्रथम दिल्ली ब्लोगर सम्मलेन को मात्र खाने खिलाने की बात मैंने कही ) .......अजय जी से मेरी कोई आपसी रंजिश तो नहीं थी न ..........और हाँ क्या मैं अपनी बात भी कहने के लिए किसी से अनुमति लूँ ( अजय जी से ) तो ये बात सही होगी क्या ? दूसरी बात की बात हिंदी ब्लोगिंग से जुड़े कई मुद्दों पर की थी ......वो बात अजय जी को क्यूँ नजर नहीं आई ............या ये कहूँ की वो बस यही बात को पकड़ कर विवाद को हवा देना चाहते थे ( अगर ऐसा नहीं था तो चुप क्यों रहे )
२...............क्या मर रही है ब्लोगिंग वाली पोस्ट पर ही ...............पाबला जी की कानूनी कारवाई की धमकी ( जो आज भी मेरे पास ईमेल परहै) ...अजय जी ने तो अपना विरोध भी सही से किया होता तो मैं कुछ समझता .........लेकिन ये पाबला जी ने आकर कहा ..ये कितना और किस तरह से जायज है......( क्या ये गुटबाजी नहीं ..........हम ब्लॉग पर लिखे शब्दों को पढ़ते हैं या फिर ब्लोगर को पढने जाते हैं .....?..)
३.....इसके बाद अविनाश वाचस्पति जी बिना सूचना दिए हुए नुक्कड़ ब्लॉग से मुझे हटा देते हैं ( ब्लॉग उनका है....अगर वो बता के मुझे निकालते तो मैं उनको दोषी नहीं कह सकता था पर ऐसा क्यूँ नहीं किया ? और हाँ अविनाश जी आपने खुद ही मुझे मेल कर आमंत्रण दिया था तो कमसे कम निकलने के लिए भी एक मेल कर देते तो क्या जाता आपका..............बल्कि इसमें आपकी ही महानता दिखती ......जबकि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया )
४............मौनं स्वीकार लछनम ............
अगर मुझ पर कोई आरोप लगता है( अगर आपको लगता है की वह सही नहीं तो चुप रहना क्यूँ ...........?)तो सामने आकर अपनी बात कहनी चाहिए पर किसी ने ऐसा नहीं किया ......वजह क्या थी कोई नहीं बता सकता ?
चलते चलते
किसी को भी नाहक गुटबाजी कर परेशान करना किसी भी तरह से सही नहीं कहूँगा ........अगर हम सामने वाले को सम्मान नहीं देंगे तो सम्मान की उम्मीद कैसे लगा लेते हैं .........आज मुझे कोई गलत कहे पर मेरे सवाल का जवाब का क्या ..........अजय झा , अविनाश जी , और पाबला जी दे सकते हैं ? ( वैसे पता है की ना ही मिलेगा ) ........अगर मैंने गलत किया तो मेरा अपराध तय हो ? और अगर किसी नमी गिरामी , सम्मानित , वरिष्ठ ने ऐसा किया वहहै तो उसका भी अपराध तय होना चाहिए ? सभी के लिए एक नियम होना चाहिये .......गुटबाजी करके किसी को भी परेसान किया जा सकता है पर यह सही तरीका नहीं है.......मैं फिर कहता हूँ की हो सकता है मेरी बात और मेरे विचार से कोई इत्तेफाक न रखे पर मैं ऐसा हो सोचता हूँ .........बाकि आपकी अलग राय हो सकती है.....लेकिन विचारों में मतभेद हो ये ठीक है पर मनभेद मेरे समझ से परे है..........
27 comments:
nice
मठाधीश शब्द क्का अनुप्रयोग क्यों ?
मित्र इन बातों का कोई अर्थ है क्या.?
निशु पलक कोन हे?
पलक एक अदामि हे
दिल्लि का आदमि हे
बदा ब्लागर हे
कविताये करते हे
मेरे पास सबुत भि हे
उसकि बुरि इच्छओ का विनास होगा विनास/ विनास क्योकि सबको बता दुन्गा कि पलक कोन हे वोभि सबुत के साथ
अब छोड़ो भी, नीशू जी !
बेनामी की बात पर भी गौर करो,
अच्छा लिखने की प्रतिभा है तुममे,
बस लिखते रहो.. तुम्हारा कद तुम्हारे पाठक बढ़ायेंगे,
न कि वो लोग, जिन्हें तुम मठाधीश कहते हो !
एक षोडशी छलावे के पीछे अपने को प्रूव करने के प्रयास में स्वयँ को हास्यास्पद न बनाओ,
तुम्हारा गुस्सा ज़ायज़ है, फिर भी यह मेरा आग्रह है, आदेश देने की हैसियत फिलहाल नहीं है ।
यह देख कर दुःख होता है कि उत्तेजना के चलते वर्तनी की दर्ज़नों अशुद्धियों से यह पोस्ट लदी पड़ी है
nice
वो नामचीन ब्लागरा कौन है ? ध्यान रखियेगा ऐसे लोग मुंह पर कुछ कहते हैं और पीठ पीछे आपके विरुद्ध ही षड्यंत्र !
आप अब जूनियर नही सीनियर हो गये हो!
नवागन्तुकों का मार्गदर्शन कीजिए!
पलक नाम से जो छिछोरा आदमी छिछौरेपन की बातें लिख रहा है.... इसे शर्म नहीं आती?
खुद दादा की उमर का है,.... लोगों को पोते बनाता फिरता है....और लड़की बनकर एतना छिछौरापन...
इसका तो विनाश होना ही चाहिये..
Kaun hai yah Palak? Dilli ka bada blogger hai? Wo bhi kavita karta hai? Kaun hai bhai, yah khulasa ho hee jaana chahiye ab.
Palak ek ladki nahin hai, yah baat to tay hai. lekin ye hai kaun aadmi?
अरविन्द मिश्र का भदेस पना शायद ही जाए । महिला ब्लॉगर को अपमानित करने का कोई कारण हो ना हो ये बिना किये नहीं चूकते । तक़रीबन हर महिला ब्लॉगर इनके ब्लॉग पर जाकर आपत्ति दर्ज कर चुकी हैं ब्लोगरा कहने पर लेकिन इनका प्रलाप चालू हैं । कुछ लोग बुढापे मे भी नहीं सीखते
नीशू जी
क्यूँ अपनी उर्जा व्यर्थ कर रहे हैं । कुछ और भी लिखे जो सार्थक हो ।
इस ब्लौगर ने पलक के नाम से जो लिखा है इसकी सिकायत इसके सरकारी आफिस और सूचना प्रसारण मत्रालय में भेज दें तो कैसा रहे...
स्त्रियों का घिनोना मजाक उराया है..
बेनामी भाई, ये है कौन? और कौन से सरकारी विभाग की शोभा बढ़ाता है? पता तो चले कि कौन है जो इस तरह का काम कर रहा है.
----आपका बेनामी
अरविन्द मिश्र एक अजीब सा चरित्र है
एक काम करते हैं
किसी दिन इसको कम्बल में लेकर
शुरू कर दो
मुक्कों से दम दमा दम दम
होश ठिकाने आ जायेंगे
हिंसा का सहारा लेना कदाचित उचित न होगा.
ऊपर वाले बेनामी जी, अगर आप वही बेनामी हैं जो पलक के नाम से लिख रहे आदमी के बारे में जानते हैं तो कृपया बताएं कि यह आदमी कौन है. मैं वह बेनामी हूँ जो यह जानने के लिए बेचैन है. अगर आप जानकारी रखें वाले बेनामी नहीं हैं तो कोई बात नहीं.
आपका
बेनामी
अगर हम सामने वाले को सम्मान नहीं देंगे तो सम्मान की उम्मीद कैसे लगा लेते हैं
माधव, सुमन जी ने तुम्हारे कमेन्ट की नक़ल कर ली है. तुम सुमन जी से शिकायत करो....:-)
कूप कृष्ण जी की टिप्पणियां धीरे-धीरे घटती जा रही हैं. सुबह २९ थीं. दोपहर में २७ और अब २३. वे क्या अपनी टिप्पणियां वापस ले रहे हैं?
में खीच के बताउगा तान के बताउगा लेकिन बताउन्गा जरुर कि कोन है पलक
पलक लडकी नही है लेकिन पलक ने जो घिनौनापन किया है उसको छाप के भेजुन्गा पलक के आफिस मे सबको एक एक कापी और फिर देखते है करवाता है कि नही पलक उसका प्रसारण
और भेजुन्गा इसके घर में एक कापी कि इसके पारिवार वाले ही जान जाये कि क्या हो रहा है इतई शर्मनाक कैसे करी
घिनोने लोग युवाओं को सीख देते हैं और खुद गन्दि बात कर रहे है हम तो इन पर शर्म कर रहे है लेकिन नाम अब तक इसलिये नही बोला कि पुरनि इज्जत बाकि है वरना सब कुछ खुलासा कर दें... तो उन्हें माफी माग कर ऐसा फिर कभी नहीं करना चाहिये
और एक बुरा आदमि हे जो कूप किस्न है इसकी भी असलियत पता है... यह सोचता है कि यह छुप गया लेकिन सबको पता है कि यह कोन है उनका बावलापन देखकर भी शर्म नहि आति इन बदे ब्लागरो को जो हमे सीख देते है
बेनामी भाई, आप खींच-तान की बात करते हैं तो हम मान लेते हैं. लेकिन यह जानकार बहुत ख़राब लग रहा है कि पलक के नाम से लिखने वाला कोई बुजुर्ग है. और उनका परिवार भी है. लानत है.
अगर पलक नाम के छिछोरे ने अपना ब्लाग 24 घंटे के अन्दर नहीं मिटाया तो इसे वनस्पति बनना पड़ेगा, मैं इसकी ip सार्वजनिक कर दुन्गा,
आदरणीय बेनामी भाई,
सादर प्रणाम
पलक जी ने तो अपना ब्लॉग डिलीट कर दिया. आपने २४ घंटे का टाइम दिया था और वे एक घंटे में ही मान गई. लेकिन बेनामी भाई, आई पी एड्रेस तो कोई भी सर्वनाजिक कर देगा. आप तो उस छिछोरे का नाम बताइए. अगर आपने ऐसा नहीं किया तो यह ब्लोग्वुद के लिए ठीक नहीं होगा.
आप उस छिछोरे का नाम ज़रूर बताएं. आपको बेनामियत की कसम.अब बेनामियों की इज्ज़त आपके हाथों में है.
आपका
बेनामी
अंतिम गणना होने तक कूप कृष्ण जी की टिपण्णी १८ हो गईं हैं.
पलक जी ने तो अपना ब्लॉग डिलीट कर दिया अब नीशु भी वही काम करेगा
कहान पर कूप कृष्ण जी की टिपण्णी १८ हो गईं हैं?
नीशू जी आपसे फोन पर इतनी लम्बी बातचीत के बाद लगा था कि इस समस्या का कोई हल निकल आएगा पर लगता है ऐसा नहीं हो सका. ब्लॉग संसार की असलियत ये है कि सभी को नहीं पढ़ते हैं और सभी के साथ नहीं जुड़ते हैं. रही बात इस तरह के विवादों की तो इससे होने वाला क्या है? एसोसिअशन बनाने या न बनाने से कोई संसद का रास्ता खुल या बंद हो रहा है.............हम फिर कहेंगे कि आपकी कलम में ताकत है..ऐसा लिखो कि कुछ भी खुरापात करने वाले की पेंट गीले बनी रहे कि पता नहीं नीशू अब क्या लिखेगा?
शेष आप सभी लोग खुद समझदार हैं....हम तो अभी सीनियर या जूनियर किसी में नहीं आते हैं............
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
फिल्म- देशप्रेमी
गीत-महाकवि आनन्द बख्शी
संगीत- लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल
नफरत की लाठी तोड़ो
लालच का खंजर फेंको
जिद के पीछे मत दौड़ो
तुम देश के पंछी हो देश प्रेमियों
आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों
देखो ये धरती.... हम सबकी माता है
सोचो, आपस में क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो..... मेरे देश प्रेमियों आपस में प्रेम करो
मीठे पानी में ये जहर न तुम घोलो
जब भी बोलो, ये सोचके तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता, जो बना हो कड़वी बोली से
दो मीठे बोल कहो, मेरे देशप्रेमियों....
तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की
रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
पूरब-पश्चिम- उत्तर- दक्षिण का क्या मतलब है
इस माटी से पूछो, क्या भाषा क्या इसका मजहब है
फिर मुझसे बात करो
ब्लागप्रेमियों... आपस में प्रेम करो
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