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Saturday, September 13, 2008

कास्टिंग काऊच

फैशनपरस्ती के दौर में बालीवुड का ग्लैमर युवा वर्ग को आकर्षित करता रहा है। और इस चकाचौंध कर देने वाली दुनिया में अपने पांव को जमीन दे पाना । लोहे चने चबाने जैसा है, कभी -कभी बालीवुड से ये खबर आती रहती है या आरोप लगते रहते हैं खासकर नये कलाकारों (जिनको कि फिल्मी कैरियर की तलाश होती है) के द्वारा कि उनका शारीरिक शोषण हुआ है। इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी है। युवा वर्ग के कलाकार अपना कैरियर जल्दी ही एक मुकाम तक पहुँचाना चाहते हैं। और ऐसे में जरूरत होती है काम की । इसी काम के चक्कर में शोषण का शिकार होना संभव हो जाता है। ज्यादातर वो लडंकियां जो जल्दी ही फिल्मी स्टार बनाना चाहती है तो ऐसे में फिल्मी चक्कर में वो फंसकर अपना रास्ता खुद तय करती है।
कास्टिंग काऊच का कई बार जिक्र आता है जिसमें शक्तिकपूर और मधुर भण्डारकर जैसे लोगों पर आरोप लग चुके हैं। कई बार लडंकियां खुद को ही इस मुसीबत में डालती है और बाद में जब उनसे काम निकल जाता है फिर बाद में जब कुछ हाथ नहीं लगता है तो फिर वाद-विवाद के अलावा कुछ भी नहीं होता है।जो जितना अच्छा ऊपर से दिखता है वह उतना अच्छा हकीकत में भी है यह पता तभी चलता है जब हम उस फील्ड में हो।
इन सारी समस्या से बचाव यही है खुद को ऐसी समस्या में न डालें। जल्दी की कामयाबी में कहीं सब कुछ न चला जाये।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

कीचड की तरफ़ जाओ ही नही तो दाग केसे लगे गा,ओर जब कीचड मे घुसो गे तो छींटे तो जरुर लगेगे, साथ मे दाग भी अब दिखे या ना दिखे..
आप ने लेख मे बहुत उचित बात लिखी हे
धन्यवाद