काग्रेस के महासचिव और सांसद राहुल गांधी ने फिर दोहराया है कि विकास योजनाओं का लाभ जमीन तक नहीं पहुच रहा है। उनका कहना है कि गरीबों तक एक रूपये में पांच पैसे ही पहुच पाते हैं। जब कि आज के करीब दो दशक पहले राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी ने कहा था कि गरीबों तक एक रूपये का पन्द्रह पैसे ही पहुच पाता है । तो क्या यह माना जाए कि हालात और बदतर हुए है? कुछ दिनों पहले जो ट्रासपरैंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आयी है , जिसमें कहा गया है कि भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा है । राहुल का इशारा यही है । राहुल ने कहा कि योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य स्तर पर सही नहीं हो रहा है।
रोजगार गारंटी योजना को लागू करते हुए सरकार ने यह दावा किया था कि इसमें इसका दुरूपयोग रोकने के कई प्रावधान किए गये हैं । पर रिपोर्ट बताती है कि इसमें बहुत गड़बडियां बताती है । रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसे की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गयी है। । कुछ लोगों को सस्पेड किया गया है। पर देश में नौकरशाही को संवेदनशील और जवाबदेह बनाने की की गंभीर कोशिश आज तक नहीम की गयी। सरकार चाहती तो योजनाओं को सफल कर सकती थी। पर कोई कड़े नियम नहीं लागू किये। स्थआनीय स्तर पर जन प्रतिनिधियों को अधिकार देने और उनके जरिये योजनाओं पर नियत्रण पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। जनप्तिनिधि और नौकरशाहों में कई जगह तो गढजोड विकसित हो गई। इन योजनाओं की राशि का बंदरबांद कर लिया जा रहा है। जब तक नीयत साफ नहीं होगी समाज को बदले की दृढ़ इच्छा राजनीतिक नेतृत्व के भीतर नहीं होगी। यह खेल चलता रहेगा।
रोजगार गारंटी योजना को लागू करते हुए सरकार ने यह दावा किया था कि इसमें इसका दुरूपयोग रोकने के कई प्रावधान किए गये हैं । पर रिपोर्ट बताती है कि इसमें बहुत गड़बडियां बताती है । रिपोर्ट में कहा गया है कि पैसे की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गयी है। । कुछ लोगों को सस्पेड किया गया है। पर देश में नौकरशाही को संवेदनशील और जवाबदेह बनाने की की गंभीर कोशिश आज तक नहीम की गयी। सरकार चाहती तो योजनाओं को सफल कर सकती थी। पर कोई कड़े नियम नहीं लागू किये। स्थआनीय स्तर पर जन प्रतिनिधियों को अधिकार देने और उनके जरिये योजनाओं पर नियत्रण पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। जनप्तिनिधि और नौकरशाहों में कई जगह तो गढजोड विकसित हो गई। इन योजनाओं की राशि का बंदरबांद कर लिया जा रहा है। जब तक नीयत साफ नहीं होगी समाज को बदले की दृढ़ इच्छा राजनीतिक नेतृत्व के भीतर नहीं होगी। यह खेल चलता रहेगा।
3 comments:
अजी राहुल बाबा को भी तो १० पेसे चाहिये बाकी बचे ५, अजी सभी को हिस्सा मिलेगा....
धन्यवाद
क्या कहा जाये, सिर्फ अफसोस जताने के.
आप हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, इसके लिए साधुवाद। हिन्दुस्तानी एकेडेमी से जुड़कर हिन्दी के उन्नयन में अपना सक्रिय सहयोग करें।
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सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते॥
शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। हार्दिक शुभकामना!
(हिन्दुस्तानी एकेडेमी)
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