एक सफर लम्बा चलें,
मुस्कुराते हुए उसके कदम
हो हौसला जब जवां तो
मंजिल बढ़ाये खुद कदम,
बंद पलकें आज भी देखती है तुझको
ये मुशाफिर तू कहां है
और
कहां तेरा रास्ता,
भूल जाने की कोशिश की बहुत
पर फिर तेरा इंतजार
है उसको।
आना कभी जब इधर से ,
देना उसको तुम खबर
आखिरी ख्वाहिश है उसकी,
तुमसे मिले
और करे पूरा सफर।
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