सुबह की धुंध में,
चिडियों की चहचहाहट,
सूरज की पहली किरण ,
जब ओस के बूदों पर पड़ती
तो ऐसा लगता -मानों की एकसाथ
हजारों मोती चमक रहें हो,
दूर कन्धे पर फावड़ा रखें किसान,
खेत की तरफ आता हुआ दिखता है,
ओस की बूंदों पर पड़ते उसके कदम
ढेर सारे चमकते हुए मोतियों को
धरती में समहित कर देता है,
खेत में मिट्टी के कणों के प्यार,
जगाता है,
और अपने काम में लग जाता है,
कुछ गुनगुनाता है-
शायद वह कुछ बात करता है ,
अपनी धरती मां कि तुम ही तो हो
जो मेरा जीवन चलाती हो,
शान्त वातावरण में किसान आता है,
और
दुनिया को एक अच्छी सुबह देकर
चला जाता है-
शायद यही जीवन है।
चिडियों की चहचहाहट,
सूरज की पहली किरण ,
जब ओस के बूदों पर पड़ती
तो ऐसा लगता -मानों की एकसाथ
हजारों मोती चमक रहें हो,
दूर कन्धे पर फावड़ा रखें किसान,
खेत की तरफ आता हुआ दिखता है,
ओस की बूंदों पर पड़ते उसके कदम
ढेर सारे चमकते हुए मोतियों को
धरती में समहित कर देता है,
खेत में मिट्टी के कणों के प्यार,
जगाता है,
और अपने काम में लग जाता है,
कुछ गुनगुनाता है-
शायद वह कुछ बात करता है ,
अपनी धरती मां कि तुम ही तो हो
जो मेरा जीवन चलाती हो,
शान्त वातावरण में किसान आता है,
और
दुनिया को एक अच्छी सुबह देकर
चला जाता है-
शायद यही जीवन है।
5 comments:
इतनी खुबसूरत सुबह !आँखों के आगे चलचित्र सा
घूम गया...........
bahut sundar rachana badhai.
बहुत उम्दा, क्या बात है!
बहुत सुंदर ..
bhut unda accha likh lete ho pandit jiiiiiiiiiiiiii
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