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Monday, September 15, 2008

गीत - मेरे

धड़कन बनी दिल की जुबां
आओ चले हम -तुम वहां
जहां कोई न हो
मौसम लगे कितना हंसी
ये रास्ता नया लगता नहीं
बारिश सुनो कहती है क्या
है ये हवा बिल्कुल वही
धड़कन बनी दिल की जुबां
आओ चले हम तुम वहां जहां
कोई न हो
हमको कुछ न पता हो
चाहे दिल से खता हो
वक्त थम जाये अभी
अपनी कोई सजा हो
धड़कन बनी दिल की जुबां
आओ चले हम तुम वहां
जहां कोई न हो।

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुन्दर कविता
धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया, निशु!

KRAZZY said...

bahut hi achhi kavita hai...........
keepit up.