कान्फ्रेंस हाल में किसी सीरियस मैटर पर डिस्कशन हो रहा हो।। अचानक सविता के कलीग तरूण के फोन से 'कंडोम, कंडोम की घुन बजने लगी। हाल में बैठे कुछ लोग तो हंसने लगे,जबकि कुछ एकदम हैरान रह गये। सविता को भी झिझक महसूस हो रही थी। तरूण भी तुरंत मोबाइल उठाने के लिए लपका , लेकिन आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि यह रिंगटोन विश्व की नं एक रिंगटोन बन चुकी है। नैशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन का कहना है कि यह रिंगटोन लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता पैदा करेगी।
अभी कुछ दिनों पहले टीवी पर एक दिलचस्प ऐड लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ था। जिसमें कबड्डी,कबड्डी की जगह पर कंडोम,कंडोम बोलते हैं। जैसे कि यह सिर्फ काफी नहीं था। अब सेल फोन पर आप चाहें तो ऐसी रिगटोन डाउनलोड कर सकते हैं, जिसमें किसी का फोन आने पर आपको नार्मल ट्रिंग-ट्रिंग की तरह कंडोम-कंडोम सुनाई देगा। कई लोगों ने इसको अपनाया भी है।"कंडोम ए कैपला दो साल का प्रोजेक्ट है " जिसका मकसद लोगों में कंडोम के इस्तेमाल में झिझक को दूर करना है। लोग अब भी कंडोम का नाम लेने में झिझकते हैं। आज मोबाइल शहर से गांव तक आम हो गया है। किसी के मोबाइल की रिंगटोन से उस व्यक्ति के नेचर का पता चलता है। ऐसी में यूथ सेक्स के प्रति जागरूकता पैदा करना है। और शर्म भी दूर हो सकेगी। सवाल यह है कि कितने लोग इस सलाह को मानने के लिए तैयार होगें या 'कंडोम' जैसी रिंगटोन से प्राभावित होगें?इस रिंगटोन के जहां तक दुष्परिणाम की बात है तो शरारती किस्म के पुरूष महिलाओं के नजदीक इस रिंगटोन को बजाकर उनके लिए अजीब स्थिति जरूर पैदा कर सकते हैं। और अगर इस तरह की रिंगटोन बजती है तो आसपास लोगों को इसे उलझन हो सकती है और कुछ लोग खिलखिलाकर हंस भी सकते हैं।इस सब्जेक्ट पर टीवी ऐस काँमिडी से ज्यादा और कुछ भी नहीं।रिंगटोन को सफलता तभी मिलेगीं, जब हम अपने टारगेट ग्रुप को इसके सुरक्षित इस्तेमाल का तरीका समझा सके।और बड़े बुजुर्ग को सेक्स के बारे में खुली बहस के लिए प्रेरित कर सकें।वैसे सभी के सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम होते है यह हम पर निर्भर करता है कि हम क्या ग्रहण करते हैं।
अभी कुछ दिनों पहले टीवी पर एक दिलचस्प ऐड लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ था। जिसमें कबड्डी,कबड्डी की जगह पर कंडोम,कंडोम बोलते हैं। जैसे कि यह सिर्फ काफी नहीं था। अब सेल फोन पर आप चाहें तो ऐसी रिगटोन डाउनलोड कर सकते हैं, जिसमें किसी का फोन आने पर आपको नार्मल ट्रिंग-ट्रिंग की तरह कंडोम-कंडोम सुनाई देगा। कई लोगों ने इसको अपनाया भी है।"कंडोम ए कैपला दो साल का प्रोजेक्ट है " जिसका मकसद लोगों में कंडोम के इस्तेमाल में झिझक को दूर करना है। लोग अब भी कंडोम का नाम लेने में झिझकते हैं। आज मोबाइल शहर से गांव तक आम हो गया है। किसी के मोबाइल की रिंगटोन से उस व्यक्ति के नेचर का पता चलता है। ऐसी में यूथ सेक्स के प्रति जागरूकता पैदा करना है। और शर्म भी दूर हो सकेगी। सवाल यह है कि कितने लोग इस सलाह को मानने के लिए तैयार होगें या 'कंडोम' जैसी रिंगटोन से प्राभावित होगें?इस रिंगटोन के जहां तक दुष्परिणाम की बात है तो शरारती किस्म के पुरूष महिलाओं के नजदीक इस रिंगटोन को बजाकर उनके लिए अजीब स्थिति जरूर पैदा कर सकते हैं। और अगर इस तरह की रिंगटोन बजती है तो आसपास लोगों को इसे उलझन हो सकती है और कुछ लोग खिलखिलाकर हंस भी सकते हैं।इस सब्जेक्ट पर टीवी ऐस काँमिडी से ज्यादा और कुछ भी नहीं।रिंगटोन को सफलता तभी मिलेगीं, जब हम अपने टारगेट ग्रुप को इसके सुरक्षित इस्तेमाल का तरीका समझा सके।और बड़े बुजुर्ग को सेक्स के बारे में खुली बहस के लिए प्रेरित कर सकें।वैसे सभी के सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम होते है यह हम पर निर्भर करता है कि हम क्या ग्रहण करते हैं।
4 comments:
मित्र, देखा बाजार कितना समझदार है। वो हर जगह अपनी चाह और राह खोज ही लेता है।
पता चला किसी दिन ब्लोग open करे तो ये ही गाना बजे..
जागरुकता ला रहे हैं.
अच्छा है1
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