गावं की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है सरकार भलें ही यह दावा करे कि उसकी नीतियों से देश के पिछड़े और निर्धनों की स्थिति में सुधार हुआ है।सरकार की योजनाओं का कोई खास असर नहीं दिख रहा है, और इन योजनाओं की मिसाल देकर सरकार यह कहे कि इनसे गांव की सूरत बदली है। सरकार के तमाम योजनाओं पर आज सवालिया निशान लग रहें हैं। मध्य प्रदेश में कुपोषण से पिछले वार माह में १६० से ज्यादा मौतें हुई है। जनजातीय इलाकों की हालत और भी खराब है। यही साथ हीसाथ दूसरे राज्यों की भी स्थिति अच्छी नहीं है।
देश में भूख से जो मौतें होती है सरकार उसे स्वीकार नहीं करती है , किसानों की आत्महत्या की खबरे आती रहती है, गांवों में मौत के लिए कई छोटी-छोटी बीमारियां भी जिम्मेदार है। इसकी वजह है पर्याप्त भोजन का न मिल पाना। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि देश के २० करोड़ लोगो को ढ़ग का खाना नसीब नहीं होता है । पचास से ज्यादा फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार है।
महिलाएं भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के कारण प्रसव के दौरान जान गंवाती है ।(लगभग ५ लाख महिलाएं ) । भारत सरकार ने राष्ट्रीय रोजगार गारटी योजना को केन्द्र ने बड़ जोरशोर से शुरू किया था पर यह ढ़ग से अमल में लाया नहीं जा सका। और मिड डे मील योजना का भी खस्ता हाल है। हर जगह पर यही रोना है कि सरकार के द्वारा मुहैया कराया धन स्थानीय स्तर तक आते आते बट जाता है और लाभ न के बराबर होता है। भारत की ग्रामीण इलाको का यथार्थ बहुत ही भयावह है। केवल योजना देने से ही स्थिति नहीं सुधरती बल्कि योजना का सही उपयोग भी होना जरूरी होता है जो कि नहीं हो रहा है।
देश में भूख से जो मौतें होती है सरकार उसे स्वीकार नहीं करती है , किसानों की आत्महत्या की खबरे आती रहती है, गांवों में मौत के लिए कई छोटी-छोटी बीमारियां भी जिम्मेदार है। इसकी वजह है पर्याप्त भोजन का न मिल पाना। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि देश के २० करोड़ लोगो को ढ़ग का खाना नसीब नहीं होता है । पचास से ज्यादा फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार है।
महिलाएं भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं न होने के कारण प्रसव के दौरान जान गंवाती है ।(लगभग ५ लाख महिलाएं ) । भारत सरकार ने राष्ट्रीय रोजगार गारटी योजना को केन्द्र ने बड़ जोरशोर से शुरू किया था पर यह ढ़ग से अमल में लाया नहीं जा सका। और मिड डे मील योजना का भी खस्ता हाल है। हर जगह पर यही रोना है कि सरकार के द्वारा मुहैया कराया धन स्थानीय स्तर तक आते आते बट जाता है और लाभ न के बराबर होता है। भारत की ग्रामीण इलाको का यथार्थ बहुत ही भयावह है। केवल योजना देने से ही स्थिति नहीं सुधरती बल्कि योजना का सही उपयोग भी होना जरूरी होता है जो कि नहीं हो रहा है।
1 comment:
विचारणीय आलेख!!
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