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Tuesday, September 23, 2008

शांति का एक दिन -yaagya sharma

बीते २१ सितम्बर को अचानक मालूम हुआ कि आज तो 'विश्व शांति दिवस 'है। जब मुझे पता चला तो मन में सबसे पहला ख्याल यह आया कि आखिर इस दिवस को मनाया कैसे जाता है? जन्मदिन पर केक काटा जाता है , स्वाधीनता दिवस पर झंडा फहराया जाता है, दीवाली के दिन पटाखे फोड़े जाते हैं। क्या आपको पता है कि विश्व शांति दिवस पर क्या करना चाहिए? मुझे कुछ भी पता नहीं था,इसलिए मैंने सोचा कि किसी और से पूछ के देखना चाहिए। सबसे पहले मैंने एक आतंकवादी से पूछा,'आज विश्व शान्ति दिवस ' है । आप लोग क्या करेगें?
आतंकवादी,'बोला आज हम कोई आत्मघाती हमला नहीं करेंगे। कोई गोली नहीं चलाएगे। किसी को मसरेंगे नहीं।बस शांति के साथ बारूधी सुरंग बिछाएगें। मैंने कहा,'उस सुरंग से कोई गुजर गया तो?' वह झट से बोला,' वह उसकी गलती ? कोई शांति से न जीना चाहे तो हम क्या करें? दिनया का कोई उत्सव तब तक सफल नहीं होता है, जब तक कि बाजार उसमें रीचि न ले। शांति के मामले में बाजार बिल्कुल शांत था। किसी दुकान पर शांति नहीं दिख रही थी। बिकने वाली चीज होती तो दिखती। विश्व शांति दिवस वैलंटाइन डे जैसी कोई चीज होता, तो फिर बाजार की रौनक देखने के लायक होती। हर क्लब में ' ओम शांति ओंम' की धुन पर डिस्को हो रहा होता। फाइव स्टार होटलों में स्पेशल' वलर्ड पीस डे मेन्यू' तैयार किये जाते।ग्राहकों के तन-मन में शांति के लिए विशेष'पीस वाइन' की बोतलें पेश की जाती।
शांति से काट के पकाया गया मुर्गा परोसा जाता। दिन का उत्सव रात तक चलता। बाजार जब मनाएगा तो सिर्फ विश्व शांति दिवस नहीं मनाएगा, वह साथ में विश्व शांति निशा मनाएगा। आधुनिक समाज नाइट में लाइफ ज्यादा महत्तवपूर्ण होती है,तभी तो ज्यादातर 'दिनो' के उत्सव रात में मनाये जाते हैं। फिलहाल विश्व शांति दिवस ऐसे नहीम मनाया जा रहा था। कारण साफ है, वह वेलंटाइन ड़ जैसा सेक्सी नहीं है न।
शांति की हर बात में बुजुर्ग बहुत रूचि लेते है। मैंने एक बुजुर्ग से पूछा,' आपकी राय में विश्व शांति दिवस कैसे मनाया जाना चाहिए?' बुजुर्ग ने कहा, ' आजकल कैसे मनाएं यह तो मुझे पता नहीं । लेकिन हमने पंडित नेहरू का जमाना देखा है । वे शांति के नाम पर कबूतर उडाते थे।" कबूतर उड़ाने से शांति हो जाती है?" 'सिर्फ कबूतर नहीम' सफेद कबूतर"। ठीक है सफेद कबूतर? क्या सफेद कबूतर उड़ाने से शांति हो जाती है। यह तो काग्रेसियों से पूछों?बुजुर्ग में तरफ ऐसी नजर से देख रहे थे तो मैने वहां से खिसकना ही बेहतर समझा। अन्यथा शांति भंग हो सकती थी।

1 comment:

Udan Tashtari said...

जहाँ इतने प्रयास चल रहे हैं अमन कायम करने के..एक सफेद कबूतर भी उड़ा कर देख ही लो!!!