इस नयी उम्र में बहुत कुछ सीख रहा हूँ मैं,
इश्क की बारिश में भीग रहा हूँ मैं।
खुली आंख से ख्वाब देख रहा हूँ मैं,
उससे कुछ कहने डर रहा हूँ मैं।।
१-
अपने सजदो के निशां नूर-ए-नजर पर छोड़ दिये मैंने
वो दो फूल भी न ला सका मेरी मजार पर
२-
इश्क की बारिश में भीग रहा हूँ मैं।
खुली आंख से ख्वाब देख रहा हूँ मैं,
उससे कुछ कहने डर रहा हूँ मैं।।
१-
अपने सजदो के निशां नूर-ए-नजर पर छोड़ दिये मैंने
वो दो फूल भी न ला सका मेरी मजार पर
२-
अफराद(बहुत ज्यादा) नहीं मिलते यूँ कांधे मय्यतों को।
मुआयदा(वादा) ही करते हैं लोग कयामत से कयामत का।।
मुआयदा(वादा) ही करते हैं लोग कयामत से कयामत का।।
३-
आइने में यूँ नहीं दिखती दरार मुझे।
गनीमत है दो चार हम सूरत नहीं शहर में मेरे।।
गनीमत है दो चार हम सूरत नहीं शहर में मेरे।।
४-
मेरी तिलाबत से मेरी तकदीर को ना देखो।
मैं अधेरों में भी मंजिल को पा लेता हूँ।।
मैं अधेरों में भी मंजिल को पा लेता हूँ।।
५-
जंजीरे जकड़ लेती हैं आजाद होने से पहले।
मैं हर गर्दिशों को तोड़ देता हूँ तेरी इबादत से पहले।।
६-
मैं हर गर्दिशों को तोड़ देता हूँ तेरी इबादत से पहले।।
६-
चलायी कलम मैने तो अल्फाज बन गये।
और ऐसे बने अल्फाज की हम खुद ही गुनहगार बन गये।।
और ऐसे बने अल्फाज की हम खुद ही गुनहगार बन गये।।
७-
लटको न शाखों पर टूट जायेगी ।
जिंदगी की शाम अंधेरों में डूब जायेगी।।
जिंदगी की शाम अंधेरों में डूब जायेगी।।
८-
हर उम्मीद का दिया जलाया था मैने हर रात आने से पहले।
अंधेरा ले गया रोशनी मेरी कायनात में आने से पहले।।
अंधेरा ले गया रोशनी मेरी कायनात में आने से पहले।।
९-
गुजारी है कई रातें मैंने मेरे शहर में।
यहां तहजीब से बोलो इज्जत मुफ्त मिला करती है।।
यहां तहजीब से बोलो इज्जत मुफ्त मिला करती है।।
4 comments:
Bahut badhiya rachana or badhiya abhivyakti. likhate rahiye.
बहुत खूब सूरत शेर चुने हैं आप ने...बधाई.
नीरज
इन सुन्दर शेरो के लिये आप का धन्यवाद
बहुत उम्दा शेर लाये हैं.
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