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Monday, September 8, 2008

कहानी कमली की.......

एक ही सपना लिए जीवन गुजार देना और सपना सच हो या नहीं? क्या पता ।सारे सवाल कुछ भी मायने नहीं रखते जब विश्वास की डोर इतनी मजबूत हो कि वह किसी भी समस्या से जूझने को तैयार हो
कमली अकेली थी अपने मां -बाबा की । गरीब जरूर थी पर दिल से नहीं। गरीबी का दुख था पर जीवन के प्रति खुश रहने वाली। उम्र १४ वर्ष , चंचल स्वभाव , सांवली काया , बालों में दो फीते (यही सिंगार था), और तन कपड़ों से ढ़का हुआ। पढ़ने के नाम पर कुछ खास नहीं। पर जब स्कूल में वजीफा मिलता तब वह खुश जरूर होती थी क्योंकि बाबा के साथ जब वह स्कूल जायेगी तब उसे मीठी गोलियां और कुछ पैसे जरूर मिलेंगें।
मां-बाबा की लाडली थी कमली। गरीबी का बोझ तो था ही । जिंदगी की रोटी भी बड़ी मुश्किल से चलती थी। ऐसे में एक बेटी का बोझ । पहाड़ सा बुजुर्ग मां-बाप के लिए।मन में यही व्याकुलता रहती कि कमली का ब्याह अपने जीते जी कर दें ।और बेटी अपने घर जा सके। कहीं कोई अपनी जाति का लड़का मिल जाता तो कमली के हाथ पीले कर देते।कमली तो एकदम से नादान , भोली थी । उसे क्या पता कि एकदिन उसे अपना घर छोड़ना होगा। कुछ भी नहीं था उसके घर में पर वह खुश थी।
कमली के लिए उसके बाबा को एक अधेड़ उम्र लगभग ४५ वर्ष का लड़का मिल गया। यह उसकी दूसरी शादी थी। बगल के ही गांव का था। शादी में कमली के मां-बाब ज्यादा खर्च न कर सकते थे तो ऐसे ही वर की तलाश भी थी। दहेज के नाम पर कमली ही सब कुछ थी और कुछ चाहकर भी तो न दे सकते थे।
कमली भी अपनी शादी के बारे में सुनकर मन ही मन खुश थी। एक त्यौहार जैसा माहौल था घर पर , खाने का अच्छा प्रबंध था ,जीवन में पहली बार इतना कुछ देखा था पहली बार।कमली का उत्साह बढ़ा था नये घर जाना है कैसा होगा? क्या होता है शादी में? जहां जाना है वहां लोग कैसे होगे? आदि इच्छाएं थी कमली के मन में।शादी हो गई जल्दी जल्दी । मां-बाबा खुश थे बिटिया अपने घर चली हई। कमली आज खुश तो थी पर मां बाबा को छोड़ कर पहली बार अकेली थी। कमली आज बहुत सुन्दर लग रही है क्योंकि उसने नये कपड़े जो पहने हैं। चांदी के कुछ गहने भी कमली के शरीर पर सजे हैं। कलमी को घेरे है कई महिलाएं और बच्चे। उसका हाल चाल लेने के लिए ।
सुहागरात क्या होती है वह नही जानती पर फिर भी जो कुछ हुआ वह बलात्कार से कम नहीं था ।कमली शायद इसके लिए तैयार न थी । या बचपन ही तो था उसका। पति ने पहली ही रात कमली को पीटा। वह रो-रोकर सो गयी। सुबह हुई वह दुखी थी रात की घटना को सोचकर। पति मिला बाप की उमर का वह भी शराबी , पीता है कोई बात नहीं पर मारता क्यों है? कमली का जीवन भी गांव की सब औरतों जैसा ही था कुछ नया नहीं। पर कमली अनाथ तब हुई जब उसके मां-बाबा न रहे। वह रो रोकर बेहाल हो गई पर उसके पति ने उसे घर जाने न दिया।अब कमली का कोई नहीं रहा इस दुनिया में । पति है जानवर जैसा ।मारपीट करता रहता आये दिन। कमली कभी-कभी सोचती कि भाग जाये कहीं ? पर कहां? कोई सहारा तो न था उसका । अब जीने की आदत सी हो गई थी ऐसे ही। लड़ाई झगडे होते रहते पर जीवन अपनी रफ्तार से चला चल रहा था।
लेकिन अचानक एक दिन पति से रात में झगड़ा हुआ, फिर सब शान्त हो गया । कमली जाकर सो गई । सुबह हुई।खबर आग की तरह गांव में फैल हई कि कमली मर गयी। एक- एक लोग आते गये और भीड़ जमा हो हई। क्या हुआ? कैसे हुआ ?सवाल कई थे पर जवाब कोई नहीं? कमली तो अब चुप थी हमेशा के लिए.......

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