भारत में हाल ही में हुए बम ब्लास्ट और अब दिल्ली बम धमाके के बाद पकड़े गये कुछ आतंकी और एनकाउटर ने कई सवाल को जन्म दिया । आतंकवाद पर भी कई प्रमुख सवाल हुए। जो भी आंतकी इंडियन मुजाहिद्दीन के पकड़े गये वे सभी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के हैं। आजमगढ़ को मीडिया ने इस तरह दिखाया कि जैसे आजमगढ़ मेम रहने वाले सभी लोग आंतकवादी हो। आंतक को किसी क्षेत्र विशेष से नहीं जोड़ा जाना चाहिए । यहां पर मिडिया लोगों में क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहा है।
दूसरा मुद्दा जो सबसे भयानक है वह यह कि जितने भी आंतकी पकड़े गये है वि सभी मुसलमान है और लोगों की यह विचार धारा सी बनती जा रही है कि सारे हमले मुस्लिम ही करते है। जिससे देश में धर्मनिर्पेक्षता पर खतरा बन गया है । क्या पूरी मुस्लिम कौम को ही संदेह की नजर से देखा जाना सही है। भारत मेम हाल के बम धमाको में बहुत से मुसलमान भाई भी हादसे के शिकार हुए है।
आंतकवाद न तो जाति देखता है न ही धर्म देखता और न ही क्षेत्र देखता है । महरौली बम दमाके मेम मासूम बच्चा जो कि बम को आतंकी से यह कहा कि अंकल आप का कुछ गिर गया भला उस मासूम बच्चे की क्या गलती है। तो फिर यह आरोप लगाना गलत होगा कि आजमगढठ या फिर मुस्लिमह ही आतंको बढ़ावा दे रहें हैं।
आजमगढ़ का अपना अलग इतिहास रहा है आजमगढ़ कि अभिनेत्री शबाना आजमी ने इस तरह के सवालों पर बहुत ही दुख व्यक्त किया है । आजमगढ़ में केवल मुस्लिम की ही नहीं बल्कि और भी लोग रहते है । राहुल सांस्कृत्यान जैसे महाकवि भी आजमगढ़ कि ही देन है।
ऐसे मीडिया और राजनीतिक खिलाड़ियों को इस तरह के सावालों को नहीं उठाना चाहिए जिससे की देश की संप्रभुता को खतरा पहुँचे।
दूसरा मुद्दा जो सबसे भयानक है वह यह कि जितने भी आंतकी पकड़े गये है वि सभी मुसलमान है और लोगों की यह विचार धारा सी बनती जा रही है कि सारे हमले मुस्लिम ही करते है। जिससे देश में धर्मनिर्पेक्षता पर खतरा बन गया है । क्या पूरी मुस्लिम कौम को ही संदेह की नजर से देखा जाना सही है। भारत मेम हाल के बम धमाको में बहुत से मुसलमान भाई भी हादसे के शिकार हुए है।
आंतकवाद न तो जाति देखता है न ही धर्म देखता और न ही क्षेत्र देखता है । महरौली बम दमाके मेम मासूम बच्चा जो कि बम को आतंकी से यह कहा कि अंकल आप का कुछ गिर गया भला उस मासूम बच्चे की क्या गलती है। तो फिर यह आरोप लगाना गलत होगा कि आजमगढठ या फिर मुस्लिमह ही आतंको बढ़ावा दे रहें हैं।
आजमगढ़ का अपना अलग इतिहास रहा है आजमगढ़ कि अभिनेत्री शबाना आजमी ने इस तरह के सवालों पर बहुत ही दुख व्यक्त किया है । आजमगढ़ में केवल मुस्लिम की ही नहीं बल्कि और भी लोग रहते है । राहुल सांस्कृत्यान जैसे महाकवि भी आजमगढ़ कि ही देन है।
ऐसे मीडिया और राजनीतिक खिलाड़ियों को इस तरह के सावालों को नहीं उठाना चाहिए जिससे की देश की संप्रभुता को खतरा पहुँचे।
4 comments:
आपने बिल्कुल सही लिखा है कि आतंकवाद का कोई जाति-धर्म नही होता है ।
धर्म की परिभाषा
कभी कभी मन कहता हैं
की आओ सब मिल कर
एक साथ
विसर्जित कर दे
हर धर्म ग्रन्थ को
हर मूर्ति को
हर गीता , बाइबल
कुरान और गुरुग्रथ साहिब को
एक ऐसे विशाल सागर मे
जहाँ से फिर कोई
मानवता इनको बाहर
ना ला सके
किस धर्म मे लिखा हैं
की धमाके करो
मरो और मारो
और अगर लिखा हैं
तो चलो करो विसर्जित
अपने उस धर्म को
अपनी आस्था को अपने
मन मे रखो और
जीओ और जीने दो
मानवता अब शर्मसार हो रही हैं
तुम्हारी धर्म की परिभाषा से
बिल्कुल सहमत हूँ आपसे.
जी नही , ये तो आप कहते हैं ना की आतंक का कोई मज़हब नही होता..लेकिन मीडिया की नज़र में आतंक का मज़हब होता है...तभी तो दिल्ली ब्लास्ट में पकड़े जाने वाले तथाकथित मुजरिमों का तो पूरा बायोडेटा आज बच्चे बव्चे की जुबां पर है..वो कहाँ रहते थे, क्या पढ़ते थे, उम्र कितनी थी चेहरे कैसे थे...लेकिन उडीसा और कर्णाटक में आतंक फैलाने वाले आतंकियों के बारे में उन्हें सांप सूंघ जाता है, हम में से कोई नही जानता नीशू जी की वो भी इंसान हैं या भूत हैं...धरती पर रहते हैं या आसमान से आए हैं...क्या आप जानते हैं?
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