उन दिनों...
हम-तुम कितने खुश थे,
छोटी-छोटी बातों पर हंसते ,
बिन बातों के ही रूठते,
तुम हंसके के मुझे मनाती
और
मैं हंसके तुम्हें जलाता था,
उन दिनों...
दिल धड़कता था एक साथ ,
नहीं होती थी जब तुमसे मुलाकात,
तब लगता कि,
अब आ भी जाओ
एक पल को मेरे पास,
उन दिनों....
मौसम बदल गया,
हालात बदल गया,
अब आती है जब याद,
खो जाता हूँ लम्हों के साथ,
उन दिनों......हम-तुम कितने खुश थे।
हम-तुम कितने खुश थे,
छोटी-छोटी बातों पर हंसते ,
बिन बातों के ही रूठते,
तुम हंसके के मुझे मनाती
और
मैं हंसके तुम्हें जलाता था,
उन दिनों...
दिल धड़कता था एक साथ ,
नहीं होती थी जब तुमसे मुलाकात,
तब लगता कि,
अब आ भी जाओ
एक पल को मेरे पास,
उन दिनों....
मौसम बदल गया,
हालात बदल गया,
अब आती है जब याद,
खो जाता हूँ लम्हों के साथ,
उन दिनों......हम-तुम कितने खुश थे।
10 comments:
khushiyan aisi hi hoti hai dost
jab pass hoti hai kadar nahi hoti
jab chali jaati hai tab pata hota hai ki kya kho diya hai
उन दिनों...
हम-तुम कितने खुश थे,
छोटी-छोटी बातों पर हंसते ,
बिन बातों के ही रूठते,
तुम हंसके के मुझे मनाती
बहुत सुन्दर ...
आपने बहुत अच्छा लिखा है....इसमे सच्चाई भी है...
bahut badhiya abhivyakti .
उन दिनों...
क्या बात है... यादों में खो जाते है..
रंजन
aadityaranjan.blogspot.com
bahut khoob..
बहुत ही अच्छा लिखा है।
(अब आती है जब याद,
खो जाता हूँ लम्हों के साथ,
उन दिनों......हम-तुम कितने खुश थे।)
पढ़ कर अच्छा लगा
अच्छी कविता है
कवि ने जो कहना चाहा वो स्पष्ट है
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यदि कोई भी ग़ज़ल लेखन विधि को सीखना चाहता है तो यहाँ जाए
www.subeerin.blogspot.com
वीनस केसरी
बहुत ही सुन्दर, धन्यावाद
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