मेरठ एक बार फिर से मीडिया की नजरों में आ चुका है। मेरठ में आबिद और शबाना की कहानी कुछ ऐसी उलझी है कि सभी की नजरों को अपनी ओर खींच रखा है। १४ साल बाद आबिद का अपने घर वापस आकर शबाना कि हस्ती खेलती जिंदगी में उथल-पुथल मचा दिया है। जब कि शबाना का निकाह दुबारा से हो चुका है। आबिद का कहना है कि शरीयत में यह बात साफ है कि जब तक पति से तलाक न हो जाये बीबी दूसरी शादी नहीं कर सकती है। शबाना के पास आबिद का एक लड़का है और दुबारा हुए निकाह के बाद शबाना के दो और बच्चे हैं ।
शबाना कि जिंदगी दोराहे पर खड़ी है एक तरफ तो उसकी नयी जिदगीं अच्छी तरह से चल रही है और दूसरी तरफ पुरानी कहानी में आबिद के आने से नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। कुछ सवाल अभी भी आबिद के लिए समस्या बन सकते हैं। आखिर १४ साल तक आबिद कहां था? उसे अपनी पत्नि की याद क्यों नहीं आयी? आखिर किस उम्मीद पर शबाना उसका इंतजार करती? दूसरा निकाह शरीयत के अनुसार भले ही गलत क्यों न हो पर एक अबला का समाज में अकेले जीवन बीतना किस हद तक सफल हो पाता?
सामाजिक समस्या का नया रूप है शबाना की कहानी । यह कहां तक अब सफर करती है यह देखना होगा। सामाजिक रूप से क्या सही है क्या गलत है यह जरूर चर्चा का विषय है। शबाना के ऊपर अब दो परिवार का जिम्मेदारी है और अब उसकी जिदगी किस मोड़ पर जायेगी यह तमाम सवाल है जिसके जवाब जल्दी ही ढ़ढने होगे।पुरूषों कि इस तरह कि गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए क्या सजा होनी चाहिए । शादी का मतलब साथ निभाना होता है न कि बीच में ही साथ छोड़ कर चले जाना । यह मुद्दा हमारे लिए एक सवाल कर है कि क्या है शबाना जैसी औरतों का भविष्य।
शबाना कि जिंदगी दोराहे पर खड़ी है एक तरफ तो उसकी नयी जिदगीं अच्छी तरह से चल रही है और दूसरी तरफ पुरानी कहानी में आबिद के आने से नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। कुछ सवाल अभी भी आबिद के लिए समस्या बन सकते हैं। आखिर १४ साल तक आबिद कहां था? उसे अपनी पत्नि की याद क्यों नहीं आयी? आखिर किस उम्मीद पर शबाना उसका इंतजार करती? दूसरा निकाह शरीयत के अनुसार भले ही गलत क्यों न हो पर एक अबला का समाज में अकेले जीवन बीतना किस हद तक सफल हो पाता?
सामाजिक समस्या का नया रूप है शबाना की कहानी । यह कहां तक अब सफर करती है यह देखना होगा। सामाजिक रूप से क्या सही है क्या गलत है यह जरूर चर्चा का विषय है। शबाना के ऊपर अब दो परिवार का जिम्मेदारी है और अब उसकी जिदगी किस मोड़ पर जायेगी यह तमाम सवाल है जिसके जवाब जल्दी ही ढ़ढने होगे।पुरूषों कि इस तरह कि गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए क्या सजा होनी चाहिए । शादी का मतलब साथ निभाना होता है न कि बीच में ही साथ छोड़ कर चले जाना । यह मुद्दा हमारे लिए एक सवाल कर है कि क्या है शबाना जैसी औरतों का भविष्य।
5 comments:
Mundaali ki gudiya ne kya bigaada thaa kisi ka ...wo bhi apni jaan gawaan kar duniya se chali gai
शबाना जैसी औरतों का भविष्य क्या होगा? पुरूषों की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए कौन है कूसूरवार?"
यहाँ पे किसी को कुसूरवार ठहराना कोई मसला नही है| भले पुरूष किसी भी हालात में हो इतने साल दूर रहने के बाद वो वापिस कैसे आ गया ?? और आ भी गया तो वो ये क्यों उम्मीद करता है की उसकी पत्नी उसका ज़िंदगी भर इंतज़ार करती रहती| क्या कोई पुरूष इंतज़ार करता है ?? आज पत्नी मरे तो दो महीने बाद शादी कर लें| लेकिन समाज में ये विशेष अधिकार तो पुरूष समुदाय को ही मिला है|
सबसे पहली बात तो आप लोग शबाना को बेचारी मत कहिए| भाड़ में जाए समाज ये दुनिया....आख़िर क्यों उसे मझदार में डाला जा रहा है......शाबान के पति को अब उसे भूल जाना चाहिए....और दूसरा निकाह कर लेना चाहिए और भगवान के लिए अब श्रीमान आबिद साहब ये बखेड़ा खड़ा न करें की शबाना से उसका बच्चा छीनने की भूल करे सीधे दोज़ख में जाएगा|
खैर ये मेरी व्यक्तिगत सोच है ...... हो सकता है लोगों की बुरी लगे लेकिन मुझे इसकी कोई परवाह नहीं |
शबाना को अपने उस पति के साथ रहना चाहिए उसका साथ दिया जो उसका सहारा बना|
प्रीती मिश्रा !!!
बिलकुल सहमत हूं मैं प्रीती मिश्रा की बातों से।
क्यों समाज ये सोचता है कि 'ऐसे इंसान के लिए जो अपनी पत्नी को बीच दोराहे पर छोङ कर चला गया और १४ साल बाद आकर उसपर अपना हक जता रहा है,क्या पत्नी उसका इंतजार करती रहती?
आखिर क्यों सिर्फ इसलिए कि वो एक औरत है। ऐसी सोच वाले समाज के बारे में क्या सोचना जिसका अपना कोई वजूद ही न हो जो दोगली ।
प्रीति मिश्रा सही कहती हैं।
shabana jaisi aurton ke liye samn nagrik sanhita jaroori hai.
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