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Sunday, September 28, 2008

भारत नहीं है बेटियों का देश नहीं फिर क्यों मना रहे हैं डाँटर्स डे ?


सभी बेटियों को बधाई। आज बेटियों का दिन यानी डाँटर्स डे है । वैसे लोगों की सोच बेटियों को लेकर कुछ हद तक बदली है पर हमारे देश में अभी भी स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है।भारत में कहने को तो लड़कियों को लक्ष्मी का रूप माना जाता है,मगर लोग व्यवहार में इसका अमल नहीं करते। बल्कि हमारे यहां लोग खौफनाक ढ़ग से भ्रूण हत्याओं को अंजाम देते है। उत्तर भारतीय राज्यों में हालात ज्यादा खराब है, जहां आज भी लड़कियों को एक जिम्मेदारी समझा जाता है। गांवों में रहने वाले अशिक्षित लोग ही नहीं,शहरों में रहने वाले पढ़े लिखे दंपत्ति भी पुत्र रत्न की चाह में बेटियों का कत्ल कर रहे हैं। यही वजह है कि सेक्स अनुपात के मामले में भारत दुनिया के देशों में बहुत पीछे है।
हरियाणआ में सेक्स अनुपात इतना असंतुलित हो गया है कि शादी के लिए बिहार और उत्तर-पूर्वी राज्यों से लड़कियों कोखरीदकर लाया जा रहा है। भारत में केरल ही ऐसा राज्य है, जहां सेक्स अनुपात लड़कियों के पक्ष में है। सेक्स अनुपात के मामले में भारत २२० देशों की लिस्ट में अंतिम चार में शामिल है। इस मामले में ब्रिटेन और अमेरिका ही नहीं श्रीलंका , अफगानिस्तान ,इराक ,नेपाल , पाकिस्तान ,बाग्लादेश भी भारत से बेहतर हैं।
वैसे आज लड़कियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर उन्हें पूरी तरह से छूट मिले तो वह लडकों से किसी मामले में पीछे नहीं है । हमारे देश की राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटल इसका जीवंत उदाहरण है । पेप्सीको की सीईओ इंदिरा नूयी, यूपीए की अध्यक्ष सोनिया जी, इत्यादि अनेक महिलाएं अपनी उपस्थिति को देश में दर्ज कराये हैं।

6 comments:

Abhivyakti said...

dauters de manane vali nari ko svym hi shstr uthane honge ..

bhrun htya na sujha kar , hatya n
karne vali daktar, daai ban kar aur
svagat karne vali saas jo pita ke man me beti ki chaah jagae aur sahasi ma ban kar .
dauters de apne aap man jaega .

stree shakti hai nari hi nari ka
sahayog kare use janm aur garima may snskaar de kar !

Abhivyakti said...

dauters de manane vali nari ko svym hi shstr uthane honge ..

bhrun htya na sujha kar , hatya n
karne vali daktar, daai ban kar aur
svagat karne vali saas jo pita ke man me beti ki chaah jagae aur sahasi ma ban kar .
dauters de apne aap man jaega .

stree shakti hai nari hi nari ka
sahayog kare use janm aur garima may snskaar de kar !

जितेन्द़ भगत said...

ऐसे मामलों में अक्‍सर हम बड़े लोगों का नाम गि‍नाने के आदी‍ हैं- जैसे प्रति‍भा पाटि‍ल, सोनि‍या गॉंधी, वगैरह। लेकि‍न बेटि‍यों के भवि‍ष्‍य के लि‍ए इनके प्रयास कि‍सी आम नेता से ज्‍यादा नहीं हैं या है ही नहीं। हैरत होती है कि‍ जहॉं सभी लोग अपने समूह के लि‍ए एकजुट हैं, वहॉं ऊचे पदों पर बैठी महि‍लाऍं केवल अपने संघर्ष को महि‍मामंडि‍त करने तक क्‍यों सीमि‍त हो जाती हैं। आपकी आपत्‍ति‍ सही है, फि‍र डाटर्स डे मनाने का फायदा क्‍या है।

Udan Tashtari said...

सही कह रहे हैं फिर भी:

बेटियों के इस विशेष दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

Anonymous said...

हिन्दी की भी कोई कीमत नहीं है, फ़िर भी क्यों हिन्दी दिवस?
बच्चों पर भी कोई ध्यान नहीं है, फ़िर भी क्यों बाल दिवस ?
शिक्षक बेहाल हैं, फ़िर भी शिक्षक दिवस?
हम मानसिक रूप से गुलाम हैं, फ़िर भी स्वतंत्रता दिवस?
खेलों की हालत खराब, पर खेल दिवस?
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जिसको मनाना है मानाने दो, किसी के पिताश्री का क्या जाता है, वैसे भी कुछ होना-जाना तो है नहीं.

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: said...

मत मांगना किसी दुख्तर ए हव्वा से ;
सीता सी अग्नि परीक्षा ,पाकीजगी के सुबूत में।

न सजा पाओगे अग्निकुंड , जी उठेगा यक्ष प्रश्न;
क्या ? राम सी मर्यादा किसी और ने भी निभाई है ॥3॥