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Wednesday, September 24, 2008

देश के लिए क्या खतरा बन चुके है संप्रदायिक संगठन ? इन पर रोक लगाना कितना उचित है ? कहीं राजनीति तो नहीं हो रही है देश के नाम पर ?


देश के कई हिस्सों में ईसाईयों और चर्चों पर हो रहे हमलों में विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल की संलिप्तता के आरोपों के साथ ही साथ यह बहस भी गरम हो गयी कि क्या इन संप्रादायिक संगठनों कप प्रतिबंध लगा देना चाहिए?पर सवाल यह है कि प्रतिबंध लगाने ये संगठन के क्रिया-कलाप में कितना अन्तर आयेगा? हो सकता है प्रतिबंध लगाने से कहीं हिंसा और न भड़क जाय या फिर ये संगठन किसी नये संगठन का रूप धारण कर लें । अब जरूरत है कि इन संगठनों कि गतिविधियों को कैसे लगाम लगाया जाय? जबकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर १९४८ और इमरजेंसी के समय पर प्रतिबंध लगाया गया था। पर इससे कोई फायदा नहीं हुआ।
उधर सिमी (स्टूड़ेट इस्लामिक मूवमेंट आफ इण्डिया ) पर हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली पर हुए हमलों का जिम्मेदार मानते हुए प्रतिबंध लगाने का शोर जोरों पर है। सिमी पर हैदराबाद, बेगलरू , जयपुर तथा उत्तर प्रदेश के बम धमाको में शामिल होने का आरोप है। यदि सरकार सिमी को प्रतिबंधित घोषित कर दे तो क्या यह मान लिया जायेकि भविष्य में भारत में हमले नहीं होगें।
संप्रदायिक संगठन पर प्रतिबंध लगाना मात्र एक औपचारिकता होगी। और इससे यह संगठन की गतिविधि रूकने वाली नहीं है बल्कि सरकार के इनके क्रिया- कलाप पर ध्यान रखना होगा । तभी इन संगठनों को रोका जा सकेगा। भारत में संप्रदायिक ताकतों को बढ़ाने में हमारी तुच्छ और घटिया राजनीति भी जिम्मेदार है। हर पार्टी अपना वोट बैंक कम नहीं करना चाहती है तो वह धर्म के नाम पर राजनीति को हवा देकर अपना फायदा उठाते है। देश की सम्प्रभुता और अखण्डता के लिए तनिक भी नहीं सोचते हैं।
देश में जो कुछ भी घटित हुआ है वह भारत देश की छवि को शोभा नहीं देता है एक तरफ ईसाई और हिन्दू विवाद और दसरी तरफ आतंकी हमला ( जिससे सम्पूर्ण विश्व परेशान है) । सरकार को ही दोष देना ठीक नहीं हैं क्यों कि यूपीए सरकार या कोई भी सरकार आयेगी तो क्या वह एक सख्त कानून बना कर आंतकवाद और इन संप्रदायिक संगठनों को रोक सकेगी इसकी क्या गारंटी। हम पिछली सरकार की बात करें तो क्या पोटा ने हमलों को रोका था । संसद हमला या फिर गुजरात दंगे हमारे सामने एक भयावह तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।ऐसे में किस पर भरोसा किया जाय। आप क्या सोचते है? अपनी राय से अवगत करायें।

2 comments:

संजय बेंगाणी said...

तस्वीर अच्छी है.
देखना है बन्दूक देशहित में चलती है या देश तोड़ने में.

राज भाटिय़ा said...

अगर शरीर का कोई अंग अपंग हो जाये ओर ड्रा० उसे काटने की सलाह दे, या फ़िर पुरी जिन्दगी ही खत्म हो जायेगी अगर उस अंग को ना काटा तो आप क्या करेगे ??? वही हाल इन संगठनो का हे अगर देश को बचाना हे तो.....
धन्यवाद