रिएलटी शो की भारत में भरमार हो हई है, यह भी समझ से बाहर है कि इसमें रिएलटी है या मात्र शो । रिएलटी हो या सो कि रिएलटी पर इसमें रिएलटी जैसा कुछ नहीं, टी वी पर रिएलटी शो पर कलाकार एक दूसरे को थप्पड़ मार दिया।इसकी वजह से झगड़ा शुरू हो गया। यह समझ में नहीं आया कि थप्पड़ की वजह से झगड़ा हुआ या झगड़े के कारण थप्पड़ - शप्पड़ हुआ। यहां रिएलटी यह बताई गई कि कलाकार जरूरत पड़ने पर थप्पड़ अस्त्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। रिएलटी शो के जज इस पर बहस कर सकते है कि थप्पड़ अस्त्र था या शस्त्र। जजों का यही काम है, एक तरफ न्यायालयों में यह हंगामा मचा है कि जजों की कमी है और यहां पर चार चार जज बैठे हैं , कहीं ऐसा न हो कि किसी दिन न्यायालयों के जज नौकरी छोड़ कर चैनलों के जज न बन जायें। क्यों कि यहं प्रतिष्ठा भी है ,शोहरत भी और पब्लिसिटी भी है।
थप्पड़ और झगड़े में क्या सम्बंध है, थप्पड़ से झगड़े का महत्तव बढ़ता है दरअसल यह संसद में झगड़े की तरह होता है । शो कामयाब होने के लिए नकली झगड़ा होता है जिसे दर्शक असली मानने लगते हैं और असली चर्चा में हशगूल हो जाते हैं, सीरीयल में झगड़ा सीनियर और न्यू कमर का होता है। सीनियर का कहना होता हे कि न्यू कमर को अपनी औकात (पता नहीम कि औकात क्या होती है)में रहना चाहिए, न्यूकमर का कहना होता है कि सीनियर को इतनी अकड़ शोभा नहीं देती है। इस तरह से नोक झोकं।
हाल ही में जम्मू में जो भी हुआ ,वह भी झगड़े के रिएलटी शो से कम नहीं था । किसी भी झगड़े को रिएलटी शो में बदलकर कारोबार बिजनेस का नया ट्रेड है। राजनीतिक पड़ित बताते है कि जम्मू का झगड़ा नकली था मगहर जो लोग मारे गये वो असली थे।
रिएलटी शो इसमें क्या रिएलटी है पता नहीं लेकिन रियल के चक्कर में लोग पड़ना भी तो नहीं चाहते ।झगड़ा ही रिएलटी है तो यह मेरे आसपास रोज ही होता है और वह भी जींवत । इसमें टीवी देखने की क्या जरूरत।
थप्पड़ और झगड़े में क्या सम्बंध है, थप्पड़ से झगड़े का महत्तव बढ़ता है दरअसल यह संसद में झगड़े की तरह होता है । शो कामयाब होने के लिए नकली झगड़ा होता है जिसे दर्शक असली मानने लगते हैं और असली चर्चा में हशगूल हो जाते हैं, सीरीयल में झगड़ा सीनियर और न्यू कमर का होता है। सीनियर का कहना होता हे कि न्यू कमर को अपनी औकात (पता नहीम कि औकात क्या होती है)में रहना चाहिए, न्यूकमर का कहना होता है कि सीनियर को इतनी अकड़ शोभा नहीं देती है। इस तरह से नोक झोकं।
हाल ही में जम्मू में जो भी हुआ ,वह भी झगड़े के रिएलटी शो से कम नहीं था । किसी भी झगड़े को रिएलटी शो में बदलकर कारोबार बिजनेस का नया ट्रेड है। राजनीतिक पड़ित बताते है कि जम्मू का झगड़ा नकली था मगहर जो लोग मारे गये वो असली थे।
रिएलटी शो इसमें क्या रिएलटी है पता नहीं लेकिन रियल के चक्कर में लोग पड़ना भी तो नहीं चाहते ।झगड़ा ही रिएलटी है तो यह मेरे आसपास रोज ही होता है और वह भी जींवत । इसमें टीवी देखने की क्या जरूरत।
3 comments:
ek dam sahi kaha aapne, par aise natak na ho to in reality shows ki dukaan hi band ho jayegi
bilkul sahi pakda hai aapne. or ek baat ajb bande ko ye pta hai ki koi 24 ghant usse trace kar rha hai to wo kaise normally behave karega. balki mujhe to lagta hai ki is trah ke saare show's bakayda script likh kar kiye jaate hai.
aapka dhanyavaad sabka dhyan yahan khiichne ke liye.
Rakesh Kaushik
इसमें टीवी देखने की क्या जरूरत-बिल्कुल सही!!
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