दिल्ली में हुए बम धमाको ने आंतकवाद से निपटने के सरकार के तौर-तरीकों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। ऊपर से गृहमंत्री शिवराज पाटिल के रवैये ने आम आदमी के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। बम धमाको के समय जनता के सामने शिवराज पाटिल ने अपनी वेशभूषा को ज्यादा महत्तव दिया।,जिससे यह बात साफ हो जाती है कि समय के अनुसार वह संवेदनशीलता नहीं दिखा पाये।।और इसके साथ ही साथ गृहमंत्री का बयान भी बहुत अस्पष्ट रहा । आम आदमी की सुरक्षा को लेकर सरकार के पास कोई खास रणनीति नहीं है। आंतकवाद के मुद्दे पर शिवराज पाटिल का ये बयान कि राज्य सरकार केन्द्र सरकार का साथ नहीं दे रही हैं? तो केन्द सरकार ही क्या कर रही है ? क्या केन्द्र राज्यों की सरकारों के साथ आम सहमति नहीं बना सकता है।
पाटिल ने कहा कि लोग उनके कपड़े देख रहे हैं उनकी नीतियों को नहीं। तो आम आदमी तो नेता का रहन सहन और तौर तरीके ही देखता है । उसकी नीतियों को नहीं। पाटिल एक अच्छे ,शालीन ,मितभाषी नेता है पर जब भी बम धमाको या हादसो का समय होता है तब वह अपनी संवेदनशीलता नहीं प्रकट कर पाते हैं। पाटिल के कार्यकाल में अभी तक लगभग चार हजार लोगों ने आंतकी हमलों में जान गंवायी है पर कोई कड़ा कदम नहीं दिख रहा है। कोई नया कानून नहीं है जो को देश को आंतकी हमलों से बचा सके। अमेरिका में ११ सितम्बर की घटना के बाद बड़ी वारदात नहीं क्योंकि वहां कि सरकार ने मजबूत कदम उठाये है। परभारत सरकार क्या भविष्य में कोई आंतकी घटना न हो इसके लिए कुढ ठोस कदम उठायेगी।सराकर को गृहमंत्री के लचर रवैये को अपनओ प्रतिष्ठा का प्रश्न समझते हुए देश को एक ऐसा गृहमंत्री दे जो मजबूत इरादों के साथ आतंक वाद से लड़ सके।
पाटिल ने कहा कि लोग उनके कपड़े देख रहे हैं उनकी नीतियों को नहीं। तो आम आदमी तो नेता का रहन सहन और तौर तरीके ही देखता है । उसकी नीतियों को नहीं। पाटिल एक अच्छे ,शालीन ,मितभाषी नेता है पर जब भी बम धमाको या हादसो का समय होता है तब वह अपनी संवेदनशीलता नहीं प्रकट कर पाते हैं। पाटिल के कार्यकाल में अभी तक लगभग चार हजार लोगों ने आंतकी हमलों में जान गंवायी है पर कोई कड़ा कदम नहीं दिख रहा है। कोई नया कानून नहीं है जो को देश को आंतकी हमलों से बचा सके। अमेरिका में ११ सितम्बर की घटना के बाद बड़ी वारदात नहीं क्योंकि वहां कि सरकार ने मजबूत कदम उठाये है। परभारत सरकार क्या भविष्य में कोई आंतकी घटना न हो इसके लिए कुढ ठोस कदम उठायेगी।सराकर को गृहमंत्री के लचर रवैये को अपनओ प्रतिष्ठा का प्रश्न समझते हुए देश को एक ऐसा गृहमंत्री दे जो मजबूत इरादों के साथ आतंक वाद से लड़ सके।
1 comment:
क्या करें यह देश का दुर्भाग्य है की देश को एक लचर सरकार और लचर गृहमंत्री मिला है . किंतु उन्हें कौन हटाएगा . फिलहाल अभी जनता तो नही हटा सकती है .
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