१- दिल
दिल के तूफान को किसने देखा,
ये तो सिर्फ आखों का धोखा।
छूना चाहता है समुन्दर चांदको
उठती हुयी लहरों को किसने देखा है।।
२- जीवन के रंग
जीवन के होते हैं कई रंग,
बचपन ,जवानी बुढ़ापे में भी जंग।
ये जंग तो पुरानी है,
जीवन एक अधूरी सी कहानी है,
कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।
३- चाहत
पाने की चाहत , खोने का गम।
दुनिया में होते है इतने ही गम।
किसी से नफरत किसी से चाहत,
तनहाई का आलम बड़ा बेरहम।।
8 comments:
इतनी जल्दी जल्दी मत ठेलो कि टिप्पणी देना भारी हो रहा है यार . वैसे अच्छा लिखते हैं आप . ठेलते रहिए .
कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।
achhi panktiya
nirantarta banaiye
कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।
सुन्दर भाव के साथ अच्छी पंक्तियाँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
अति सुंदर-
जीवन के होते हैं कई रंग,
बचपन ,जवानी बुढ़ापे में भी जंग।
:-)और विवेक जी से सहमत भी:-)
कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।
बहुत खुब एक सच
धन्यवाद
अच्छा सच, सुंदर भाव, बहुत बढिया।
बहुत बढिया।
दिल के तूफान को किसने देखा,
ये तो सिर्फ आखों का धोखा।
छूना चाहता है समुन्दर चांदको
उठती हुयी लहरों को किसने देखा है।।
-बहुत बढिया...
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