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Thursday, October 2, 2008

मोहल्ला में नहीं है हल्ला ,अविनाश जी का किया धरा आपके सामने ? अविनाश जी की तरह हम क्यों नहीं बनते ?


मोहल्ला में नहीं हुआ हल्ला और अविनाश जी ने ही लगायी मेरी नैया पार । हम सभी बलाँग पर कुछ न कुछ प्रतिदिन लिखते हैं। और उम्मीद यही करते हैं कि हमारे लेख , कविता ,व्यंग या जो भी विधा हमने लिखी हो उसे अधिक से अधिक लोग पढ़े और अपनी टिप्पणी भी दें ।जिससे यह पता चल सके कि जो कुछ भी ब्लाग पर लिखा जा रहा है । वह कितना प्रभावशाली और कितना पंदस किया जा रहा है । आज सुबह मैं भी देर से सो कर उठा । जल्दी-जल्दी नित्य क्रिया से फुरसत लें अंतरजाल(इण्टरनेट) की दुकान के खोज में बाहर निकला । उम्मीद थी कि दुकानें ज्यादातर या तो बंद होगी या फिर देर से खुलेंगी । पर मंजिल मिल गयी एक दुकान खुली थी ,कुछ देर इंतजार के बाद मेरा नंबर भी आया । २ अक्तूबर होने के नाते आज गांधी जी और शास्त्री का जन्म दिवस और साथ ही साथ ईद होने के नाते एक ऐसी ही पोस्ट लिखने की सोची जिसमें सब कुछ एक साथ सभी विषय आ जायें। और मैंने जो कुछ लिखना था वह लिख कर चला गया। पर पढ़ नहीं सका ।
अभी शाम को फिर दुबारा जब ब्लाँग पर कुछ नया लिखने के लिए आया तो अपना अकाउंट खोला । अविनाश जी की चैट की कुछ बातें मेरे मेल में पडी थी । मैंने मेल को खोला और पढ़ा तो उसमें सुबह की पोस्ट की एक गलती जो कि बहुत ही छोटी थी पर अर्थ का अनर्थ करने के लिए पर्याप्त थी। अविनाश जी ने तुरंत ही बताया था सुबह ही पर मैं नेट से जा चुका था । मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आया । अविनाश जी यदि मुझे न बताते तो शायद मैं भी न जान पाता कि मैंने क्या गलती थी। ऐसे में मैं अविनाश जी को तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा । आज ईद के मौके पर अविनाश जी नें भाईचारे की असीम मिशाल दी है ।
मेरा यहां पर ब्लागर समूह से निवेदन है कि हम जब भी कोई ऐसी गलती देखे तो अवश्य उस बलाग को सूचित करें जैसा कि अविनाश जी ने किया । गलती सभी से हो सकती है जिसका की माखौल न बनाते हुए सुधार करायें। अविनाश जी चाहते तो कुछ व्यंग्य भी कर सकते थे । औरौं ने शायद ध्यान न दिया हो या फिर यह सोच के छोड़ दिया हो कि जाने दो । हम टिप्पणी करें और साथ ही सही और शुद्ध हिन्दी को पढ़ तो बेहतर होगा ।

7 comments:

संगीता पुरी said...

सही है ....ब्लागर भाई बहनों में आपसी सद्भावना आवश्यक है...एक बार मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था .. तब मैं नई नई आयी थी... इस दुनिया में.. फिर भी हमें किसी गल्ती से अवगत कराकर उसे सुधारने का मौका दिया गया था.... किसने किया था .... मुझे आज बिल्कुल भी याद नहीं।

manvinder bhimber said...

galti kisi se bhi ho sakti hai....
apka najriya achcha laga

अजित वडनेरकर said...

ग़लती तो ज़रूर बतानी चाहिए। मुझे अक्सर लोग ग़लतियां बताते हैं और मैं भी यह अपील अक्सर करता रहता हूं :)

PREETI BARTHWAL said...

मैं भी यही मानती हूं। गलती तो किसी से भी हो सकती है। ब्लॉगर भाई-बहनों को आपस में सहायता करनी चाहिए न कि उस बात का मजाक बनाना।

अविनाश वाचस्पति said...

नीशू हैं महान, नीशू हैं महान।

मोहल्‍ला में हूं भी
और नहीं भी
मैं नुक्‍कड़ पर बैठा हूं
नुक्‍कड़ मेरा मोहल्‍ले में ही है
वो मोहल्‍ला ब्‍लॉगस्‍पाट है
मैं नुक्‍कड़ ब्‍लॉगस्‍पाट हूं
हमें गलती पर टोकना है
पर सरेआम नहीं, चुपचाप
कि गलती सुधारी जा सके।

व्‍यंग्‍य के लिए तो विषय
समाज में बहुत सारे हैं
अपनों पर व्‍यंग्‍य किया
तो क्‍या गजब किया
व्‍यंग्‍य बुराईयों पर
किया जाता है
जिससे बुराई दूर हो
और समाज का भला हो।

आप कर रहे हैं काम देश भाषा हित में नेक
हिन्‍दी हित के लिए मेरी शुभकामनाएं अनेक।

ऐसा तो कुछ विशेष नहीं किया मैंने
जो आपने आज इतना सम्‍मान दिया।

नीचे दे रहा हूं लिंक अपने सभी ब्‍लॉगों के
और निवेदन कर रहा हूं कर बांध कर के
मिले गलतियां तो जरूर बतलाना लिखके
इंसान वही गलतियां हों तो उनसे सीखे
नीशू हैं महान गलती हुई और मान ली।
ई मेल avinashvachaspati@gmail.com
लिंक्‍स :
http://nukkadh.blogspot.com/
http://jhhakajhhaktimes.blogspot.com/
http://bageechee.blogspot.com/
http://avinashvachaspati.blogspot.com/
http://tetalaa.blogspot.com/

Avinash Das said...

अरे भाई, मैंने कभी आपको कुछ बताया होगा, पर मुझे तो याद ही नहीं है। सबसे अधिक ग़लती तो मैं ही करता हूं - ये मैं जानता हूं।

roushan said...

गलतियाँ सबसे हो सकती हैं एक दुसरे की सहायता करके हम एक दुसरे की न सिर्फ़ सहायता करेंगे बल्कि समझ भी सकेंगे