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Thursday, October 9, 2008

नजर - ए - गजल

जलता है एक दिया रोशनी के लिए
प्यासी हो जमीं जैसे पानी के लिए
आती है जब याद दिल से उनकी
बहता है एक आसूँ आंखो से मेरी,
उनका न मिलना तो दस्तूर होगया
क्या उनका प्यार यूँ ही मजबूर हो गया
चाहत अभी भी दबी है दिल में उनके
एतबार तो है उनपे , अभी इजहार है बाकी ।।

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

क्या बत है, अति सुन्दर
धन्यवाद

Satish Saxena said...

बहुत अच्छा लिखा है !