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Saturday, October 11, 2008

समीर लाल जी का निवेदन हम सब के लिए , टिपिया के चलते न बने ।

इन दिनों मैंने समीर लाल जी और कुछ लोगों के इस बात पर ध्यान दिया कि आप भी लोगों को पढ़े और अपनी टिप्पणी दें । मैंने सोचा कि बात सही है और हिन्दी ब्लाग का लेखन में रूचि का ही विषय है । पर मेरी मजबूरी एक तो समय कम मिलता है अध्ययन से ही दूसरे मेरा कम्प्यूटर इन दिनों साथ नहीं दे रहा है पर फिर भी मैंने समय निकाल कर और कैफे मे जाकर कोशिश की कि जितने समय मैं कैफे मे रहूँ अधिक से अधिक लोगों को पढ़ सकूँ ।

ये बात अच्छी भी लगी केवल लिखके रफूचक्कर होना मेरे नजरिये से गलत है । पर सबसे जरूरी बात ये कि कई ऐसे लोग है जो कि टिप्पणी तो करते हैं पर जो लिखा गया है या तो उसे सही से पढ़ते नहीं या फिर बिना पढ़ ही सभी टिप्पणियोंका मूल्याकंन कर के टिपिया कर चलते बनते हैं । मैं मानता हूँ कि टिप्पणीयों से मार्गदर्शन होता लेखक का । अगर कुछ गलत है तो बेबाक तौर पर कहिये आपका स्वागत है । चाहे वो अच्छा लगे या फिर बुरा पर लेखक के लिए यह आगे के लिए अच्छा होगा। मैं यहां पर अपनी राय व्यक्त कर रहा हूँ आपकी क्या राय है बातइये।

13 comments:

Satish Saxena said...

८५% लोग ऐसे ही हैं !

PD said...

चलिये.. बेबाक कमेंट्स आप चाहते हैं तो कह डालता हूं.. इस पोस्ट में आप पुरानी बात को ही कह गये हैं जो ना जाने कितने ही ब्लौग पर लिखे जा चुके हैं..
(मजाक कर रहा हूं, इसे अन्यथा ना लें.. आपका विचार उत्तम है :)..)

श्रीकांत पाराशर said...

Sahi hi to likha hai aapne. bina padhe kewal tippani dene ki formality karne se lekhak ko maza kahan aata hai,margdarshan to tabhi hoga jab tippanikar rachna ko padhkar sahi mayne men pratikriya vyakt kare.aapki baat men dam hai.

Rachna Singh said...

kament kaa matlab haen padhna aur agar kuchh kam rahgayaa haen to uumey apni raay jodna

galtii kewal kaemnt daene waali kii nahin haen un laekho ki bhi haen jo har blog par jaa kar likhtey haen " ham ko padhey
" aap ki tipaani hamko protsaahit kartee haen "

baar baar apney laekha kaa link aap kisi ko bhejtey haen kyu taaki wo aapke aalekh ko padhey aur tippini dae

ab wo kya tippani dae yae to uska decision hoga

लोकेश Lokesh said...

ठीक ही तो लिखा है आपने

विवेक सिंह said...
This comment has been removed by the author.
Nitish Raj said...

सही राय है आपकी लेकिन ये सही कहने के लिए देखते हैं कितने बेबाक तरीके से आगे आते हैं। यहां पर मैंने देखा है कि यदि आप किसी की तारीफ करते रहिए तो बेहतर वर्ना लिख दिया आपने तो तूफान मचा देंगे। इसलिए शायद सब बढ़िया या सुंदर या उत्तम, कह कर चलते बनते हैं। वर्ना अगली पोस्ट उसके नाम से ही लिख दी जाएगी।

योगेन्द्र मौदगिल said...

सब ठीक है जिसे जैसा रुचे करने दीजिये
पिछली पोस्ट में कविता ठीक थी
लिखना-कहना जारी रखें

राज भाटिय़ा said...

भाई मै तो नीतिश जी की बात से सहमत हू, बस चापलुसी करो, जेसा सब टिपयाअ रहै है, बेसा ही टिपयाओ ठीक जब भी थोडा सच बोले या अपने विचार दिय़े तो......
धन्यवाद

Gyan Darpan said...

विचार उत्तम है

seema gupta said...

"ya rightly said'

regards

समीर यादव said...

इस टिप्पणी द्वंद पर मेरा टिपियाना अवलोकन कीजिये...
"कुछ अपनी कुछ जग बीती" में.
अब इस पर ज्ञान, सलाह तो यह भी दी जायेगी की भईया अजीरण होते तक न पढिये...के टीपे करने लायक न रह जाए....

Udan Tashtari said...

सही कह रहे हो!! जितने लोग हैं, उतने नजरिये हैं!! बहुत देरी से आया, क्षमा काहता हूँ.