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Friday, October 10, 2008

लिव-इन से बढ़ेगा महिला सशक्तिकरण और बदलाव आयेगा समाज में


महाराष्ट्र सरकार ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा १२५ में संशोधन का फैसला किया है , इस संशोधन से भारतीय समाज में पत्नी की परिभाषा बदल जायेगी। लिव- इन रिलेशन का कानून जब बन जायेगा तब उन्हें कानूनी तौर पर पत्नी के ही समान माना जायेगा जो एक समय सीमा तक साथ रह चुकी हैं। पर अभी यह तय नहीं हो सका है कि यह समय सीमा क्या होगी। वैसे यह कानून महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभायेगा । जो कि लिव-इन रिलेशन में रह चुकी है ।
वैस भी भारतीय महानगरों और बीपीओ इंडस्ट्री से जुडे लोगों में यह चलन तेजी से फैला है । यह युवाओं को फैशन की तरह लग रहा है। इसे आधुनिकता का भी परिचायक माना जा रहा है। पर कुछ लोगों की यह मजबूरी है । मतलब जो लड़कियां आर्थिक रूप से कमजोर हैं और कैरियर को लेकर मेट्रों सिटी में रहने के लिए संघर्ष कर रही है । और अपने घर परिवार कर दूर रहती है । उनके लिए अकेलापन , सुरक्षा और खर्च जैसे लिहाज ये इंतजाम सुविधाजनक है । पर लिव -इन रिलेशन में ज्यादा नुकसान महिलाओं को ही उठाना पड़ता है । क्यों पुरूष अपने साथ रहने वाली महिलाओं को कब छोड़ कर चले जाये पता नहीं। और फिर परिणाम लडकियां ही भुगतती है ।
यह कानून आने से ऐसी लड़किया जो लिव-इन में रहती है उनके लिए अच्छा होगा । जिसमें पुरूष ऐसी महिलाओं को आसनी से नहीं छोड़ सकेगा । व्यवस्था टूटने या खत्म होने पर मुवावजे और जीवन यापन का अधिकार महिलाओं के पास होगा। इस तरह से यह महिलाओं के कल्याण में ही है जो कि ऐसी स्थति में जीवन यापन कर रही है।
वैसे हमारे यहां पुराने समय से ही बिना शादी के स्त्री रखने का पुराना रिवाज है तो यह नहीं कहा जा सकता है कि यह कोई नयी पंरपरा है । गांवों के लोग शहर में आकर झूठी शादियां करते है और फिर कुछ समय बाद छोड़ कर चल देते है । समाज में रखैल भी स्त्रीयों को बनाया जाता है जबकि यह संविधान के अनुसार गलत है । पुरूष द्वारा महिलाओं को भोग्या बनाया जाता रहा है । वो कभी झासे देकर तो कभी झूठ बोलकर। और कभी दबाव में तो ऐसे में जो लोग इस तरह की विचार धारा के है उनको गहरा आघात लग सकता है । । अब लिव-इन रिलेशन से एक पुख्ता प्रमाण होगा । और देश में कोई इसका दुरूपयोग न कर सके। और महिलाएं अपना हक पा सकें जो शिकार होती हैं।

6 comments:

जितेन्द़ भगत said...

आपकी बात सच हो , तो तसल्‍ली की बात होगी।

Anonymous said...

इसका लीगल इम्प्लिकैशन समझना बहुत जरुरी हैं । पहले ये जानना जरुरी हैं की क्या लिव इन रिलेशन शिप मे रहने वाली महिला को पत्नी के अधिकार मिलेअगर हां तो क्या फिर जो पत्नी हैं वो अपने पति पर bigamy का केस कर सकती हैं

अगर नहीं तो क्या केवल आर्थिक रूप से सुरक्षा प्रदान की गयी हैं उन महिला को जो लम्बे समय तक { एक निश्चित अवधि } लिव इन रिलेशनशिप मे हैं ताकि उनके ऊपर से सामाजिक दबाव हट सके और उनके बच्चो को पिता का नाम भी मिले सके ।

अगर पहला केस सही हैं तो ये कानून पत्नी के लिये फायदे का हो सकता क्युकी पहले लिव इन रिलेशनशिप को शादी नहीं माना जाता था क्युकी पहले bigamy को prove करने के लिये सुप्रीम कोर्ट कहता था की शादी पूरे रीति रिवाजो से हुई हो

The Supreme Court has held that, for proving bigamy, it is to be established that the second marriage was performed in accordance with the customary rites of either parties under the personal laws which is not easy to prove

पर अब ये आसन हो जाएगा और इस का डर ही पुरूष को पत्नी को छोड़ कर दूसरी औरत के साथ रहने से रोकेगा क्युकी अब लिव इन रिलेशनशिप से bigamy प्रूव हो जायेगी ।

इस प्रकार के कानून से दूसरा फायदा ये भी होगा की सामजिक दबाव के चलते पुरूष को उस स्त्री को नहीं छोड़ना पडेगा जिसके साथ उसका विवाह नहीं हुआ हैं पर वो रहता हैं । तलाक बढ़ जायेगे अगर पत्नियां जागरूक हो कर इस कानून का फायदा लेगी क्युकी अभी ये जानते हुए भी की पति के सम्बन्ध हैं पत्निया सामाजिक रूप से पति को सुरक्षा प्रदान करती हैं क्युकी कानूनन केवल और केवल पत्नी का अधिकार उनको हैं । लेकिन अब ये अधिकार कानुनी रूप से बंट जायेगा तो कौन पत्नी फिर ऐसे पति के साथ रहना चाहेगी ।

(115) Definition of the word "wife" in section 125 of the Code be amended to include a woman who was living with the man like his wife for a reasonably long period।

116) Section 494 of the IPC be suitably amended to the effect that if the man and woman were living together as husband and wife for a reasonably long period the man shall be deemed to have married the woman according to the customary rites of either party.

नैतिकता का जिम्मा अब सब का होगा केवल और केवल उस स्त्री का नहीं जो बिना विवाह के किसी के साथ रहती हैं । अब पत्नी को भी ये देखना होगा की क्या उसको केवल और केवल सामजिक दबाव के चलते अपने पति के दोहरे जीवन को स्वीकार करना हैं या जिन्दगी को दुबारा शुरू करना हैं ।

पति को अधिकार मिले जायेगा की वो जिस स्त्री के साथ रह रहा हैं उसको पत्नी कह सके , चाहे शादी हो या ना हो ।

और अगर ये कानून केवल बिना शादी के साथ रह रही महिला की आर्थिक सुरक्षा के लिये हैं तो शायद इसके दूरगामी अच्छे परिणाम ना हो

राज भाटिय़ा said...

एक ओर नयी बीमारी, यह भी पश्रिचम की ही देन है, ओर नारी का घोर अपमान, अरे जब सात फ़ेरो कए बंधन टुट सकते है तो यह रिशता तो रेत पर बने रिश्तो की तरह से है, जब दिल भर जाये ,...एक तरह से लिगल...रा......
जिन बातो से युरोपियन तंग आ चुके है वही बातें हने अच्छी लगती है,चलो देखो इस के भी परिणाम,
धन्यवाद

sanjay kumar said...

लिव इन कानून से महिला सशक्तिकरण बढेगा, यह सटीक नही लगता है. इतना जरूर है की कानून लागू होने के बाद महिला परुष एक साथ रहने से पूर्व जीवन साथी बनना पसंद करेगें.

दिनेशराय द्विवेदी said...

अभी महाराष्ट्र सरकार जो कानून बनाने जा रही है वह केवल लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को केवल मात्र मामूली आर्थिक सुरक्षा देने के लिए है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा। इस से अन्य व्यक्तिगत कानूनों पर कोई असर नहीं होने जा रहा है और न ही समाज पर। धारा 494 में संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है। बच्चे कभी किसी कानून में अवैध नहीं होते। उन्हें सभी अधिकार प्राप्त हैं।

Sachin Agarwal said...

Section 125 should be available as a relief to men too. To assume that the ditching act would always be done by men is a misfounded in itself. To say so would again put the power in the hands of men and deny women of their right to move out of relationships not fulfilling any more.