खुशियों का ये पल,
यूं ही गुजार दे,
इतना तुमको प्यार दें,
जाने क्या होगा कल ,
कैसे होगें आने वाले पल
जी ले इनको जी भरके ,
गम का न साया हो
खुशियों की छाया हो
चले साथ ये हवायें
ऐसा लगै जैसे कि
बिन बुलाये कोई आया हो,
हम तुम हो केवल
और
हो बातें अपनी
सोचें क्या - क्या हम तुम ,
बीते यूँ रातें अपनी ।
खुशियों का ये पल
यूँ ही गुजार दे।
यूं ही गुजार दे,
इतना तुमको प्यार दें,
जाने क्या होगा कल ,
कैसे होगें आने वाले पल
जी ले इनको जी भरके ,
गम का न साया हो
खुशियों की छाया हो
चले साथ ये हवायें
ऐसा लगै जैसे कि
बिन बुलाये कोई आया हो,
हम तुम हो केवल
और
हो बातें अपनी
सोचें क्या - क्या हम तुम ,
बीते यूँ रातें अपनी ।
खुशियों का ये पल
यूँ ही गुजार दे।
7 comments:
खुशियों का ये पल,
यूं ही गुजार दे,
इतना तुमको प्यार दें,
बहुत अच्छी रचना है...
आप भावना की क़द्र करता हूँ!
Achhi prastuti hai.
खुशियों की छाया हो
चले साथ ये हवायें
ऐसा लगै जैसे कि
बिन बुलाये कोई आया हो,......waah !
जाने क्या होगा कल ,
कैसे होगें आने वाले पल
जी ले इनको जी भरके ,
गम का न साया हो
खुशियों की छाया हो
बहुत ही सुंदर . बधाई .
खुशियों की छाया हो
चले साथ ये हवायें
ऐसा लगै जैसे कि
बिन बुलाये कोई आया हो
wah bahut khub
waaaaaah..बहुत ही सुंदर . बधाई
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