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Wednesday, October 8, 2008

मेरा काव्य - " चल साथ मेरे दो पल तू जरा "


चल साथ मेरे दो पल तू जरा
मंजिल की तरफ है ये रास्ता
दिल की बातें जो माने तू
आजा मेरे पास तू जरा ,

हम थे अजनबी पर
प्यार हो ही गया
नजरों से नजर का
इजहार हो ही गया

अभी तक तो तन्हा थे हम
करते थे दिल का भरम
मिलता न साथी कोई
पास तू जो आती नहीं

चल साथ मेरे , दो पल तू जरा।



मीडिया व्यूह की तरफ से दशहरा की आपको हार्दिक बधाई ।

2 comments:

शोभा said...

चल साथ मेरे दो पल तू जरा
मंजिल की तरफ है ये रास्ता
दिल की बातें जो माने तू
आजा मेरे पास तू जरा ,

बहुत अच्छा लिखा है.

राज भाटिय़ा said...

आप ने एक सुन्दर कविता पढाई ...
धन्यवाद
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं