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Friday, October 17, 2008

मेरा काव्य - "बीच सफर में "

खिलखिलाती नदियाँ , मचलते सागर ,
ऊचाँ आसमान सब कहते हैं जीवन तुम्हारा है,
जिओ इसको भरपूर ।
जीवन के सफर में कभी हार है ,तो कभी जीत,
कभी डरकर न भागो इससे दूर,
समय बदलता है, हालात बदलते हैं,
पर जीवन का मूल नहीं बदलता,
चलते जाना ही जीवन की नियती है,
इसी पर निर्भर सारी परिस्थिती है,
सम्पूर्ण आनन्द यदि लेना है इसका,
तो हालात का सामना करना ही होगा,
जीवन के संग्राम में वही है विजेता,
जिसने इस बात को समझा कि-
जीतने से ज्यादा महत्व रखता है खेल खेलने की भावना,
पूर्ण समर्पण की भावना।

2 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

अच्छी पोस्ट है...बधाई...

रंजना said...

bilkul sahi kaha.jo aasha ,dhairya ,vishwaas ko na chhode,wahi vijayi hota hai.