इन दिनों मैंने समीर लाल जी और कुछ लोगों के इस बात पर ध्यान दिया कि आप भी लोगों को पढ़े और अपनी टिप्पणी दें । मैंने सोचा कि बात सही है और हिन्दी ब्लाग का लेखन में रूचि का ही विषय है । पर मेरी मजबूरी एक तो समय कम मिलता है अध्ययन से ही दूसरे मेरा कम्प्यूटर इन दिनों साथ नहीं दे रहा है पर फिर भी मैंने समय निकाल कर और कैफे मे जाकर कोशिश की कि जितने समय मैं कैफे मे रहूँ अधिक से अधिक लोगों को पढ़ सकूँ ।
ये बात अच्छी भी लगी केवल लिखके रफूचक्कर होना मेरे नजरिये से गलत है । पर सबसे जरूरी बात ये कि कई ऐसे लोग है जो कि टिप्पणी तो करते हैं पर जो लिखा गया है या तो उसे सही से पढ़ते नहीं या फिर बिना पढ़ ही सभी टिप्पणियोंका मूल्याकंन कर के टिपिया कर चलते बनते हैं । मैं मानता हूँ कि टिप्पणीयों से मार्गदर्शन होता लेखक का । अगर कुछ गलत है तो बेबाक तौर पर कहिये आपका स्वागत है । चाहे वो अच्छा लगे या फिर बुरा पर लेखक के लिए यह आगे के लिए अच्छा होगा। मैं यहां पर अपनी राय व्यक्त कर रहा हूँ आपकी क्या राय है बातइये।
13 comments:
८५% लोग ऐसे ही हैं !
चलिये.. बेबाक कमेंट्स आप चाहते हैं तो कह डालता हूं.. इस पोस्ट में आप पुरानी बात को ही कह गये हैं जो ना जाने कितने ही ब्लौग पर लिखे जा चुके हैं..
(मजाक कर रहा हूं, इसे अन्यथा ना लें.. आपका विचार उत्तम है :)..)
Sahi hi to likha hai aapne. bina padhe kewal tippani dene ki formality karne se lekhak ko maza kahan aata hai,margdarshan to tabhi hoga jab tippanikar rachna ko padhkar sahi mayne men pratikriya vyakt kare.aapki baat men dam hai.
kament kaa matlab haen padhna aur agar kuchh kam rahgayaa haen to uumey apni raay jodna
galtii kewal kaemnt daene waali kii nahin haen un laekho ki bhi haen jo har blog par jaa kar likhtey haen " ham ko padhey
" aap ki tipaani hamko protsaahit kartee haen "
baar baar apney laekha kaa link aap kisi ko bhejtey haen kyu taaki wo aapke aalekh ko padhey aur tippini dae
ab wo kya tippani dae yae to uska decision hoga
ठीक ही तो लिखा है आपने
सही राय है आपकी लेकिन ये सही कहने के लिए देखते हैं कितने बेबाक तरीके से आगे आते हैं। यहां पर मैंने देखा है कि यदि आप किसी की तारीफ करते रहिए तो बेहतर वर्ना लिख दिया आपने तो तूफान मचा देंगे। इसलिए शायद सब बढ़िया या सुंदर या उत्तम, कह कर चलते बनते हैं। वर्ना अगली पोस्ट उसके नाम से ही लिख दी जाएगी।
सब ठीक है जिसे जैसा रुचे करने दीजिये
पिछली पोस्ट में कविता ठीक थी
लिखना-कहना जारी रखें
भाई मै तो नीतिश जी की बात से सहमत हू, बस चापलुसी करो, जेसा सब टिपयाअ रहै है, बेसा ही टिपयाओ ठीक जब भी थोडा सच बोले या अपने विचार दिय़े तो......
धन्यवाद
विचार उत्तम है
"ya rightly said'
regards
इस टिप्पणी द्वंद पर मेरा टिपियाना अवलोकन कीजिये...
"कुछ अपनी कुछ जग बीती" में.
अब इस पर ज्ञान, सलाह तो यह भी दी जायेगी की भईया अजीरण होते तक न पढिये...के टीपे करने लायक न रह जाए....
सही कह रहे हो!! जितने लोग हैं, उतने नजरिये हैं!! बहुत देरी से आया, क्षमा काहता हूँ.
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