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Friday, October 17, 2008

छणिकाएं

१- दिल

दिल के तूफान को किसने देखा,
ये तो सिर्फ आखों का धोखा।
छूना चाहता है समुन्दर चांदको
उठती हुयी लहरों को किसने देखा है।।

२- जीवन के रंग

जीवन के होते हैं कई रंग,
बचपन ,जवानी बुढ़ापे में भी जंग।
ये जंग तो पुरानी है,
जीवन एक अधूरी सी कहानी है,
कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।

३- चाहत

पाने की चाहत , खोने का गम।
दुनिया में होते है इतने ही गम।
किसी से नफरत किसी से चाहत,
तनहाई का आलम बड़ा बेरहम।।

8 comments:

विवेक सिंह said...

इतनी जल्दी जल्दी मत ठेलो कि टिप्पणी देना भारी हो रहा है यार . वैसे अच्छा लिखते हैं आप . ठेलते रहिए .

योगेन्द्र मौदगिल said...

कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।

achhi panktiya
nirantarta banaiye

श्यामल सुमन said...

कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।

सुन्दर भाव के साथ अच्छी पंक्तियाँ।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

जितेन्द़ भगत said...

अति‍ सुंदर-
जीवन के होते हैं कई रंग,
बचपन ,जवानी बुढ़ापे में भी जंग।
:-)और वि‍वेक जी से सहमत भी:-)

राज भाटिय़ा said...

कहानी को पूरा करने में लगा है इंसान ,
ढ़ूढ रहा है अपने ही पैरों के निशान।।
बहुत खुब एक सच
धन्यवाद

Nitish Raj said...

अच्छा सच, सुंदर भाव, बहुत बढिया।

डॉ .अनुराग said...

बहुत बढिया।

Udan Tashtari said...

दिल के तूफान को किसने देखा,
ये तो सिर्फ आखों का धोखा।
छूना चाहता है समुन्दर चांदको
उठती हुयी लहरों को किसने देखा है।।

-बहुत बढिया...