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Sunday, October 12, 2008

मेरा काव्य - " आज तुम्हारा जवाब आया "


आज तुम्हारा जवाब आया
जिंदगी की उदासी को
खत्म पाया
ये सिलसिला कायम है
और रहेगा
मेरे महबूब
यूँ ही हमेशा
प्यार मेरा रंग लाया,


उम्मीद के दामन में
मैं हूँ पला
तुम्हारे बिन हूँ अकेला
राहे रौशन नहीं बिन तेरे
है
दिल में यादों का मेला

खुश होना
क्या है
मालूम हुआ
जब आज तुम्हारा जवाब आया

11 comments:

makrand said...

bahut sunder kavita
humne bhi iskq ka pace maker lagaya he
gaur pharmaye
regards

makrand said...

bahut sunder kavita
humne bhi iskq ka pace maker lagaya he
gaur pharmaye
regards

अविनाश वाचस्पति said...

प्‍यार बनेगा इक झमेला
इक तू ही नहीं अकेला
प्‍यार के तो पर लगे हैं
सुर्खाब के रंग खिले हैं

अब जवाब तू भी भेज
मन मा सज रही सेज
वो भी तेज तू भी तेज
अब तक है सबसे तेज

GIRISH JOSHI said...

काव्य में जगह जगह पर योग्य अल्पविराम या पूर्णविराम चिन्ह का प्रयोग होना जरुरी होता है, नहीं तो भाव बदल शकते है-जैसे की

राहे रौशन नहीं बिन तेरे
है
दिल में यादों का मेला
यहाँ - है- ऊपर की पंक्ति में जायेगा या नीचे यह स्पष्ट नहीं होता|
कविता के भाव अच्छे लगे|

एस. बी. सिंह said...

खुश होना
क्या है
मालूम हुआ
जब आज तुम्हारा जवाब आया

सुंदर कविता

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर एहसास।

खुश होना
क्या है
मालूम हुआ
जब आज तुम्हारा जवाब आया

Sachin Jain said...

dua hai meri roj khush rahie
:)

रंजू भाटिया said...

अच्छी लगी आपकी यह रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ek sakaaratmak soch hai is rachna men.
sundar kavita.

राज भाटिय़ा said...

एक खुब सुरत एहसास

रश्मि प्रभा... said...

खुश होना
क्या है
मालूम हुआ
जब आज तुम्हारा जवाब आया.......
ati manmohak rachna