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Saturday, October 4, 2008

मैं भी हूँ " दादा " का दीवाना ..........


मैं भी आम भारतीय की तरह क्रिकेट का दीवाना हूँ। भारतीय टीम में "दादा" का मैं प्रशंसक रहा हूँ । सौरभ गागुली की टीम नेतृत्व क्षमता लाजवाब थी । आज तक के सबसे सफल कप्तान का सेहरा दादा के माथे पर ही है । वैसे देखा जाय तो गांगुली प्रदर्शन पहले की तुलना में कुछ जरूर ही गिरा है । पर अभी भी सौरभ के क्रिकेट खेलने का दम खत्म नहीं हुआ है । हाल ही में नयी चयन समिति ने गांगुली का चयन करके उन पर भरोसा जताया है । आस्ट्रेलिया के खिलाफ दो टेस्ट के लिए गांगुली टीम में जगह बना पाये हैं । वैसे आश्चर्य ही लगता है कि गांगुली को 'ईरानी ट्राफी' में जगह न देकर टेस्ट टीम में जगह दिया गया । वैसे पुरानी चयन समिति यदि चयन का जिम्मा लेती तो गांगुली का चयन मुश्किल ही था ।
भारतीय टीम में " फेब फोर " के नाम से चार खिलाड़ियों - सचिन , सौरभ , द्रविड और लक्ष्मण पर यह आरोप आने लगे है कि इन लोगों का प्रदर्शन न अच्छा होते हुए भी टीम में खिलाया जाता हे जिससे नये चेहरों को मौका नहीं मिलता । अगर इन चारों खिलाड़ियों को अगर टीम से निकाल दिया जाय तो क्या भारतीय टीम में इतना दम है कि वह आस्ट्रेलिया जैसी टीम को मात दे पायेगी । वैसे मीडिया में ये सारी अटकलें श्री लंका में असफल होने के बाद आयी है । यदि हम आमित मिश्रा , रोहित शर्मा , युवराज और बद्रीनाथ को हम इन 'फेब फोर' की जगह शामिल कर लें तो क्या यह आस्ट्रलिया को कड़ी टक्कर दे पायेगें । वैसे इन खिलाडियों में अच्छा क्रिकेट खेलने का दम है । पर एक पारी का खेल टेस्ट में जगह नहीं दिला सकता है । वैसे भविष्य के नये चेहरे इन्ही में से होगे ।इसमें कोई शक नहीं है ।
बात दादा की तो यह माना जा रहा है कि यदि दादा अबकि फ्लाफ हुए तो सन्यास ही आखिरी विकल्प होगा । वैसे उम्मीद यही है कि दादा का बल्ला चले और सभी का मुंह बन्द हो जाये पर ९ अक्तूबर को ही पता चलेगा कि क्या होगा है ।

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