"न हिन्दू बनेगा , न मुसलमान बनेगा, इंसान कि औलाद है इंसान बनेगा "। बचपन में स्कूल जाते तो वहां यह सिखाया गया कि " हिन्दू , मुस्लिम ,सिख ईसाई आपस में हैं सब भाई- भाई । आज जब अखबार पलटता हूँ या रेडियो पर समाचार सुनता हूँ । तो देश में हो रही हिंसा और मारकाट से दिल दहल जाता है । कल्पना करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं । तब अपने बचपन की वो स्कूल की लाइन बेहूदा लगती है । शायद हम जैसे बच्चों को ये रटाया जाता था । दोहे या फिर पहाड़े की तरह । पर हमारी सोच में ये बात केवल परीक्षा पास करके भूलजाने जैसा ही है । उसके सिवा और कुछ भी नहीं । वास्तविकता कहीं बहुत दूर है ।आज जब सोचता हूँ कि क्या सचमुच में " हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई" ये बात कभी हकीकत में स्वीकार की गई होगी । तो मुझे नहीं लगता कि यह सच में केवल कहने में सुनने में ही अच्छा लगता है ।
आज देश में सम्प्रदायिकता को लेकर के घमासान मचा है । हम एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए है । सबसे पहले तो यह धर्म निर्पेक्ष राष्ट्र है यहां धर्म की स्वतन्त्रता है । इंसान जिस धर्म को चाहे अपना सकता है । पर हाल की कुछ घटनाओं ने देश को जाति के नाम पर अलग कर रहा है। विश्व पटल पर हमारी छवि धूमिल तो हो ही रही है साथ ही साथ देश विभाजित हो रहा है संप्रदाय के अनुसार । उडिसा और कर्नाटक में जो हिंसा हुई उससे देश में गुटबाजी हुई । सभी अपने पराये को जाति के अनुसार देश रहें है कि कौन हिन्दू है ?और कौन ईसाई है ? इसमें किसको सही कहें किसे गलत । सभी अपने भाई ही है । सरकार का जातिवादी रूख देख कर और भी दुख होता है । आम आदमी की सुरक्षा आज खतरे में है। रक्षक ही भक्षक बन गये हैं । हिंसा पर न तो राज्य ने कुछ किया ( वो इसलिए क्यों कि यहां भाजपा समर्थित सरकार है ) नहीं । बजरंग दल और हिन्दू वादी संगठन ने खुले आम मौत का नंगा नाच किया । केन्द्र बाद में जागी जब लोग मौत की नीमद सो चुके थे । अभी भी हालात बद से बदतर ही है । आगे क्या होगा यह देखना अभी बाकी है । कोरी धमकी दी गई राष्ट्रपति शासन की । इससे कुछ नहीं होने वाला।
दूसरा मुद्दा आतंकवाद से जुड़ा है । दिल्ली सहित भारत के कुछ प्रमुख शहरों में हाल के हमले ने मुस्लिम कौम को कटघरे में ला खड़ा किया है । सवाल लोगों के उठे मैं ये सवाल जवाब मे नहीं जाना चाहता हूँ । पर कितनी गलत बात लगती है मुझे जब ये कहा जाता है कि हर मुस्लिम आतंकवादी है क्या आपको लगता है । पर मैं तो उन सबसे बहुत दूर रहता हूँ । सभी अपने भाई ही है । ऐसी नजर (आतंकवाद से प्रेरित) एक दिली आग को जन्म दे सकती है । जिसका गम्भीर परिणाम हो सकता है । ऐसे में देश में भाईचार कहां होगा । जब हम एक दूसरे को शक के घेरे में रखकर देखेंगे । देश में संप्रदायिक विभाजन ना हो इसके लिए । धर्म को निशाना न बनाया जाय तो ही बेहतर होगा । वरना परिणाम के लिए तैयार रहना होगा जो कि बेहद भयानक होगें ।
आज देश में सम्प्रदायिकता को लेकर के घमासान मचा है । हम एक दूसरे के खून के प्यासे बने हुए है । सबसे पहले तो यह धर्म निर्पेक्ष राष्ट्र है यहां धर्म की स्वतन्त्रता है । इंसान जिस धर्म को चाहे अपना सकता है । पर हाल की कुछ घटनाओं ने देश को जाति के नाम पर अलग कर रहा है। विश्व पटल पर हमारी छवि धूमिल तो हो ही रही है साथ ही साथ देश विभाजित हो रहा है संप्रदाय के अनुसार । उडिसा और कर्नाटक में जो हिंसा हुई उससे देश में गुटबाजी हुई । सभी अपने पराये को जाति के अनुसार देश रहें है कि कौन हिन्दू है ?और कौन ईसाई है ? इसमें किसको सही कहें किसे गलत । सभी अपने भाई ही है । सरकार का जातिवादी रूख देख कर और भी दुख होता है । आम आदमी की सुरक्षा आज खतरे में है। रक्षक ही भक्षक बन गये हैं । हिंसा पर न तो राज्य ने कुछ किया ( वो इसलिए क्यों कि यहां भाजपा समर्थित सरकार है ) नहीं । बजरंग दल और हिन्दू वादी संगठन ने खुले आम मौत का नंगा नाच किया । केन्द्र बाद में जागी जब लोग मौत की नीमद सो चुके थे । अभी भी हालात बद से बदतर ही है । आगे क्या होगा यह देखना अभी बाकी है । कोरी धमकी दी गई राष्ट्रपति शासन की । इससे कुछ नहीं होने वाला।
दूसरा मुद्दा आतंकवाद से जुड़ा है । दिल्ली सहित भारत के कुछ प्रमुख शहरों में हाल के हमले ने मुस्लिम कौम को कटघरे में ला खड़ा किया है । सवाल लोगों के उठे मैं ये सवाल जवाब मे नहीं जाना चाहता हूँ । पर कितनी गलत बात लगती है मुझे जब ये कहा जाता है कि हर मुस्लिम आतंकवादी है क्या आपको लगता है । पर मैं तो उन सबसे बहुत दूर रहता हूँ । सभी अपने भाई ही है । ऐसी नजर (आतंकवाद से प्रेरित) एक दिली आग को जन्म दे सकती है । जिसका गम्भीर परिणाम हो सकता है । ऐसे में देश में भाईचार कहां होगा । जब हम एक दूसरे को शक के घेरे में रखकर देखेंगे । देश में संप्रदायिक विभाजन ना हो इसके लिए । धर्म को निशाना न बनाया जाय तो ही बेहतर होगा । वरना परिणाम के लिए तैयार रहना होगा जो कि बेहद भयानक होगें ।
3 comments:
आपकी बातें सपनीली हैं और ख्वाब किताबी, लेकिन दुर्भाग्य से हकीकत बहुत कड़वी है…
प्रभावशाली अभिव्यक्ति है।
यह एक कडबी हकीकत है
धन्यवाद
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