कंधमाल इन दिनों अराजकता का केन्द्र बना हुआ है । कंधमाल में जो संप्रदायिक हिंसा फैली है इस पर नवीन पटनायक सरकार बिल्कुल ही असफल साबित हुई है । उड़ीसा के कंधमाल जिले में दंगों के दौरान एक नन के साथ बलात्कार किया गया । और पुलिस ने कोई भी कार्यवाही नहीं की। लेकिन जब गृह मंत्रालय से चिट्ठी आथी है तब जाकर ३९ वे दिन पुलिस के द्वारा कार्यवाही की जाती है । मुख्यमंत्री ने ने जांच को क्राइम ब्रांच को सौपं दी है । बलात्कार के मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है । और एक एसआई को सस्पेड़ किया गया है। पहले पुलिस के द्वारा मामले को हल्के में लिया जा रहा था । लेकिन मेडिकल रिपोर्ट और केन्द्र के दवाब में पुलिस को मजबूरन कार्यवाही करनी पड़ी।
नन के साथ रेप की जांच को यदि महीनों लग रहें हैं तो इसका मतलब हुआ कि पुलिस भी ऐसे अमानवीय और जघन्य कुकृत्य में अपराधियों का साथ दे रही है । और आरोपियों को बचाने का पूरा प्रयास किया। भारत में बलात्कार के बहुत से मामले सामने आते हैं जिसमें अपराधियों को बचाने का प्रयास किया जाता है । और कुछ मामलों में तो केस को पुलिस खुद ही रफा दफा कर देती है । और कभी तो पुलिस द्वारा प्राथमिक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जाती है । इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए कुछ लोगों को सस्पेड़ कर दिया जाता है दिखावे के लिए । पर मेरे हिसाब से तो ऐसे लोग जो अपराधी को बाचाने का प्रयास करते है वो भी अपराध के ही श्रेणी आते है और बराबर सजा के भागी दार हैं।
हमारे कानून में बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए फांसी तक की सजा मुकर्र की है पर किसी प्रकार की कमी आती नहीं दिख रही है ऐसे अपराधों में । देश में ज्यादातर जो बलात्कार होते हैं उसमें लोगों को यही समझ आती है कि कानून हमारा क्या कर लेगा । कई केस ऐसे है जिसमें अपराधी को सजा उसके मरने के बाद होती है । हमारी न्यायपालिका में सुधार की जरूरत है । साथ ही साथ फास्ट ट्रैक कोर्ट को भी बढाया जाना चाहिए जिससे पीड़ित को जलदी रहत मिल सके और लोगों मे डर और भय बना रहे तो शायद बलात्कार के मामले कम सामने आये।
नन के साथ रेप की जांच को यदि महीनों लग रहें हैं तो इसका मतलब हुआ कि पुलिस भी ऐसे अमानवीय और जघन्य कुकृत्य में अपराधियों का साथ दे रही है । और आरोपियों को बचाने का पूरा प्रयास किया। भारत में बलात्कार के बहुत से मामले सामने आते हैं जिसमें अपराधियों को बचाने का प्रयास किया जाता है । और कुछ मामलों में तो केस को पुलिस खुद ही रफा दफा कर देती है । और कभी तो पुलिस द्वारा प्राथमिक रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की जाती है । इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए कुछ लोगों को सस्पेड़ कर दिया जाता है दिखावे के लिए । पर मेरे हिसाब से तो ऐसे लोग जो अपराधी को बाचाने का प्रयास करते है वो भी अपराध के ही श्रेणी आते है और बराबर सजा के भागी दार हैं।
हमारे कानून में बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिए फांसी तक की सजा मुकर्र की है पर किसी प्रकार की कमी आती नहीं दिख रही है ऐसे अपराधों में । देश में ज्यादातर जो बलात्कार होते हैं उसमें लोगों को यही समझ आती है कि कानून हमारा क्या कर लेगा । कई केस ऐसे है जिसमें अपराधी को सजा उसके मरने के बाद होती है । हमारी न्यायपालिका में सुधार की जरूरत है । साथ ही साथ फास्ट ट्रैक कोर्ट को भी बढाया जाना चाहिए जिससे पीड़ित को जलदी रहत मिल सके और लोगों मे डर और भय बना रहे तो शायद बलात्कार के मामले कम सामने आये।
5 comments:
ek sadhaa hua laekh har kaand ko dharm sae nahin maanvtaa sae jodae ham sab to kafii samsyaa kam hogee
aap kuch pachaas pratishat par likhey aap kaa laekahan sadhaa haen aap baat ko wahaan bhi kahey do paksho ko rakhey wahaan kae vishay kae hisaab sae . aap ko nirantar padhna hota haen
जब आपने अविनाश की तारीफ़ों के कसीदे काढ़े थे, तभी लगा था कि आप कंधमाल पर अवश्य कुछ लिखेंगे… नन के बलात्कार के साथ-साथ वयोवृद्ध स्वामी लक्षमणानन्द सरस्वती की हत्या पर भी चार लाईन लिख देते…
इसी विषय पर मैंने भी कुछ लिखा है I कृपया पढ़े और अपना अमूल्य विचार लिखें I
http://sunosunao.blogspot.com
ये साम्राज्यवादी मुलुको ने हतियार बनाए, हतियार के बल पर उपनिवेष और उपनिवेषो से लुटा ढेर सारा धन। अब ये चाहते है की इनके डलर/पाउंड/युरो के बल पर सारी दुनिया को ईसाई बना दें। सारे विश्व मे एक ही धार्मिक विचार वाले लोग हो और उनका धार्मिक मुखिया वेटीकन सिटी मे बैठे जो इनका प्यादा हो और वह जो बोले उस पर सारी दुनिया वाले श्रद्धा रखें। यह सर्वसत्तावादी विचार एक बहुत बडी हिंसक प्रवृति है। चर्चो द्वारा लोभ लालच के बल पर कराया गया धर्मातरण स्वयम ही हिंसा हीं है। उपर से चर्च द्वारा एक धार्मिक व्यक्ति लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या। चर्चो की इस हिसा ने हिसा को जन्म दिया। बहुत दुख होता है यह सब देख कर।
ये साम्राज्यवादी मुलुको ने हतियार बनाए, हतियार के बल पर उपनिवेष और उपनिवेषो से लुटा ढेर सारा धन। अब ये चाहते है की इनके डलर/पाउंड/युरो के बल पर सारी दुनिया को ईसाई बना दें। सारे विश्व मे एक ही धार्मिक विचार वाले लोग हो और उनका धार्मिक मुखिया वेटीकन सिटी मे बैठे जो इनका प्यादा हो और वह जो बोले उस पर सारी दुनिया वाले श्रद्धा रखें। यह सर्वसत्तावादी विचार एक बहुत बडी हिंसक प्रवृति है। चर्चो द्वारा लोभ लालच के बल पर कराया गया धर्मातरण स्वयम ही हिंसा हीं है। उपर से चर्च द्वारा एक धार्मिक व्यक्ति लक्ष्मणानन्द सरस्वती की हत्या। चर्चो की इस हिसा ने हिसा को जन्म दिया। बहुत दुख होता है यह सब देख कर।
Post a Comment