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Tuesday, October 21, 2008

एक कविता -" मरा हुआ इंसान "


मरा हुआ इंसान
कितना शांत लगता है
चेहरे का पीलापन
सूरज की पहली किरण
सा दिखता है
शरीर
शांत मूरत लगता है
मृत्यु अन्त है
इंसान का
पर
एक नयी शुरूआत
सा लगता है
मुंह की स्थिरता से
एक योगी सा दिखता है
मरा हुआ इंसान
कितना सुंदर दिखता है ।

3 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

अच्छा लिखा है आपने...

राज भाटिय़ा said...

बाप रे मरे हुये इंसान को देख कर मुझे तो यही लगता है कि मै भी एक दिन ऎसे ही लेटुगां, फ़िर पता नही...
धन्यवाद एक अच्छी कविता के लिये

वर्षा said...

मरा हुआ इंसान मुझे तो ज़िंदगी का सबसे संजीदा सवाल लगता है।