जन संदेश

पढ़े हिन्दी, बढ़े हिन्दी, बोले हिन्दी .......राष्ट्रभाषा हिन्दी को बढ़ावा दें। मीडिया व्यूह पर एक सामूहिक प्रयास हिन्दी उत्थान के लिए। मीडिया व्यूह पर आपका स्वागत है । आपको यहां हिन्दी साहित्य कैसा लगा ? आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये,,,,,, ? हमें जरूर बतायें- संचालक .. हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com

Saturday, October 18, 2008

भारत के बच्चे और भिक्षावृत्ति, साकार रूप भारत का , कौन करेगा मद्द इनकी?


भारत में भीख मांगने वालों को आप हर जगह पा सकते हैं। जहां पर इंसान हो सकता है वहां आपको ये हाथ फैलाये हुए , दुआएं देते हुए मिल जाएगें । आपसे कम से कम एक रूपये या इससे अधिक जो आपकी मर्जी देने के लिए आग्रह करते हैं । मेरे साथ भी बहुत बार हुआ पर मुझे दया नहीं आती ऐसे लोगों पर और न ऐसे बच्चों पर । सवाल एक रूपये का नहीं सवाल मेहनत का है । जो बच्चे ऐसी दशा में होते हैं उनके पीछे उनके मां बाप और उनका परिवार दोषी ।और कहीं न कहीं हम भी दोषी हैं कारण यह है जो भीख मागंते है वो तो गलत है ही पर सबसे गलत बात ये कि हम उन्हें पैसे देकर इस काम को करने में उनकी मदद करते हैं।
हमारा इन गरीब बच्चों को पैसे देने की आदत निकम्मा बनाता है , किसी काम को न करने के लिए उकसाता है । दया ही मानवता नहीं । जरूरत है इनको रोजगार , शिक्षा और दो जून की रोटी की ।वैसे भीख मांग कर ये अपनी भूख मिटा लेते हैं पर जीवन की और जरूरत से वंचित रह जाते हैं । कभी मैंने टी वी पर देखा था कि नन्हें बच्चों को किराये पर लेकर भी इस काम को अंजाम दिया जाता है । एक व्यवसाय के तौर पर । इनके पीछे बड़े और दमदार लोगों को हाथ होता है , मिक्षावृत्ति को बिजनेस बना लिया है ।
भारत के नौनिहाल बच्चे जिनको भारत का कल कहते है ।अगर उनके हाथ में किताब की जगह ये कटोरा होगा तो इनके आगे आने वालों बच्चों की कल्पना करना ही भयावह है । सरकार की बात न करें तो बेहतर है क्योंकि वह ऐसी किसी काम को सिर्फ कानून या बयान तक ही रखती है । समाज से लेकर कानून तक सभी अंधे है । हम बातें तो बहुत करते है बदलने की पर किसी बुराई की तरफ कभी देखते तो हैं, पर आंख बंद करके । ऐसी समस्या और भी है । १०९८ टेलीफोन नं है जहां पर कि फोन करके ऐसे बच्चों के बारे में बताया जा सकता है जो कि इसमस्या से पीड़ित है । साथ ही साथ एन जी ओ सरकार की सहायता से कार्य कर रहें हैं वो तो मात्र पैसे कमाने के धंधे के अलावा और कुछ नहीं ।
समस्या गंभीर हल कोई नहीं । करने को बहुत कुछ है पर करे कौन । शुरूआत का दम नहीं है । पहला कदम बढ़ाये कौन ?

2 comments:

संगीता पुरी said...

भीख तो मैं भी नहीं देती , पर भारतवर्ष में भिखारी को जितने भीख दिए जाते हैं , मुझे लगता है , उस पैसों को उचित ढंग से खर्च किया जाए , तो भिखारी की समस्या ही हल हो जाएगी। पर सवाल वही है। आखिर करेगा कौन ?

राज भाटिय़ा said...

आज से हम भी नही देगे किसी को फ़ुटी कोडी भी...
धन्यवाद