आज आखें छलक आयी,
जब याद तेरी आयी
बैठा अकेला मैं
दूर दुनिया से,
बीती बातें कुछ उभर आयी
तुम दूर हो मुझे
जब याद तेरी आयी
बैठा अकेला मैं
दूर दुनिया से,
बीती बातें कुछ उभर आयी
तुम दूर हो मुझे
मालूम है
फिर भी दिल ने
आने की तेरे
आहट पायी ।
अच्छा हूँ मैं
अधूरा ही सही
अब ख्वाबों में भी है
तन्हाई,
सब कुछ पाया मैंने
एक सिवा तेरे,
अब चाहत थी कि
भूल जाऊं तुमको,
पर
कोशिश न मेरी रंग लायी ।
करता हूँ सवाल
खुद से मैं,
ये जिंदगी क्यूं
गम लायी ।
फिर भी दिल ने
आने की तेरे
आहट पायी ।
अच्छा हूँ मैं
अधूरा ही सही
अब ख्वाबों में भी है
तन्हाई,
सब कुछ पाया मैंने
एक सिवा तेरे,
अब चाहत थी कि
भूल जाऊं तुमको,
पर
कोशिश न मेरी रंग लायी ।
करता हूँ सवाल
खुद से मैं,
ये जिंदगी क्यूं
गम लायी ।
5 comments:
मग भर गम
गम ना कर
हों सितम
गम न कर
हों गम तो
गम न कर
सिर्फ दम भर।
बहुत उम्दा!!!
bahut achchhe neeshoo ji
एक शेर आपकी नज्र करता हूं
कि
थोड़ा-थोड़ा कहना अच्छा
थोड़ा मन में रहना अच्छा
dard-e-dil ki bayaani mei
dil ka dard chalak jaata hai
yaadon ka kaarwaan besabab
aankhen bhar bhar laata hai
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