रक्षाबंधन पर मैं और रिंकीमेरी एक बहन जब कभी उससे बात होती तो वह मेरा हाल पूछती मैं सब कुछ बताता साथ ही अपनी ब्लागिंग की चर्चा करता । पर वह ब्लागिंग को सुनते ही चिढ़ जाती कहती रहने दो अपने पास रखो । पता नहीं क्या ऊल-जलूल करते हो । आंख खराब हो जायेगी कंम्प्यूटर कर सामने बैठे -बैठे। आज उससे बात हुई मैंने कहा आज तुम्हारी पोस्ट होगी मेरे ब्लाग पर । वह खुश हो गयी। कुछ पुरानी तस्वीर पोस्ट कर रहा हूँ ।
10 comments:
अच्छी बात है। अब बहना आपकी ब्लॉगिंग से शायद न चीढ़े।
भाई आपने पोस्ट तो बहुत अच्छी और सुविचार से की है लेकिन क्या आप मेरी बात मानेंगें ?
इंटरनेट पर सर्वाधिक छेड़छाड़ किसी निजी तस्वीर से ही होती है ! आप मेरी बात का आशय समझ चुके होंगें, अतः आपसे मेरी विनती है कि कोई भी निजी से निजी तस्वीर को सार्वजनिक करने से पहले जरा सोच लें.
आपका हितैषी
कमलेश मदान
http://sunobhai.blogspot.com
मेरा नया विचार http://www.weyuva.com
आज अपनी बहना को खुश कर दिया न ... अब वह आगे भी तुम्हारे पोस्ट पढा करेगी ... ब्लागिंग से चिढेगी नहीं।
बहुत ही सुंदर, अब तो बहिना को कोई चिड नही होगी.बाकी कमलेश मदान जी की बात बिलकुल सही है,
धन्यवाद
चलिये अच्छा किया , वैसे भी घर की मर्गी साग बराबर ही होती है । हा हा हा
नीशू भाई, एक काम और करो.
आप रिंकी को मेरे ब्लॉग पर भेजकर मेरे एक दो पोस्ट पढ़वा दो.
वो आपको प्रेमचंद मानने लगेगी.
nishoo ji
sneh deedi ko meraa pranam kahie
achchhee pahal
चलिए,
इसी बहाने हमने भी बहिन जी के
दर्शन कर ही लिए।
आशा है बहिन स्नेह को अच्छा लगा होगा।
बहन और भाई के इस बंधन के फोटो को देख मुझे भी बहन की राखी याद आ गयी ...आज सुबह ही तो मुझसे फ़ोन पर झगड़ रही थी
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