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Sunday, March 29, 2009

बहन आज ब्लाग पर आकर खुश है ........[एक तस्वीर]


रक्षाबंधन पर मैं और रिंकी







मेरी एक बहन जब कभी उससे बात होती तो वह मेरा हाल पूछती मैं सब कुछ बताता साथ ही अपनी ब्लागिंग की चर्चा करता । पर वह ब्लागिंग को सुनते ही चिढ़ जाती कहती रहने दो अपने पास रखो । पता नहीं क्या ऊल-जलूल करते हो । आंख खराब हो जायेगी कंम्प्यूटर कर सामने बैठे -बैठे। आज उससे बात हुई मैंने कहा आज तुम्हारी पोस्ट होगी मेरे ब्लाग पर । वह खुश हो गयी। कुछ पुरानी तस्वीर पोस्ट कर रहा हूँ ।

10 comments:

Ashok Pandey said...

अच्‍छी बात है। अब बहना आपकी ब्‍लॉगिंग से शायद न चीढ़े।

kamlesh madaan said...

भाई आपने पोस्ट तो बहुत अच्छी और सुविचार से की है लेकिन क्या आप मेरी बात मानेंगें ?

इंटरनेट पर सर्वाधिक छेड़छाड़ किसी निजी तस्वीर से ही होती है ! आप मेरी बात का आशय समझ चुके होंगें, अतः आपसे मेरी विनती है कि कोई भी निजी से निजी तस्वीर को सार्वजनिक करने से पहले जरा सोच लें.

आपका हितैषी
कमलेश मदान

kamlesh madaan said...

http://sunobhai.blogspot.com

मेरा नया विचार http://www.weyuva.com

संगीता पुरी said...

आज अपनी बहना को खुश कर दिया न ... अब वह आगे भी तुम्‍हारे पोस्‍ट पढा करेगी ... ब्‍लागिंग से चिढेगी नहीं।

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर, अब तो बहिना को कोई चिड नही होगी.बाकी कमलेश मदान जी की बात बिलकुल सही है,
धन्यवाद

हिन्दी साहित्य मंच said...

चलिये अच्छा किया , वैसे भी घर की मर्गी साग बराबर ही होती है । हा हा हा

Satish Chandra Satyarthi said...

नीशू भाई, एक काम और करो.
आप रिंकी को मेरे ब्लॉग पर भेजकर मेरे एक दो पोस्ट पढ़वा दो.
वो आपको प्रेमचंद मानने लगेगी.

बाल भवन जबलपुर said...

nishoo ji
sneh deedi ko meraa pranam kahie
achchhee pahal

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

चलिए,
इसी बहाने हमने भी बहिन जी के
दर्शन कर ही लिए।
आशा है बहिन स्नेह को अच्छा लगा होगा।

अनिल कान्त said...

बहन और भाई के इस बंधन के फोटो को देख मुझे भी बहन की राखी याद आ गयी ...आज सुबह ही तो मुझसे फ़ोन पर झगड़ रही थी