भूलता मैं चला रास्ते प्यार के,
साथ ही ना मिला प्यार के वास्ते,
कस्तियां डूबी अपनी तूफान से,
जबकि साहिल था मेरे सामने,
हमसफर यूँ तो बनते कई राहोंमें,
साथी न मिला उम्र भर के लिए,
ठोकरें खाने से मैं सभल न सका,
देखकर जबकि चलता रास्ते यार के,
भूलता मैं चला रास्ते प्यार के,
साथ ही ना मिला प्यार के वास्ते........
11 comments:
्भावनाये सुन्दर हैं
bhav se bharipar maala ye moti tothi or karine se lagao ,sundar to hai .par ese or sundar bana sakage aap
बहुत अच्छी लिखी है....!
कस्तियां डूबी अपनी तूफान से,
जबकि साहिल था मेरे सामने॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ वाह॰॰ बहुत खूबसूरत रचना है
अति सुंदर कविता भाव पुर्ण.
धन्यवाद
भावनाएँ अभिव्यक्त करने का अच्छा प्रयास है पर ग़ज़ल नहीं। जानने का प्रयत्न तो करें आखिर ग़ज़ल है क्या?
लिखो कि तुम्हें यूंही लिखते रहना है। अच्छी गजल।
बहुत ही सुन्दर रचना.
बधाई
हमसफर यूँ तो बनते कई राहोंमें,
साथी न मिला उम्र भर के लिए,
बेहतरीन भाव।
Achchhee gazal hai.Bdhaaee
राह चलते रहो रोज लिखते रहो,
प्यार की मंजिलें पास आ जायेगीं।
शब्द भर जायेंगे, रोशनी से सभी,
सारी लय और तुक रास आ जायेंगी।
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