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Tuesday, March 3, 2009

भूलता मैं चला प्यार के रास्ते..........................गजल

भूलता मैं चला रास्ते प्यार के,

साथ ही ना मिला प्यार के वास्ते,



कस्तियां डूबी अपनी तूफान से,

जबकि साहिल था मेरे सामने,



हमसफर यूँ तो बनते कई राहोंमें,


साथी न मिला उम्र भर के लिए,


ठोकरें खाने से मैं सभल न सका,


देखकर जबकि चलता रास्ते यार के,



भूलता मैं चला रास्ते प्यार के,

साथ ही ना मिला प्यार के वास्ते........

11 comments:

Ashok Kumar pandey said...

्भावनाये सुन्दर हैं

surabhi said...

bhav se bharipar maala ye moti tothi or karine se lagao ,sundar to hai .par ese or sundar bana sakage aap

Vandana Shrivastava said...

बहुत अच्छी लिखी है....!

vinodbissa said...

कस्तियां डूबी अपनी तूफान से,
जबकि साहिल था मेरे सामने॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ वाह॰॰ बहुत खूबसूरत रचना है

राज भाटिय़ा said...

अति सुंदर कविता भाव पुर्ण.
धन्यवाद

दिनेशराय द्विवेदी said...

भावनाएँ अभिव्यक्त करने का अच्छा प्रयास है पर ग़ज़ल नहीं। जानने का प्रयत्न तो करें आखिर ग़ज़ल है क्या?

Anshu Mali Rastogi said...

लिखो कि तुम्हें यूंही लिखते रहना है। अच्छी गजल।

Satish Chandra Satyarthi said...

बहुत ही सुन्दर रचना.
बधाई

सुशील छौक्कर said...

हमसफर यूँ तो बनते कई राहोंमें,
साथी न मिला उम्र भर के लिए,

बेहतरीन भाव।

pran sharma said...

Achchhee gazal hai.Bdhaaee

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

राह चलते रहो रोज लिखते रहो,

प्यार की मंजिलें पास आ जायेगीं।

शब्द भर जायेंगे, रोशनी से सभी,

सारी लय और तुक रास आ जायेंगी।