खामोश रात में तुम्हारी यादें,
हल्की सी आहट के साथ
दस्तक देती हैं,
बंद आखों से देखता हूँ तुमको,
इंतजार करते-करते परेशां
नहीं होता अब,
आदत हो गयी है तुमको देर से आने की,
कितनी बार तो शिकायत की थी तुम से ही,
पर
क्या तुमने कसी बात पर गौर किया ,
नहीं न ,
आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी ,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,
जान पाता कुछ भी नहीं ,
पर
तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं,
तन्हाई में,
उदासी में ,
जीवन के हस पल में,
खामोश दस्तक के साथ
आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
तुम्हारे दिल की धड़कन का बढ़ना,
और
तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूसस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश
और आगोश में करने वाली मध्धम बयार को।
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को...........
7 comments:
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को...........behad khusuratehsason ka samandar bana diya bahut badhai.
dil ki baaton ko bakhoobi kaha hai
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को...........
यादे भी कितनी अजीब होती है , हमेशा साये की तरह साथ जुडी होती है .
दिल के जज्बात क्या खूब लिखे हैं।
sunder rachna.
अच्छी रचना है ...
ho tujhe pyar huaa, pyar huaa alah miyan.
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